विराट कोहली का रिटायरमेंट प्लान क्या बाकी खिलाड़ियों से अलग है?
ये तो साफ है कि संन्यास लेने के बाद कोहली क्रिकेट का कोई फॉर्मेंट यहां तक कि टी-20 भी नहीं खेलेंगे, लेकिन अगर वो क्रिकेट नहीं खेलेंगे तो क्या करेंगे? चलिए जानते हैं इसका जवाब.
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क्रिकेट के संन्यास लेने के बाद भी अक्सर खिलाड़ी टी-20 या फिर काउंटी क्रिकेट खेला करते हैं. यूं तो ये आम बात है, लेकिन टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली इस मामले में कुछ अलग हैं. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में पत्रकारों से बात करते हुए अपना रिटायरमेंट प्लान बताया है. कोहली ने कहा है कि अगर वह एक बार संन्यास ले लेंगे तो फिर उसके बाद कभी बल्ला नहीं पकड़ेंगे.
विराट कोहली ने कहा- 'जहां तक मेरा सवाल है तो एक बार संन्यास लेने के बाद क्रिकेट खेलना, ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं लगता मैं उन लोगों में शामिल हूं. 5 साल में मैंने पर्याप्त क्रिकेट खेला है. संन्यास लेने के बाद मैं क्या करूंगा ये कहा नहीं जा सकता, क्योंकि मुझे नहीं लगता मैं कभी दोबारा बल्ला उठाऊंगा. जिस दिन मैं खेलना बंद करूंगा उस दिन मेरी ऊर्जा खत्म हो चुकी होगी, इसलिए मैं क्रिकेट छोड़ दूंगा.' यानी ये तो साफ है कि संन्यास लेने के बाद कोहली क्रिकेट का कोई फॉर्मेंट यहां तक कि टी-20 भी नहीं खेलेंगे, लेकिन अगर वो क्रिकेट नहीं खेलेंगे तो क्या करेंगे? क्या उनका रिटायरमेंट प्लान अन्य खिलाड़ियों से अलग है? अगर ऐसा नहीं है तो उन्होंने तंज भरे अंदाज में अपनी बात क्यों कही? आइए जानते हैं कैसा है क्रिकेट के कुछ खास खिलाड़ियों का संन्यास के बाद का जीवन.
What's India Captain @imVkohli's retirement plans? ???????????? #TeamIndia #AUSvIND pic.twitter.com/xGxBOxMSdE
— BCCI (@BCCI) January 11, 2019
कपिल देव-सुनील गावस्कर:
कपिल देव ने 1994 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया था. इसके बाद वह 'दिल्लगी... ये दिल्लगी', 'इकबाल', 'चेन कुली की मेन कुली' और 'मुझसे शादी करोगी' जैसी फिल्में में भी नजर आ चुके हैं. अगर बात करें बिजनेस की तो कपिल देव ने 2006 में कैप्टन्स इलेवन नाम से चंडीगढ़ और पटना में रेस्टोरेंट खोले हैं. चंडीगढ़ में उनका कैप्टन्स रीट्रीट नाम का होटल भी है. क्रिकेट के संन्यास लेने के बाद उन्होंने क्रिकेट में तो वापसी नहीं की, लेकिन गोल्फ में उनकी रुचि जरूरी दिख रही है.
अगर बात सुनीव गावस्कर की करें तो क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने टीवी और प्रिंट में कॉमेंट्रेटर का काम करना शुरू कर दिया. वह कुछ समय भारतीय क्रिकेट टीम के सलाहकार भी रहे. आईसीसी के चेयरमैन के पद पर भी वह रहे, लेकिन जब क्रिकेट कमेटी ने उन्हें कॉमेंट्री या कमेटी में से एक को चुनने को कहा तो उन्होंने कमेटी छोड़ दी. अगर बात की जाए गावस्कर के बिजनेस की तो उन्होंने 1985 में ही प्रोफेशनल मैनेजमेंट ग्रुप नाम की एक स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी शुरू की थी. यह कंपनी मुख्य रूप से क्रिकेट से जुड़ी है, लेकिन गोल्फ, स्क्वैश, हॉर्स राइडिंग, हॉकी, बॉडीबिल्डिंग, आर्चरी और वाटर स्पोर्ट्स की सेवाएं भी देती है. भारत में यह अपनी तरह की इकलौती कंपनी है.
सचिन-सौरव:
जब तक सचिन-सौरव के खेल का समय आया तब तक स्थितियां काफी बदल चुकी थीं. प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन के बाद विज्ञापनों की भरमार थी. 1995 में वर्ल्ड टेल कंपनी ने सचिन के साथ 45 करोड़ रुपए में 5 साल के लिए कॉट्रैक्ट किया था, जो उस दौर का सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट था. नवंबर 2013 में सचिन ने रिटायरमेंट ले लिया. फिलहाल इंडियन सुपर लीग में केरला ब्लास्टर्स टीम सचिन की है, जिससे वह पैसे कमा रहे हैं. प्रीमियर बैडमिंटन की टीम बेंगलुरु ब्लास्टर्स में भी उनकी पार्टनरशिप है. इसके अलावा वह समाज सेवा के भी कई काम कर रहे हैं, जिनमें वह गरीब इलाकों में बिजली मुहैया कराने के एक प्रोजेक्ट में हैं और खुशियां फैलाने का प्रोजेक्ट भी देख रहे हैं.
सौरव गांगुली ने 2008 में क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. इसके बाद उन्होंने क्रिकेट कॉमेंट्री को अपना करियर बनाया. सौरव गांगुली ने कोलकाता में एक रेस्टोरेंट भी शुरू किया था, लेकिन बाद में किन्हीं कारणों से उसे बंद करना पड़ा. फिलहाल सौरव गांगुली कॉमेंट्री करते हैं, जिसे लोग खूब पसंद भी करते हैं.
सहवाग-हरभजन:
अक्टूबर 2015 में वीरेंद्र सहवाग ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट को अलविदा कह दिया. इसके बाद से वह कॉमेंट्री करने लगे, जो लोगों को खूब पसंद आती है. वीरेंद्र सहवाग ने क्रिकेट खेलने के दौरान ही 2006 में दिल्ली के मोती नगर में सहवाग्स फेवरेट नाम का रेस्टोरेंट शुरू किया था. इसके कुछ ही समय बाद उन्होंने हरियाणा में एक स्कूल भी शुरू किया था.
हरभजन सिंह ने तो अपने नाम के लाइसेंसिंग राइट्स ही फ्रेंचाइज इंडिया होल्डिंग लिमिटेड को 2009 में बेच दिए थे. कंपनी ने हरभजन या भज्जी के नाम पर भज्जी के ढाबों की चेन बनाने का फैसला किया. हरभजन के पिता की बॉल-बैरिंग और वाल्व की फैक्ट्री है. ऑस्ट्रेलिया में 2001 में हरभजन की परफॉर्मेंस के बाद पंजाब सरकार ने उन्हें 5 लाख रुपए के साथ-साथ पंजाब पुलिस में डीएसपी बना दिया. अभी तक उन्होंने क्रिकेट को अलविदा तो नहीं कहा है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि 2019 में वह संन्यास ले सकते हैं. और ऐसा नहीं लगता कि वह दोबारा किसी भी तरह का क्रिकेट खेलेंगे.
धोनी-गौतम गंभीर:
दिसंबर 2018 में ही गौतम गंभीर ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लिया है. उनके संन्यास लेते ही ये चर्चा होने लगी थी कि आखिर अब वह क्या करेंगे, लेकिन गौतम गंभीर के राजनीति में आने के कयास भी लगाए जा रहे हैं. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि वह 2014 में अरुण जेटली के प्रचार के लिए अमृतसर तक चले गए थे तो हो सकता है अब वह भाजपा का दामन थाम ले और क्रिकेट के बाद का करियर एक नेता की तरह बिताएं.
जहां तक सवाल महेंद्र सिंह धोनी का है तो उन्होंने अभी क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास नहीं लिया है. हालांकि, उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को अलविंद कह दिया है. फिलहाल वह आईपीएल खेलते हैं और ओडीआई मैच खेलते हैं. धोनी मौजूदा समय में धोनी के स्पोर्ट्स फिट नाम से जिम और फिटनेस सेंटर हैं. वह इसकी फ्रेंचाइजी भी दे रहे हैं और पैसे कमा रहे हैं.
जिस तरह विराट कोहली ने तंज भरे अंदाज में कहा कि वह उन खिलाड़ियों में से नहीं हैं जो संन्यास लेने के बाद भी और क्रिकेट खेलते हैं, उनका इशारा महेंद्र सिंह धोनी की ओर भी हो सकता है. वह टेस्ट नहीं खेलते, लेकिन एक दिवसीय मैच और आईपीएल खेलते हैं. आईपीएल से तो खिलाड़ियों की मोदी कमाई भी होती है. अब अगर देखा जाए तो कोहली के संन्यास लेने के प्लान और अन्य खिलाड़ियों के संन्यास में कोई फर्फ नहीं दिखता. संन्यास लेने के बाद अधिकतर खिलाड़ियों ने क्रिकेट छोड़कर या तो अपना बिजनेस शुरू किया या फिर कॉमेंट्री में चले गए. खैर, जैसा कि विराट कोहली ने बोल दिया है कि वह संन्यास तब लेंगे जब उनकी पूरी ऊर्जा खत्म हो चुकी होगी, यानी वह अभी लंबी पारी खेलने के मूड में हैं. वहीं अगर बिजनेस की बात करें तो वह वन8 परफ्यूम ब्रांड, चिसेल जिम सेंटर की चेन, स्पोर्ट्स कॉन्वो में निवेश, दिल्ली के आरकेपुरम में नुएवा नाम का रेस्टोरेंट और व्रोगन ब्रैंड जैसे बिजनेस शुरू किए हुए हैं. अब जब इतना लंबा-चौड़ा कारोबार फैलाया हुआ है तो रिटायरमेंट के बाद क्रिकेट खेलने का वक्त ही कहां होगा.
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