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Updated: 01 जुलाई, 2015 05:22 PM
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क्रिकेट फास्ट हो गया है. इसके सभी खिलाड़ी योद्धा! यही कारण है कि क्रिकेट की लड़ाई अब सिर्फ 22 गज की पिच पर नहीं होती है. इसका दायरा बढ़ गया है. मैच या सीरीज से पहले ही यह लड़ाई शुरू हो जाती है और खेल के खत्म होने के बाद भी जारी रहती है. विज्ञापन की दुनिया में लड़ी जाती है यह लड़ाई. कभी हारने वाले के साथ 'धोखा-धोखा' किया जाता है तो कभी हारे हुए खिलाड़ियों को आधा गंजा कर दिया जाता है.

इंडियन क्रिकेट टीम कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश से वनडे सीरीज हार कर आई. भारतीयों की इस हार में अपना पदार्पण सीरीज खेल रहे मुस्तफिजुर रहमान ने अहम भूमिका निभाई थी. और मुस्तफिजुर रहमान बने बांग्लादेश के नए हीरो. बांग्लादेश के प्रमुख अखबार 'प्रोथोम ओलो' ने अपने हीरो को भुनाया. अखबार ने एक विज्ञापन छापा है. इसमें मुस्तफिजुर के हाथ में कटर है और उसके नीचे 7 इंडियन प्लेयर हैं, जिनका आधा सिर मूड़ दिया गया है. मानो मुस्तफिजुर ने इनकी आधी हजामत बनाई हो.

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आधे गंजे इंडियन प्लेयर्स और हाथ में कटर लिए मुस्तफिजुर रहमान


अब जो होना था, सो हुआ - मचा बवाल. इंडिया में भी, बांग्लादेश में भी. लेकिन क्यों? बवाल के बीच कहीं दब गया यह सवाल. इंडियन टीम के  बांग्लादेश जाने से पहले स्टार स्पोर्ट्स ने एक ऐड बनाया था - बच्चा ऐड. दूसरे मैच को जीत कर सीरीज पर कब्जा कर लेने के बाद बांग्लादेश के अनाउंसर ने बच्चा ऐड चलाया और अंत में कहा - बच्चे नहीं हैं हम, हम बाघ हैं. इसी ऐड-वॉर की अगली कड़ी है - आधा गंजा ऐड.     

विज्ञापन से उठे बवाल को भूल जाएं. पिछले दो-चार वर्षों से बन रहे विज्ञापनों को याद करें - आग उगलते बैट. गेंद नहीं, आग का गोला. आईपीएल के विज्ञापनों का क्या कहना - उनमें तो क्रिकेट नहीं युद्ध की तैयारी दिखाई जाती है. कुछ विज्ञापन तो ऐसे होते हैं, जो प्रथमदृष्टया खबर लगती हैं, लेकिन होते वो भी शुद्ध विज्ञापन ही हैं. अब देखिए न, एशेज शुरू होने वाले हैं. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाड़ियों के साथ-साथ पूर्व खिलाड़ी भी वाक्-युद्ध में जुट गए हैं. दरअसल यह विज्ञापन है - किसी टीम के लिए नहीं, पूरी सीरीज के लिए.

विज्ञापन का आधार होता है - शुद्ध व्यापार. आपने व्यापार के लिए किसी को 'बच्चा' कहा, किसे के साथ 'धोखा-धोखा' खेला. किसी ने अपने व्यापार के लिए आपको आधा गंजा कर दिया. इसमें गलत या विरोधाभाष कहां है? और अगर आपको लगता है कि यह क्रिकेट के साथ न्याय नहीं है, खेल भावना के दायरे से बाहर है, तो 22 गज की पिच पर जलवा दिखाइए... उन्हें पूरा गंजा कर आइए. रोका किसने है?

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लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

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