क्या आपको पता है भारत में भी खेला जाता है ये खेल?
IPL में खिलाड़ियों पर करोड़ों की बोली लग रही हैं. वहीं वुमन्स आइस इंडियन हॉकी टीम अपने नाम के लिए संघर्ष कर रही है. जी हां, जो हिमालय की कठिन पहाड़ियों के बीच अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं.
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आईपीएल में खिलाड़ियों पर करोड़ों की बोली लग रही हैं. खरीददार प्लेयर्स को लाखों-करोड़ों में खरीद रहे हैं. वहीं वुमन्स आइस इंडियन हॉकी टीम अपने नाम के लिए संघर्ष कर रही है. जी हां, इंडिया के पास भी वुमन्स आइस हॉकी टीम है. जो हिमालय की कठिन पहाड़ियों के बीच अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं. ज्यादातर लोगों को तो पता भी नहीं होगा कि भारत में आइस हॉकी खेली भी जाती है. पर इन लड़कियां ने लेह में जमे हुए तालाब को अपना स्टेडियम बनाया है और प्रेक्टिस करती हैं. इंटरनेशनल टीम को सारी सुविधाएं दी जाती है. पूरा सामान उपलब्ध कराया जाता है, पर ये खिलाड़ी खुद ही सब अरैंज करती हैं.
2016 में हुए एशिया कप में टीम ने भाग लिया था. उसमें उतरने के लिए इन खिलाड़ियों ने ही अपनी जेब खाली की थी. पहली बार इन्होंने पेशेवर रिंक में कदम रखा था. शानदार परफॉर्मेंस के लिए गोलकीपर नूर जहां को बेस्ट गोलकीपर से भी नवाजा गया था. जिसमें उन्होंने 229 शॉट्स में से 193 शॉट्स रोके थे. हालांकि टीम को टूर्नामेंट में एक भी जीत हासिल नहीं हुई पर पहली बार इंटरनेशनल मैच में उतरकर उन्होंने इंडिया को रीप्रेजेंट किया.
रीप्रेजेंट करने के बाद भी प्रबंधन से उनको कुछ नहीं मिला. फंड, उचित रिंक और ट्रेनिंग उपकरण के बिना इन खिलाड़ियों ने कई कठिनाइयों से लड़ाई लड़ी. पिछले साल इन खिलाड़ियों ने खेलने के लिए खुद रिंक तैयार की. 4-4 में बटकर इन खिलाड़ियों ने रात 8 बजे से सुबह 3 बजे तक पानी को जमे हुए तालाब में डाला और उस तालाब को रिंक में तब्दील किया.
इनके लिए सबसे बड़ी परेशानी है फंड. जो इनके खेल को भी प्रभावित कर रहा है. सरकार से पैसे लेने के लिए 75% सहयोगी सदस्य राज्यों की जरूरत पड़ती है, जो इस समय मुश्किल है. दहरादून में आर्टिफीशियल रिंक है, पर उसकी देखभाल करने के लिए भी पैसों की कमी है. इन चुनौतियों के बीच ये लड़कियां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं.
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