पॉर्न एडिक्ट पति से त्रस्त पत्नी की बात क्यों सुप्रीम कोर्ट को सुननी चाहिए
मुंबई की महिला ने जिस तरह अपने पति की पोर्न की लत के कारण सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है वो ये बताने के लिए काफी है कि लोगों के बीच पनप चुकी ये लत न सिर्फ उन्हें बीमार कर रही है बल्कि उनका घर भी तबाह कर रही है.
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इंसाफ की तलाश में लोगों का कोर्ट कचहरी में आना और उसके चक्कर लगाना कोई नई बात नहीं है. अब तक यही देखा गया है कि कोर्ट में आने वाली याचिकाओं का कोई न कोई आधार होता था, और कोर्ट भी उन मसलों पर गंभीर होती थी जिसमें वादी द्वारा प्रदान कराई जा रही जानकारी पुख्ता हो. अपनी बात लेकर सुप्रीम कोर्ट गयी महिला ने कोर्ट के समक्ष एक ऐसा मामला रख दिया है जिसने न सिर्फ आम लोगों और मीडिया बल्कि कोर्ट तक के होश उड़ा दिए हैं.
खबर है कि अपनी तरह का एक अनोखा मामला लेकर सुप्रीम कोर्ट गयी महिला चाहती है कि सरकार पोर्न साइटों पर नकेल कसे ताकि उसके वैवाहिक जीवन में पड़ी खटास, कोर्ट की दखलंदाजी के बाद मिठास में परिवर्तित हो जाए. महिला की शिकायत है कि उसका पति पोर्न का आदी है और उसकी इस पोर्न देखने की लत ने दोनों के बीच दूरियां बढ़ा दी हैं. महिला का मत है कि कोर्ट मामले का गंभीरता से संज्ञान ले, दखलंदाजी करे और तमाम तरह की पोर्न वेबसाइट पर रोक लगाए.
मुंबई की महिला ने कोर्ट से कहा है कि वो लोक कल्याण के लिए जल्द से जल्द पोर्न को देश से खत्म कर दे
सुप्रीम कोर्ट को पेश किये गए अपने हलफनामे में महिला ने स्वीकार किया है कि उसका पति तरह से बिगड़ चुका है और अत्यधिक पोर्न के चलते अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट रहा है. महिला ने अपने हलफनामे में ये भी लिखा है कि पॉर्न देखने के चक्कर में उसके पति ने अपनी शारीरिक जरूरतों की भी अनदेखी करना शुरू कर दिया है. साथ ही महिला ने ये भी बताया है कि अब उसका पति उसपर तलाक का दबाव बना रहा है और वो फैमिली कोर्ट की क्षरण में गया है.
अपने हलफनामे में महिला ने इस बात को भी स्वीकार किया है कि पोर्न देखने के चलते उसके पति की कामोत्तेजना में भारी कमी आई है है और हर बार वो उसे अप्राकृतिक सेक्स के लिए मजबूर करता है. मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पॉर्न साइटों पर रोक के लिए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. ज्ञात हो कि पूर्व में सरकार चाइल्ड पोर्न पर रोक लगा चुकी है मगर उसके बाद की कार्यवाही ठंडे बसते में हैं.
चूंकि बात हमारे समाज और इस समाज में रहकर पोर्न देखने वाले लोगों की हो रही है. तो ऐसे में यहां ये बताना बेहद ज़रूरी है कि, प्रमुख पोर्न वेबसाइट पोर्न हब से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक पूरे विश्व में पोर्न देखने के मामले में हम भारतीय तीसरे पायदान पर हैं. ध्यान रहे कि इस लिस्ट में भारत से ऊपर अमेरिका और यूके हैं और भारत ने जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों को मात दी हुई है. भारत के मामले में सबसे ज्यादा आश्चर्य में डालने वाली बात ये है कि यहां सर्वाधिक 22 साल के युवा पोर्न देख रहे हैं और अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं. साथ ही भारत में पोर्न देखने वालों में 30 प्रतिशत महिलाएं हैं, जिनकी उम्र 18 से 24 साल है.
पोर्न को लेकर पोर्न हब के आंकड़े कई मायनों में हैरत में डालने वाले हैं
गौरतलब है कि पोर्न को लेकर हम कई ऐसे मामले देख चुके हैं जिसने न सिर्फ घरों को तबाह किया है बल्कि समाज पर भी बुरा असर डाला है. कहा जा सकता है कि आज जिस तरह यौन मामलों से जुड़े अपराध बढ़ रहे हैं उनकी एक प्रमुख वजह पोर्न है. बात आगे बढ़ाने से पहले डैनियल सिमंस से रू-ब-रू कराएंगे और साथ ही ये बताएंगे कि पोर्न से जुड़ी बातों के बीच आज हमारे लिए अमेरिका के 26 साल के डैनियल सिमंस को जानना क्यों ज़रूरी है.
अमेरीकी नागरिक डैनियल सिमंस का नाम 2015 में सामने आया था. डैनियल तब 23 साल के थे और पोर्न की लत ने इनके जीवन को बुरी तरह से बर्बाद करके रख दिया था. डैनियल के अनुसार जब वो 15 साल के थे तब उनके माता पिता ने उन्हें पढ़ाई में मदद के उद्देश्य से लैपटॉप लाकर दिया था. जिसका इस्तेमाल उन्होंने पढ़ाई के लिए तो नहीं किया बल्कि उसपर ढेर सारी पोर्न फ़िल्में देखी.
डैनियल दिन के कई घंटे पोर्न देखते और धीरे-धीरे पोर्न देखने की इस लत ने उन्हें अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया. उनका किसी काम में मन नहीं लगता. कमजोरी रहती और शिथिलता बनी रहती. डैनियल केवल पोर्न देखते और हस्तमैथुन करते. शुरुआत में डैनियल को ये सब अच्छा लगा मगर बाद में इसके दुष्परिणाम उनके सामने आए. डैनियल रातों को सो नहीं पाते, सोते-सोते अचानक उठ जाते, पूरा जिस्म ठंडा रहता मगर शरीर से लगातार पसीना निकलता रहता.
डैनियल उन चुनिन्दा लोगों में है जो पोर्न की लत से बड़ी मुश्किल से बचकर बाहर आए हैं.
समय रहते डैनियल के घर वालों ने उनकी परेशानी को समझा और उन्हें डॉक्टर के अलावा मनोवैज्ञानिकों से दिखवाया जहां उनके इलाज के अलावा उनकी काउंसलिंग की गयी और आज पहले के मुकाबले डैनियल काफी ठीक हैं और उनकी पोर्न देखने की लत छूट गयी है. अमेरिका के डैनियल और उनके घरवाले जागरूक थे जिसके चलते आज डैनियल स्वस्थ हो गए हैं. मगर बात जब हमारे परिवेश में हो जहां सेक्स की बातें आज भी हव्वा मानी जाती हैं वहां पोर्न देखने के आदी हो चुके व्यक्ति के लिए सही होना और एक साधारण जीवनशैली जीना अब भी एक टेढ़ी खीर है.
जो लोग पहले पोर्न की तरफ आकर्षित होते हैं और फिर बाद में इसके आदी हो जाते हैं उनको ये जान लेना चाहिए कि पोर्न पांच चरणों में उनका जीवन प्रभावित करता है और उन्हें अपना शिकार बनाता है. आइये जानते हैं कि कैसे पोर्न व्यक्ति को अपनी चपेट में लेता है और किस तरह उनका पूरा जीवन चौपट करता है.
भारत में जिस तरह लोग पोर्न की लत का शिकार हो रहे हैं वो एक गहरी चिंता का विषय है
शुरूआती उत्सुकता - कभी दोस्तों के कारण तो कभी खुद की जिज्ञासा वश जो लोग छोटी उम्र या कच्ची उम्र में पोर्न देखना शुरू करते हैं उनकी शुरुआत उत्सुकता से होती है और यही उत्सुकता बाद में आदत का रूप ले लेती है.
आदत - उत्सुकता की दूसरी स्टेज आदत होती है. इसमें व्यक्ति बिना किसी अवरोध के पोर्न देखता और उसका लुत्फ़ लेता है. इस स्टेज में पोर्न व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन जाती है और जिस तरह वो अपने सभी जरूरी काम करता है ठीक वैसे ही वो पोर्न देखता है.
वृद्धि की प्रक्रिया - ये तीसरी स्टेज है जिसमें व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा और हर तरह का पोर्न देखना चाहता है. ये एक जाल की तरह होता है जिसमें फंसते हुए व्यक्ति खुद नहीं जानता की वो किसी तरह के ट्रैप में फंस रहा है. कह सकते हैं कि इस स्टेज में आने के बाद व्यक्ति के लिए बच के निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. इस स्टेज की सबसे खास बात ये है कि इसके अंतर्गत पहले पोर्न देखने के दौरान व्यक्ति को जो चीजें खराब लगती थी अब अब उन्हीं चीजों से उसे आनंद आता है.
असंवेदीकरण - इस स्टेज में आकार पोर्न देखते-देखते व्यक्ति का शरीर शिथिल पड़ जाता है. और वो चाहे कुछ भी दकेह ले उसे कोई उत्सुकता नहीं होती. इसमें व्यक्ति खुद पोर्न में दिखाई गयी चीजों का अनुभव करना चाहता है और उनको और उससे प्राप्त आनंद को लेकर बहुत ज्यादा बेचैन रहता है.
पोर्न को ही जीवन बना लेना- पोर्न की लत के रूप में ये सबसे खतरनाक स्टेज होती है और इसमें व्यक्ति वो सब खुद करना चाहता है जो उसने स्क्रीन में देखा है. यहां चीजें पेपर, मैगज़ीन और स्क्रीन से बाहर आ जाती हैं और वो अपनी "उत्सुकता" को किसी पर आजमाना चाहता है.
इस बिंदु को मुंबई की इस महिला के सन्दर्भ में रखकर देखें तो मिल रहा है कि उसका पति इस पांचवी स्टेज में है जो उसे लगातार अप्राकृतिक सेक्स और उससे जुड़े कृत्यों को आजमाने के मजबूर कर रहा है.
अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर क्या रुख लेती है ये तो आने वाला समय बताएगा मगर जिस तरह पोर्न के चलते उसका सुखद वैवाहिक जीवन बर्बाद हुआ वो ये बताने के लिए काफी है कि पोर्न देखना कोई शौक नहीं एक बीमारी है. एक ऐसी बीमारी जिसे यदि नहीं समझा गया और जिसका वक़्त रहते इलाज नहीं किया गया तो भविष्य में परिणाम बेहद दुखद होंगे और कहीं न कहीं इससे अपराध का भी ग्राफ बढ़ेगा.
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