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Updated: 17 अक्टूबर, 2016 10:43 PM
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बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी...इससे तो सभी वाकिफ हैं. लेकिन खतरनाक तो तब है जब बात आधी-अधूरी निकले क्योंकि फिर उसके मतलब हजार निकलते हैं और हजार तरीके से निकलते हैं. जावेद मियांदाद और शाहिद अफरीदी के बीच हाल के दिनों में जो कुछ हुआ और फिर जिस तरह से सारा माजरा बदला...बात उसी की हो रही है. पाकिस्तान क्रिकेट में पिछले कुछ दिनों से जो मेलोड्रामा चल रहा था वो भले ही खत्म हो गया लेकिन इसने साबित कर दिया कि आतंकवाद की तरह क्रिकेट में फिक्सिंग और सट्टेबाजी करने वाले आका भी वहीं बैठे हैं.

ये बात यूं ही नहीं कही जा रही. चार दिन पहले तक एक-दूसरे को अनाप शनाप कहने वाले जब अचानक गलबहियां करने लगें तो सवाल उठने तो जायज हैं. थोड़े राज शोएब अख्तर ने भी खोल दिए है और फिर जो पूरी कहानी बन रही है वो पाकिस्तान के क्रिकेट प्रेमियों की आंखे खोलने के लिए काफी है.

पहले जान लीजिए पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान क्रिकेट में क्या हुआ. देखिए ये वीडियो...एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कैसे अफरीदी ने मियांदाद पर तंज कसा. इसके बाद मियांदाद ने लाइव टीवी पर अफरीदी को लेकर जो कुछ कहा वो सबको चौंका गया.

लेकिन अब ड्रामे का दूसरा हिस्सा देखिए. मामला बढ़ा तो मियांदाद ने माफी मांग ली और अफरीदी उन्हें अपना बड़ा भाई बताने लगे. मियांदाद ने कहां जो कहा गुस्से में कहा. लेकिन ये समझ से परे है कि आप गुस्से में किसी को चोर की औलाद, पैसे लेकर मैच फिक्स करने वाला कैसे कह सकते हैं! ये कैसा गुस्सा...

अब सवाल उठता है कि ये गलबहियां क्यों. एक-दूसरे को पैसे का भूखा बताने वाले ये दोनों 'महान खिलाड़ी' अचानक बदल कैसे गए? वैसे, मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से ये खबर भी आई कि जब मियांदाद साहब के समधी दाउद इब्राहिम के कानों झगड़े की बात पहुंची तो उसने शाहिद अफरीदी को धमकाया और मुंह बंद रखने की नसीहत दी. मैच फिक्सिंग का सबसे बड़ा खेल खेलने वाला अंडरवर्ल्ड डॉन पाकिस्तान के एक बड़े खिलाड़ी का समधी है. ये सब जानते हैं. अब आप ये भी सोचिए कि इस रिश्ते की शुरुआत क्यों और कहां से हुई होगी.

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 ऐसा ड्रामा देखा है कभी...

शोएब अख्तर ने कराया सुलह?

शोएब अख्तर ने पाकिस्तान के जियो न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि मियांदाद और अख्तर के बीच सुलह कराने में उनकी भूमिका अहम थी. उन्होंने ही इसकी पहल की और सब ठीक हो गया. सुलह कराना अच्छी बात है लेकिन अख्तर ने जो कहा वो काफी दिलचस्प है..चौंकाने वाला है.

बकौल अख्तर, 'दोनों के बीच के मसले को बातचीत के जरिए सुलझाना ही एक एक रास्ता था. मैंने दोनों से फोन पर बात की और मसले को कोर्ट से बाहर सुलझाने को कहा. अगर ये मामला अदालत पहुंचता तो फिर कई नाम इसमें शामिल होते. मेरी मुख्य चिंता यही थी. मैंने अफरीदी को कहा कि वे कोई कानूनी नोटिस नहीं भेजें और मियांदाद भाई को भी सलाह दी कि वे अपने गुस्से पर काबू रखें और पब्लिक कुछ भी विवादास्पद न बोले. उन्होंने जरूर कुछ गैरजरूरी बातें करते सीमा को लांघा.'

अख्तर की चिंता देखिए. वो यहीं नहीं रूके और कहा कि मियांदाद और अफरीदी का झगड़ा विवादों के कई पिटारे खोल देता और विश्व क्रिकेट में पाकिस्तान की छवि की ऐसी-तैसी हो जाती. अख्तर ये भी कहने से नहीं चूके कि 1996 में मैच फिक्सिंग चरम पर था.

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अख्तर के शब्दों में, 'तब पाकिस्तान क्रिकेट का ड्रेसिंग रूम अजीब रहस्यों वाला लगता था. मेरा विश्वास कीजिए, वो सबसे खराब ड्रेसिंग रूम था.' अख्तर साथ-साथ ये भी कहते गए कि उनका इन चीजों से कभी पाला नहीं पड़ा. वह इन बातों से दूर ही रहे और पाकिस्तान टीम में आने वाले कई नए खिलाड़ियों को आगाह भी किया. इसमें मोहम्मद आमिर भी थे जो 2010 में लंदन में स्पॉट फिक्सिंग में पकड़े गए.

मियांदाद-अफरीदी के रार पर वसीम अकरम का ट्वीट

शोएब अख्तर ने जो कहा वो नया तो नहीं...

90 के दशक में केवल पाकिस्तान नहीं, भारत सहित पूरी दुनिया की क्रिकेट फिक्सिंग के जाल में फंसी थी. लेकिन पाकिस्तान की कहानी निराली है. वो इसलिए कि उस समय जो सवालों के घेरे में थे वो आज भी पाकिस्तान क्रिकेट पर अच्छी पकड़ रखते हैं. 90 के दशक में पहली बार जब पाकिस्तान क्रिकेट में फिक्सिंग की बात सामने आई थी तब न्यायिक जांच कमेटी ने सलीम मलिक और अता-उर-रहमान पर जिदंगी भर के लिए बैन लगाने की बात की थी. दोनो बैन हुए. साथ ही पांच अन्य खिलाड़ियों पर जांच में सहयोग नहीं देने के लिए जुर्माना लगाने की भी बात कही गई. इनमें से एक मुश्ताक अहमद पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के स्पिन बॉलिंग कोच हैं.

जबकि दूसरे वकार यूनिस कुछ महीनों पहले तक टीम के कोच थे. जबकि ये दोनों भी अपने समय के दिग्गज खिलाड़ी रह चुके हैं. इनकी जबर्दस्त फैन फॉलोइंग है. लेकिन इनसे पाक क्रिकेट बोर्ड ने कभी कोई सवाल नहीं पूछे. जरूरत भी नहीं समझी गई. एक ही टीम के अगर पांच खिलाड़ी जांच में सहयोग न दो रहे हों, दो बैन हो जाते हों. तो कल्पना कीजिए, तब पाकिस्तान की टीम कैसी रही होगी. और अब महान खिलाड़ी का तमगा लिए इनमें से कितने वहां घूम रहे होंगे...!!

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