एक ब्रा के लिए विंबलडन में खाप जैसा सीन
विंबल्डन अपने सख्त ड्रेस कोड के लिए जाना जाता है और यही दिक्कत है. यूजिनी बूशार्ड को काले रंग की ब्रा के लिए चेतावनी दी गई. इससे पहले भी कभी जूतों पर तो कभी पैंटीज पर विंबल्डन के 'खापी' फरमान जारी होते रहे हैं.
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खाप पंचायत पर बड़ा गुस्सा आता है? लड़कियों पर ड्रेस कोड थोपती हैं तो चिल्लाने का मन करता है? अपनी ऊर्जा बचा कर रखिए. खाप अकेले नहीं हैं. किन-किन पर चिल्लाइएगा! अब देखिए न, विंबल्डन में कनाडा की खिलाड़ी यूजिनी बूशार्ड को सिर्फ इसलिए चेतावनी दी गई, क्योंकि उन्होंने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी.
दरअसल विंबल्डन अपने सख्त ड्रेस कोड के लिए जाना जाता है. यहां सिर्फ सफेदी की चमकार लिए कपड़े पहनने की इजाजत है. अनुशासन के लिए ड्रेस कोड में कोई बुराई नहीं है. बुरा है इसका अति होना. यूजिनी बूशार्ड ने भी सारे कपड़े सफेद ही पहने थे, बस ब्रा काली थी. जिसकी एक बस एक बारीक सी स्ट्रिप दिखाई दे रही थी. न जाने किस ऑफिशियल की नजर पड़ी. चेतावनी दे डाली. अंडरगारमेंट्स के लिए चेतावनी देना, खाप जैसी मानसिकता नहीं तो और क्या है?
विंबल्डन पहले भी अपने 'खापी' फरमानों की वजह से चर्चा में रहा है. एक-एक देखें विंबल्डन के आयोजकों के सनकी दिमाग की झलक:
- विंबल्डन के एक मैच में रोजर फेडरर ने जो जूता पहना था, उसका सोल ऑरेंज कलर का था. अंपायर ने फेडरर को अगले मैच से ऐसे 'रंगीन' जूते नहीं पहनने की चेतावनी दी थी.
- मारिया शारापोवा की ऑरेंज कलर की पैंटी और टिटियाना गोलोविन की रेड कलर की पैंटी पर भी उन्हें चेतावनी जारी की गई थी.
- 2002 में अन्ना कूर्निकोवा को अपने काले रंग की शॉर्ट्स उतारनी पड़ी थी. समय के अभाव के कारण कूर्निकोवा को अपने पुरुष कोच की बैगी पैंट पहन कर खेलना पड़ा था, वो भी उसके 'रंगीन' लोगो को काट कर.
- आंद्रे अगासी तो विंबल्डन के इस तुगलकी रवैये से इतने नाराज थे कि उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में यहां खेलने से ही मना कर दिया था. अपनी जिद को मारकर 1991 के बाद से वो भी इन नियमों को मानने लगे.
मारिया शारापोवा |
रोजर फेडरर |
टिटियाना गोलोविन |
बिना ब्रा के खेलने पर मजबूर महिला खिलाड़ी
पूर्व विंबल्डन चैंपियन पैट कैश ने विंबल्डन के ऑल-व्हाइट ड्रेस कोड नीति को बेतुका करार दिया है. उनका दावा है कि महिला टेनिस खिलाड़ियों को ऑल-व्हाइट ड्रेस कोड नीति के तहत ब्रा पहने बिना खेलने के लिए मजबूर किया जाता है. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि मैच से ठीक पहले ऐसी महिला खिलाड़ियों, जिनके अंडरगारमेंट्स थोड़े रंगीन नजर आते हैं, उन्हें ब्रा और टॉप बदलने के निर्देश दिए जाते हैं. ऐसे में जिन महिला खिलाड़ियों के पास सफेद रंग की सही स्पोर्ट्स ब्रा नहीं होती, उन्हें बिना ब्रा के खेलना पड़ता है.
अगर आप यह पढ़ रहे हैं, इसका मतलब आपने भी अक्षर ज्ञान लिया है, स्कूल गए हैं. स्कूलों के ड्रेस कोड से भी वाकिफ होंगे. हमारे साथ तो कभी ऐसा नहीं हुआ कि टीचर ने अंडरगारमेंट्स चेक किए और कहा - बेटे कल से सिर्फ धारी वाली शक्ति कपूर मार्का चड्डी ही पहन कर आना. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है? ड्रेस कोड अनुशासन के लिए होता है, भय और खौफ पैदा करने के लिए नहीं. इंग्लैंड तो वैसे भी संभ्रांत समाज माना जाता है, क्या विंबल्डन के आयोजक अपनी 'खापी' पहचान से खुद को कैद-मुक्त करेंगे... देखते हैं.
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