पतियों के अंडरवियर धोना पत्नियों का 'फर्ज' कैसे हो गया?
उन पतियों के बारे में आपकी क्या राय है जो अपने अंडरवियर नहाने के बाद बाथरूम में जस का तस छोड़ देते हैं. उन्हें शायद ऐसा लगता है कि, इसे धोना पत्नियों का परम कर्तव्य और हमें विरासत में मिला अधिकार है. अब ऐसे पतियों से हम एक कप चाय की उम्मीद भला कैसे कर सकते हैं?
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उन पतियों (Husband) के बारे में आपकी क्या राय है जो अपने अंडरवियर (Underwear) नहाने के बाद बाथरूम (Bathroom) में जस का तस छोड़ देते हैं. शायद उन्हें ऐसा लगता है कि, इसे धोना पत्नियों का परम कर्तव्य है और यह अधिकार हमें विरासत में मिली है. अब ऐसे पतियों से हम एक कप चाय की उम्मीद भला कैसे कर सकते हैं?
दिल पर हाथ रखकर सच बताइए, क्या आपके या आपके रिश्तेदारों के घर में ऐसे प्राणी हैं, जो नहाने के बाद अपना अंडरवियर बाथरूम में छोड़ जाते हैं. वे शायद इसे अपना अधिकार और पत्नी का धर्म समझते हैं. कई बार तो अंडरवियर फर्श पर पड़े-पड़े रो रहा होता है कि, हाय किस पापी मानुष के पल्ले पड़ गया.
बेचारी महिला सुबर उठने से लेकर ही काम में लगी हुई है और ये महाशय मुझे धोना तो दूर, उठाकर बाल्टी में भी नहीं रख सकते हैं. कैसे निर्जल्ल की तरह पैर से सरका कर मुझे कोने में पटक दिया है, जैसे अब मेरे इनका वास्ता ही नहीं है.
इतिहास गवाह है कि, पतियों के अंडरवियर पत्नियां धोती आई हैं
बाथरूम के चमचमाते संगमरमर के बीच अंडरवियर मैले-कुचले अवस्था में घंटों पड़ा शर्माता रहेगा. भाई साबह इस बीच कोई बार वॉशरूम जाकर आ भी जाएंगे, लेकिन मजाल है वे जो वे अपने ही अंडरवियर को धो दें. हाथ से धोना तो दूर वे तो उठाकर वाशिंग मशीन में भी नहीं डाल सकते.
अब इसमें अंडरवियर की गलती तो है नहीं, गलती उसे पहनने वाले मालिक की है. अब अंडरवियर की जुबान तो है नहीं, वरना कभी ना कभी उसके मन की भड़ास मालिक के सामने निकल ही जाती. इतिहास गवाह है कि, पतियों के अंडरवियर पत्नियां धोती आई हैं. कुछ पुरुष तो पत्नी के ऊपर धौंस दिखाते हैं कि अंडरवियर धोना मेरा नहीं, तुम्हारा काम है.
अच्छा अंडरवियर ना धोने वाले पति के एक नखरे भी हैं कि उनके कपड़े हाथ से ही धुले होने चाहिए, मशीन से नहीं
अच्छा कई पुरुष ऐसे होते हैं जो घर के सारे काम कर लेंगे लेकिन यह एक काम नहीं कर पाते. उनके लिए यह ठीक फूली गोली रोटी बनाने जैसा है. असल में गलती उस माता-पिता की है, जो बचपन में लाडले को यह आदत सीखाते नहीं हैं. ऐसा भी हो सकता है कि उनके लाख बोलने के बाद भी बेटे ने बात मानी ही ना हो.
अब कहो मेन विल बी मेन
अगर पत्नी मायके चली गई तो पतिदेव लोग हफ्ते भर के अंडरवियर को जमा करते जाएंगे. कई बार तो वे बिना धुले अंडरवियर भी पहन कर काम चला लेंगे, लेकिय महाशय खुद से धोने की हिमाकत नहीं करेंगे. पत्नी सुबह खाना बनाएगी, टिफिन पैक करेगी, बच्चों को स्कूल के लिए तैयीर करेगी. सासू मां की दवाइयां, ससुर की चाय की खुराक पूरी करेगी.
जब सब काम हो जाएगा तब वह कपड़े धोने पर आएगी. फिर वे घर में जहां-तहां पड़े गंदे कपड़ों को समेटकर धोने जाएगी. हो सकता है कि वह वॉशरूम में पड़े अंडरवियर को देखकर बिदके, कुछ बड़बड़ाए भी लेकिन धोना तो उसे ही है, यही मानकर धोकर सुखा देगी. अब कहो मेन विल बी मेेन...
लड़कियों को मिलती है सलाह
कई पत्नियां तो पति के अंडरवियर धोने को अपना परम कर्तव्य समझती हैं. शायद उनकी मां, सास, दीदी और भाभी उन्हें यही सिखाती होंगी. यह भी हो सकता है कि वे बचपन से यही देखती आई हों. वहीं अगर कुछ पुरुष हफ्ते में एक बार अगर वाशिंग मशीन का बटन भी चालू करके ऐसे सीना चौड़ाकर घूमते हैं जैसे सारा आसमान अपने सर पर ले लिया हो. ऐसे पुरुषों को सोचना चाहिए कि कम से कम अपना काम करके तो पत्नी की मदद करनी चाहिए.
ऐसे पुरुष कम लेकिन होते जरूर हैं
हालांकि अगर हम उन पुरुषों का जिक्र ना करें, जो नहाने के बाद सिर्फ अपना अंडरवियर नहीं बल्कि सारे कपड़े भी धो लेते हैं तो बेइमानी होगी. ये पुरुष खाने के बाद अपनी थाली खुद धोने में यकीन रखते हैं, क्योंकि वे अनुशाषित होते हैं.
लड़कियां शादी का पैमाना बदल रही हैं
वैसे अंडरवियर धोने वाली पत्नियां को देखकर कुछ लड़कियों ने पहले ही समझदारी दिखानी शुरु कर दी है. वे शादी से पहले ही अपनी उम्मीदों के बारे में लड़के को बता देती हैं कि, वे खाना बना पाएंगी या नहीं, वे मशीन से ही कपड़ें धोएंगी, उन्हें मेड चाहिए या फिर उन्हें घूमना कितना पसंद है. वे खुलकर कहती हैं कि शादी के बाद घर के काम दोनों को मिलकर करना होगा...अब शादी करनी है तो करो वरना कट लो.
हो सकता है कि ऐसा बोलने वाली लड़कियां अपने पैरों पर खड़ी हैं, इसलिए इतनी हिम्मत दिखा पाती हैं. वरना जो लड़की, शादी के बाद अपने खर्चे के लिए पूरी तरह पति पर निर्भर रहेगी, वह यह सब कैसे बोल पाएगी.
पतिदेव की फरमाइशें
अच्छा अंडरवियर ना धोने वाले पति के एक नखरे भी हैं कि उनके कपड़े हाथ से ही धुले होने चाहिए, मशीन से नहीं. पत्नी भले अपने और बच्चों के कपड़े मशीन से धो लेकिन पति के कपड़ों को वो हाथ से ही धोती है. वरना वे नाराज हा जाएंगे, और अगर ऐसा हुआ तो घर का माहौल खराब होगा. इतना ही नहीं, ऐसे पतिदेव अगर कहीं रिश्तेदार के घर भी चले जाएं, तो भी अपनी इस आदत को वे नहीं छोड़ पाते.
बाथरूम में अंडरवियर देख, रिश्तेदार पहले तो नाकमुंह सिकोड़ते हैं, फिर उसके मालिक को नहीं बल्कि उनकी पत्नी का नाम पुकारते हैं. उन्हें भी शायद यही लगता है कि यह काम तो महिला का ही होता है. पति रिश्तेदारी में भी अपनी खाने, सोने और कपड़ों के साथ अंडरवियर धोने की जिम्मेदारी पत्नी पर थोप देता है. शायद यही अंडरवियर की रीत है.
याद रखिए, जो परंपरा गलत है उसमें सुधार कर बदला जाना चाहिए. अगर पति लोग खुद ही यह नेक काम कर लें तो अंडरवियर खुश, बाथरूम खुश, बाथरूम में जाने वाले खुश और पत्नी खुश...हमारी सलाह ये है कि, जो पुरुष अपना अंडरवियर नहीं धो सकता, वो आपसे लाख वादे क्यों न कर ले, बहन भरोसा मत करना.
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