जानवर जंगल में हो या फिर पिंजरे में, उसे 'अंगुली' बिल्कुल पसंद नहीं होती!
चिड़ियाघर की वो कहानियां जो ये बताएंगी कि अगर जानवर को छेड़ा गया तो जानवर का उग्र और हिंसक होना लाजमी है. यदि ऐसा हो गया तो फिर इंसान का बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है
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क्या बच्चा, क्या बूढ़ा. चिड़ियाघर सभी को आकर्षित करते हैं. चिड़ियाघर में हम उन जानवरों को देखते हैं जिन्हें हमने किताबों में देखा होता है जैसे श से शेर. ब से बंदर. भ से भालू. च से चीता. ग से गेंडा. चिड़ियाघर चले जाइए. टिकट विंडो के पास लगी लाइन देखिये. जानवरों के बाड़ों के बाहर खड़े और शोर मचाते लोगों का हुजूम देखिये. लोगों के उस शोर को इग्नोर करते हुए जानवरों को देखिये. पूरा नजारा सच में बड़ा दिलचस्प होता है.
चिड़ियाघर में जानवर देखना रोमांचक तो रहता है, लेकिन कई बार खतरनाक भी.
अब ऐसा हरगिज नहीं है कि हर बार आप जानवर को डिस्टर्ब करेंगे और वो चुप रहेगा. हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है. चिड़ियाघर में भी होती है. तो इसी क्रम में हम आपको कुछ ऐसे ही zoo encounters से अवगत करा रहे हैं जिनको सुनना जितना रोमांचक है. यदि खुद पर रखकर महसूस करें तो डर लगेगा रौंगटे खड़े हो जाएंगे.
सैंटिनो की सिर्फ शक्ल मासूम है वरना था ये बड़ा शातिर
सैंटिनो, पत्थर फेंकने वाला चिम्पांजी
चिम्पांजी बहुत आक्रामक और हम इंसानों की तरह होते हैं. ये इतने आक्रामक होते हैं कि, कब युद्ध जैसी स्थिति हो जाए कुछ पता नहीं. अब सैंटिनो को ही ले लीजिये . स्वीडन के फुरुविक जू में रहने वाला सैंटिनो है तो दिखने में बड़ा क्यूट सा चिम्पांजी मगर वक़्त हालात और लोगों की भीड़ ने उसे इतना अग्रेसिव बना दिया है कि पूछिये मत. अगला इंसान देख ले तो कभी पत्थर तो कभी चट्टान के टुकड़े लेकर उन्हें दौड़ा लेता है और वार कर देता है.
वो तो अच्छा है ये बाड़े में जहां रहता है वहां एक 5 फुट की दीवार और 30 फिट का गैप है. यदि इन्हें हटा दिया जाए तो रोज ही खबर आएगी कि सैंटिनो ने पत्थर मारकर किसी का सिर फोड़ दिया तो किसी का हाथ तोड़ दिया. सैंटिनो ऐसा क्यों हुआ इसकी वजह बड़ी दिलचस्प है.
बात 2009 की है. सैंटिनो सुबह उठता और काम में जुट जाता. वो अपने पास पत्थर जमा करता और जब 11 बजे जू खुलता और उसे देखने लोग आते.. अटैक! अच्छा शुरू शुरू में जू अधिकारियों ने इसे इग्नोर किया मगर जब अति हो गई तो सैंटिनो का बधियाकरण कर दिया गया मगर नतीजा निकला वही ढाक के तीन पात. सैंटिनो और ज्यादा अग्रेसिव हो गया और अब जो भी उसे देखने जाता है वो अपने रिस्क पर जाता है.
गूगू ने जितने भी हमले किये उनमें दिलचस्प ये था कि उसमें उसने सभी के पैरों को निशाना बनाया
गूगू द बाइटिंग पांडा
सैंटिनो के बाद अब हम आपको मिलवाते हैं गू गू से. गू-गू एक पांडा है जो शक्ल सूरत के लिहाज से क्यूट हैं मगर धोखा तब हो जाएगा जब आप इसके पास जाएंगे. बात 2006 की है बीजिंग जू में घूमने एक 35 साल का पर्यटक आया. पर्यटक ने 'पी' रखी थी और वो खुमार में था. उसे न जाने क्या सूझा उसने पांडा को करीब से महसूस करने का सोचा. न जाने कैसे वो पिंजरे के अन्दर घुसा और गू-गू ने उसके दोनों पैरों को अपने मुंह में दबोच लिया. गू-गू ने न सिर्फ उस चीनी पर्यटक के पैरों पर अटैक किया बल्कि उसकी पीठ पर भी वार किये.
इसके बाद 2007 में भी गू-गू ने एक 15 साल के लकड़े पर हमला किया. हमला कितना खरतनाक था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 240 पाउंड के पांडा द्वारा अटैक किये जाने के बाद लड़के के पैर की हड्डियां तक दिख रही थीं.
इसके बाद गू-गू कुछ दिनों तक शांत रहा मगर 2009 में फिर उसने एक बड़ा हमला किया. इस बार उसने एक 28 साल के पिता को अपना निशाना बनाया जो अपने बेटे के साथ खेल रहा था. गू-गू ने हमेशा की तरह उस बार भी पैरों पर हमला किया. घटना को बीते लम्बा वक़्त हो गया है मगर सवाल जस का तस है आखिर गू-गू को किसी के पैरों से इतनी नफरत क्यों थी.
ईश्वर ही जाने कि क्या हुआ शेरोन स्टोन के पति को नजदीक से कोमोडो ड्रैगन देखने की सनक सवार हुई
कोमोडो ड्रैगन जिसने हॉलीवुड एक्ट्रेस शेरोन स्टोन के पति पर हमला किया.
बात 2001 की है. हॉलीवुड एक्ट्रेस शेरोन स्टोन के पति को न जाने क्या सूझा उन्होंने करीब से कोमोडो ड्रैगन देखने की सोची. चूंकि शेरोन से उनके पति फिल ब्रोंस्टीन कोमोडो देखने की जिद कर रहे थे, थक हारकर शेरोन ने भी उनके लिए कोमोडो देखने का प्रबंध किया. शेरोन पति को लेकर लॉस एंजिल्स चिड़ियाघर गई.
जब वो वहां पति के साथ आईं तब उनके पति ने सफ़ेद जूते पहने थे. सफ़ेद जूते देखकर कोमोडो के कीपर ने उन्हें पहले ही सचेत कर दिया था कि प्लीज जूते उतार के अन्दर जाएं कोमोडो इसे अपना भोजन समझ सकती है. पति ब्रोंस्टीन सेलेब्रिटी आदमी. बात नहीं मानी और जूते पहन कर अन्दर चले गए और लेने के देने पड़ गए.
कोमोडो तो जानवर उसे लगा कोई टेस्टी सा मोटा तगड़ा सफ़ेद चूहा है जो उसके खाने के लिए आया है. उसने उनके पैरों पर हमला कर दिया. हमला कितना तेज था इसे ऐसा समझा जा सकता है कि एक बार को कोमोडो ने शेरोन के पति का पैर पकड़ा छोड़ने का नाम ही नहीं लिया जिस कारण उन्हें जबरदस्त चोट आई. मॉरल ऑफ द स्टोरी ये है कि जू में कोमोडो देखने जरूर जाइए मगर सफ़ेद जूते पहन कर हरगिज न जाइए.
किसी जमाने में एक आरंगुटान शूशन चिड़ियाघर में आतंक का पर्याय था
शूशन चिड़ियाघर का आतंक
चिड़ियाघर में इंसानों पर जानवरों के अटैक का एक अन्य लोकप्रिय मामला है ताइवान के शूशन चिड़ियाघर से. शूशन चिड़ियाघर के बारे में सबसे दिलचस्प तथ्य ये भी है कि इसे रखरखाव के मामले में सबसे बुरा चिड़ियाघर कहा जाता है. बात 2007 की है. यहां एक साल्ट वाटर क्रोकोडाइल ने एक आदमी के हाथ को इस तरफ धड़ से अलग किया कि जिसने भी उसे देखा उसके रौंगटे खड़े हो गए और वो सहम गया. इसके बाद ये जू तब आया था जब यहां से एक गुस्सैल आरंगुटान फरार हो गया.
हुआ कुछ यूं था कि एक आरंगुटान को यहां लाया तो गया मगर उसे ये जगह पसंद नहीं आई और उसने यहां से फरार होने की सोची वो रोज अपने पिंजड़े की सलाखों को चेक करता एक दिन उसे एक कमजोर सलाख मिली और आरंगुटान अपने काम पर जुट गया. उसने उसे इतना हिलाया कि वो टूट गयी और वो फरार हो गया.
बताया जाता है आरंगुटान ने अपने फरार होने के बाद चिड़ियाघर में खूब आतंक मचाया और कई लोगों को घायल किया. इस घटना के बाद तो भइया यकीन हो गया कि जानवर इंसानों से ज्यादा समझदार होता है और अगर वो अपनी पर आ जाए तो कुछ भी कर सकता है.
हमले के लिहाज से टपीर को भी काफी आक्रामक माना जाता है
टपीर का हमला
पहली नजर में देखें तो टपीर बड़े अजीब लगते हैं. इनको देखकर महसूस होता है कि सूअरों के साथ कोई प्रयोग हुआ है जिसके चलते वो पतले और उनकी नाक लम्बी हो गई है. दिखने में ये भले ही शांत लगें मगर होते बड़े खतरनाक हैं. बात यदि मादा की हो तो ये और ज्यादा खतरनाक होती है. ये जानवर कितना खतरनाक है इसे कोई समझे या समझे मगर लीसा मोरहेड समझती हैं.
बात 1998 की है लीसा का टपीर के साथ क्लोज एनकाउंटर हुआ और उनकी जान जाते जाते रह गई.1998 में मोरहेड ओकलाहोमा सिटी चिड़ियाघर की एनिमल कीपर थीं. उस दौरान वो मेलोडी नाम की टपीर को खाना देने पहुंची और जब वो मेलोडी को खाना दे रही थीं तो उसका 2 महीने का शावक भी वहां मौजूद था. मेलोडी को कीपर से खतरा महसूस हुआ और उसने अपनी कीपर यानी मोरहेड पर हमला कर दिया और उसे घसीटके अपने पिंजड़े में ले गई और उसके हाथ को दो टुकड़ों में कर दिया.
इस घटना के बाद टपीर के हमले का एक अन्य मामला डब्लिन जू से भी सामने आया था जहां एक मादा टपीर ने एक दो साल की बच्ची का पेट फाड़ दिया. इन घटनाओं को देखकर हमें समझ लेना चाहिए कि जब मम्मी एनिमल बेबी एनिमल के साथ हो तब वहां नहीं जाना चाहिए.
ये जानते हुए कि टाइगर खतरनाक है हमें उनसे मजाक तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए
टाटियाना द टाइगर
किसी जमाने में सैन फ्रांसिस्को जू में टाटियाना का राज था. टाटियाना करीब 300 पाउंड की साइबेरियन बाघिन थी. बात फरवरी 2001 की है. चूंकि जाड़ा था इसलिए ठंड से बचने के लिए टाटियाना अपने पिंजड़े में दुबकी बैठी थी कि तभी उसका कीपर आया और उसके आराम में खलल डालने का काम किया और मारे गुस्से के उसने उसका हाथ धड़ से अलग कर दिया.
इसके बाद 2007 में जो टाटियाना ने किया या बल्कि जो उसके साथ हुआ वो कहीं खतरनाक था. 3 लड़के जू घूमने आए अच्छा क्योंकि ठंड थी तो जू में ज्यादा भीड़ नहीं थी. लड़कों ने कोना पकड़ के गांजा पिया और जब वो नशे में धुत होकर फैंटम बन गए उन्होंने बाघिन के पास जाने की सोची. बाघिन चुपचाप एक कोने में बैठी थी. लड़के नशे में थे उन्होंने बेमतलब की अंगुली की बाघिन पर पत्थर बरसाए, उसपर लकड़ी फेंकी. बाघिन बेचारी कब तक चुप रहती. गुस्सा आना स्वाभाविक था वो उठी और उसने लड़कों को दौड़ना शुरू कर दिया.
तब तक लड़कों का भी सारा नशा हिरन हो गया मगर देर हो गई थी. उसने 23 साल के कुलबीर पर वार किया इस बीच उसका दोस्त सौसा उसे बचाने के लिए सामने आया और चिल्लाना शुरू किया. बाघिन ने कुलबीर को तो साइड में फेंका और झट से अपने पंजों से सौसा का टेंटुआ दबा दिया. इस बीच कुलबीर को भागने का मौका मिल गया और उसने वहीं जू में एक कैफे की तरफ दौड़ लगाई.
बाघिन भी कहां मानने वाली थी उसकी आंखों में खूब सवार था उसने कुलबीर और उसके भाई का पीछा किया मगर तब तक 4 पुलिस वाले आ गए और उन्होंने बाघिन पर ओपेन फायर किया और बाघिन ने दम तोड़ दिया. बताया जाता है कि बाद में कोर्ट ने जू को निर्देशित किया कि वो कुलबीर दहीवाल और सौसा को मुआवजा दे जिसके चलते जू को कुलबीर को 9 लाख डॉलर का मुआवजा देना पड़ा. सौसा को भी जू की तरफ से मुआवजा दिया गया मगर कितना दिया गया इस बात की कोई जानकारी नहीं है.
उपरोक्त बातों को पढ़कर एक बात तो साफ हो गई है कि भले ही इंसान को ये लगे कि जानवर पिंजड़े में है तो वो उसके साथ कुछ भी कर सकता है. मगर जानवरों को छेड़ते हुए इंसान को ये जरूर सोचना चाहिए कि यदि जानवर अपनी पर आ गया तो न सिर्फ उसके लिए भागना मुश्किल होगा बल्कि उसे अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ सकता है.
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