तीन बातों के लिए जरूर याद रहेगा 2015 - रेप, रेप और रेप
रेप, बलात्कार या दुष्कर्म नाम जैसे भी लिया जाए इस जघन्य अपराध की चर्चा हर जगह रही. सड़कों पर गुस्सा फूटा तो कोर्ट में जख्म उभरे - और फिर संसद में भी चीखें गूंजीं.
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तीन साल बाद सजा पूरी होने पर निर्भया रेप केस के नाबालिग आरोपी की रिहाई रोकने की तमाम कोशिशें हुईं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी अर्जी खारिज कर दी. हां, राज्य सभा ने जुवेनाइल जस्टिस बिल जरूर पास कर दिया. 16 दिसंबर को ही जंतर मंतर पर निर्भया की मां ने बताया कि उसका नाम ज्योति सिंह था - और वो चाहती हैं कि आगे से उसे असली नाम से ही जाना जाए.
वैसे रेप, बलात्कार या दुष्कर्म नाम जैसे भी लिया जाए इस जघन्य अपराध की चर्चा हर जगह रही. सड़कों पर गुस्सा फूटा तो कोर्ट में जख्म उभरे - और फिर संसद में भी चीखें गूंजीं.
सीन - 1 [नेता]
बलात्कार को लेकर पहले की तरह इस साल भी तरह तरह के गैर जिम्मेदाराना बयान आए और सुर्खियों में छाए रहे.
सामूहिक बलात्कार को तो समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने पूरी तरह खारिज ही कर दिया, बोले, "प्रैक्टिकल में ऐसा मुमकिन ही नहीं..."
मुलायम ने अपनी बात को डिटेल में एक्सप्लेन भी किया, "अक्सर ऐसा होता है कि अगर एक आदमी रेप करता है, और शिकायत में चार लोगों का नाम होता है... रेप के लिए चार लोगों पर आरोप लगता है, लेकिन क्या ऐसा मुमकिन है...? यह प्रैक्टिकल नहीं है... वे शायद कहते होंगे, एक देख रहा था, दूसरा भी वहां था... अगर चार भाई होते हैं, तो चारों का नाम लिया जाता है..."
बिलकुल अपने नेताजी की ही लाइन पर चलते हुए समाजवादी पार्टी के ही एक और नेता तोताराम यादव ने एक्सपर्ट राय दी, "क्या है बलात्कार? ऐसी कोई चीज नहीं है. लड़के और लड़कियों की आपसी सहमति से होते हैं बलात्कार."
रेप पर मुलायम का एक और बयान खासा चर्चित रहा. एक सभा में मुलायम ने कहा था, "जब लड़के और लड़कियों में कोई विवाद होता है तो लड़की बयान देती है कि लड़के ने मेरा बलात्कार किया. इसके बाद बेचारे लड़के को फांसी की सजा सुना दी जाती है. बलात्कार के लिए फांसी चढ़ा दिया जाएगा? लड़के हैं, लड़कों से गलती हो जाती है."
'मिड डे' अखबार से बातचीत में समाजवादी पार्टी नेता अबू आजमी ने एक नई थ्योरी ही दे डाली, “इस्लाम के अनुसार बलात्कार के दोषी को फांसी की सजा दी जानी चाहिए लेकिन इसके लिए महिलाओं को कुछ नहीं होता, सिर्फ पुरुषों को सजा दी जाती है. महिलाएं भी दोषी हैं.”
गोवा में दिल्ली की दो लड़कियों से गैंग रेप की खबर आई तो वहां के पर्यटन मंत्री दिलीप पारुलेकर एक तरह से गारंटी लेते नजर आए, "वे लड़के नादान हैं और उनके खिलाफ छोटे-मोटे आपराधिक मामले दर्ज हैं. इस तरह की घटना भविष्य में दोबारा नहीं होगी."
सुर्खियों के साथ साथ सोशल मीडिया पर ऐसे बयान छाए रहे. लोगों ने बयानबाजों की खूब खबर भी ली और टिप्पणियों से छीछालेदर भी किया. संसद में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नेताओं को सोच समझ कर बोलने की सलाह दी.
सीन - 2 [संसद]
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में कहा, "जब भी ऐसी घटना होती है हमें केवल आत्ममंथन नहीं करना चाहिए बल्कि कार्रवाई करनी चाहिए... हम महिलाओं और बहनों की गरिमा से खेल रहे हैं. लोग और पीड़ित लंबे समय तक इंतजार नहीं करेंगे."
मोदी ने आगे कहा, "मैं हमारे राजनेताओं से अपील करता हूं कि हमें बलात्कारों का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण नहीं करना चाहिए... इस प्रकार की बयानबाजी करना शोभा देता है क्या?... क्या हम मौन नहीं रह सकते? महिलाओं का सम्मान और सुरक्षा सभी लोगों के लिए शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए."
निर्भया केस के नाबालिग अपराधी पर नये कानून का असर नहीं |
निर्भया कांड के नाबालिग अपराधी की रिहाई पर रोक लगाने से दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के इंकार के बाद नेता काफी दबाव महसूस करने लगे. निर्भया यानी ज्योति सिंह के माता पिता लोगों के साथ जगह जगह प्रदर्शनों में हिस्सा लेने लगे. नेताओं, मंत्रियों और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा. आखिरकार, अधिकार कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों की फिक्र को दरकिनार करते हुए राज्य सभा में किशोर न्याय अधिनियम (बाल देखभाल और संरक्षण) पास कर दिया गया. लोक सभा में इसे पहले ही पास किया जा चुका था. इसे कानूनी रूप लेने के बाद जघन्य अपराध करने वाले 16-18 की उम्र के बच्चों पर वयस्कों की तरह मुकदमा चलाए जाने का रास्ता साफ हो जाएगा. वैसे सजा उनके 21 साल पूरे होने पर ही दी जा सकेगी. ये मौजूदा किशोर न्याय अधिनियम, 2000 की जगह लेगा.
सीन - 3 [कोर्ट]
नेताओं के बयान, संसद में बहस और फिर बिल को मंजूरी तो मिली ही, बलात्कार के कई ऐसे मामले कोर्ट पहुंचे जिन्हें सुन कर रूह कांप उठे. गुजरात हाई कोर्ट में ही एक स्कूली छात्रा से बलात्कार का मामला पहुंचा जिसके चलते वो गर्भवती हो गई थी. छात्रा के पिता ने हाई कोर्ट से अबॉर्शन की इजाजत मांगी, लेकिन कोर्ट ने कानूनी मजबूरी के चलते अपील नामंजूर कर दी. फिर पिता ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने अबॉर्शन की इजाजत तो दी लेकिन तभी जब मेडिकल पैनल ऐसा जरूरी समझता हो. कोर्ट के आदेश पर स्त्री रोग विशेषज्ञों और एक क्लिनिकल सायकॉलॉजिस्ट को मिलाकर एक पैनल बनाया गया जिसने जांच के बाद अबॉर्शन कराने की सलाह दी. बाद में पैनल की देखरेख में अबॉर्शन हुआ.
गुजरात हाई कोर्ट में ही एक मामला बोटाड जिले से पहुंचा. पति और दो बच्चों के साथ हंसती खेलती जिंदगी जी रही एक महिला को कुछ बदमाशों ने अगवा कर लिया और महीनों लगातार बलात्कार करते रहे.
आज तक संवाददाता गोपी मनियार से बातचीत में महिला ने आपबीती सुनाने हुए कहा, "उन्होंने करीब आठ महीने तक रोज मेरा बलात्कार किया. चार लोग तो नियमित थे, बाकी आते-जाते रहते थे. अगर मैं कुछ ऐसा करती जो उन्हें पसंद न आता तो वह मुझे पीटते. रोने में भी डर लगता था." बलात्कार के बाद उसका गर्भ ठहर गया और जब हाई कोर्ट से गर्भपात की इजाजत नहीं मिली तो उसे बच्चे को जन्म देना पड़ा. जब ससुराल में जगह नहीं मिली तो वो मायके चली गई. लेकिन उसकी मुश्किलें कम होने की जगह बढ़ती ही गईं.
तमिलनाडु के कुड्डलूर से बलात्कार का एक मामला मद्रास हाई कोर्ट पहुंचा. निचली अदालत ने 2012 में बलात्कारी को सात साल की सजा और दो लाख का जुर्माना भी लगाया था. मगर हाई कोर्ट ने अलग स्टैंड लिया. मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस पी देवदास ने अपने अंतरिम निर्देश में कहा कि पीड़ित को एडीआर के तहत मध्यस्थता करवानी चाहिए क्योंकि सुलह के लिए ये सही केस है. हाई कोर्ट ने बलात्कार के आरोपी से पीड़िता की शादी के लिए सुलह करने की हिदायत भी दी. कुछ ही दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी बातों को महिलाओं के सम्मान के खिलाफ माना. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद हाई कोर्ट को आदेश निरस्त करना पड़ा.
42 साल कोमा में रहीं अरुणा शानबाग |
बरसों कोमा में रहने के बाद नर्स अरुणा शानबाग ने आखिरकार 2015 में दम तोड़ दिया. 27 नवंबर, 1973 को मुंबई के केईएम हॉस्पिटल के वार्ड ब्वॉय सोहनलाल वाल्मिकी ने अस्पताल की जूनियर नर्स अरुणा के साथ रेप किया और आवाज को दबाने के लिए उसने कुत्ते के गले में बांधी जाने वाली चेन से उसका गला जोर से लपेट दिया. गला काफी देर तक दबे रहने के कारण अरुणा के दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन की कमी हो गई जिसके चलते वो कोमा में चली गईं.
अरुणा जिस हॉस्पिटल में काम करती थीं, जहां उनके साथ बलात्कार हुआ, वहीं उन्होंने 42 साल कोमा में बिताए और 18 मई 2015 को आखिरी सांस ली.
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