एशेज 2005: धोखे से इंग्लैंड ने हराया था ऑस्ट्रेलिया को!
90 के दशक के बाद से लेकर अब तक ऐसा कोई टेस्ट सीरीज नहीं हुआ, जिसने रोमांच के मामले में 2005 के एशेज को पीछे छोड़ने का माद्दा रखा हो. अब यह विवादों में है क्योंकि...
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लाल और सफेद गेंद के खेल में पिंक बॉल को घुसाया गया... दर्शकों की घटती संख्या को देखते हुए डे-नाइट मैच खेला गया... सिर्फ इसलिए क्योंकि टेस्ट ही क्रिकेट की आत्मा है और इसका जिंदा रहना जरूरी है. वनडे और टी-20 क्रिकेट के रोमांच के बीच असली क्रिकेट का मजा क्या होता है - यह उनसे पूछिए जिन्होंने 2005 का एशेज सीरीज देखा हो. मैंने देखा है - कॉलेज बंक करके. और मुझे इसका कोई पछतावा नहीं. 80 के दशक और उससे पहले का पता नहीं, लेकिन 90 के बाद से लेकर अब तक कोई ऐसा टेस्ट सीरीज नहीं हुआ, जिसने रोमांच के मामले में 2005 के एशेज को पीछे छोड़ने का माद्दा रखा हो. पूरी सीरीज आज फिर से आंखों के सामने है क्योंकि तब के हीरो रहे एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने अपनी टीम को धोखे से जीता हुआ बताया.
2005 में इंग्लैंड को एशेज जीत धोखे से मिली थी! वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि एंड्रयू फ्लिंटॉफ को लगता है कि तीसरे टेस्ट मैच में सब्सटिट्यूट फिल्डर टीम का 12वां खिलाड़ी न होकर एक स्पेशलिस्ट फिल्डर था! मैं नहीं जानता कि आपने मीडिया में चर्चा के दौरान क्या सोचकर यह बात कही लेकिन मैं आपसे सहमत नहीं हूं फ्लिंटॉफ साहब. आपके अपने कारण होंगे लेकिन मेरी असहमति के भी पर्याप्त कारण हैं :
- जिस चर्चा के दौरान आपने अपनी ही टीम पर 'धोखा' करने का आरोप लगाया, वहां चर्चा ही इस पर हो रही थी कि ऐतिहासिक डे-नाइट टेस्ट के दौरान ऑस्ट्रेलियन टीम के द्वारा उनके फिजियो से फिल्डिंग क्यों करवाई गई.
- जिस 'धोखे' के बारे में आपने कहा है, उसको लेकर 2005 में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग ने आपत्ति जताई थी और उस आपत्ति को नकार दिया गया था. जिस बात पर तब हल्ला नहीं मचा था, 10 साल बाद उस बात को कहने का क्या अर्थ रह जाता है?
- ऐतिहासिक डे-नाइट टेस्ट में ऑस्ट्रेलियन साइड की ओर से फिजियो से फिल्डिंग करवाने को अगर न्यूजीलैंड टीम तवज्जो नहीं दे रही है, तो आप अपनी टीम का चरित्र हनन क्यों कर रहे हैं?
- क्रिकेट में यह पहला मौका नहीं है जब ऐसे विवाद सामने आए हों. बॉडी लाइन सीरीज से लेकर अंडरआर्म बॉलिंग तक तमाम ऐसे उदाहरण हैं, जो विवादास्पद रहे हैं. लेकिन ये सभी तब के क्रिकेटिंग नियम के अनुसार थे और 2005 में आपकी भी टीम ने नियमों के अनुसार ही गैरी प्रैट को फिल्ड में उतारा था.
2005 एशेज सीरीज के आप हीरो थे. उस छवि को बनाए रखें. विवादों से बचें. आपके आरोप उस ऐतिहासिक सीरीज की यादों को धूमिल नहीं कर सकते जब एशेज के इतिहास में 2 रन के अंतर (सबसे कम अंतर) से एक टीम जीतती है, एक विकेट के लिए मैच ड्रॉ हो जाता है.
क्या हुआ था 2005 में
2005 एशेज सीरीज में तीन टेस्ट खेला जा चुका था. सीरीज 1-1 से बराबर था. चौथे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में 218 रन पर ऑल आउट कर कप्तान माइकल वॉन ने मेहमान टीम को फॉलो-ऑन खेलने पर मजबूर किया. दूसरी पारी में 155 रन पर 2 विकेट के नुकसान पर ऑस्ट्रेलिया मजबूत दिख रही थी तभी सब्सटिट्यूट फिल्डर गैरी प्रैट ने कप्तान रिकी पोंटिंग को रन आउट कर दिया था. पोंटिंग ने इस पर अपनी आपत्ति जताई थी.
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