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Updated: 25 अप्रिल, 2016 05:22 PM
नरेंद्र सैनी
नरेंद्र सैनी
  @narender.saini
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खेल का मजाक उड़ाना हमारे खेल से जुड़े ऐसे लोगों को खूब आता है जिनका खेल से कभी कोई वास्ता नहीं होता. इसकी ताजा मिसाल सलमान खान को रियो ओलंपिक्स के लिए भारत का गुडविल एंबेसेडर बनाया जाना है. इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) ने 5 अगस्त, 2016 से शुरू होने वाले ओलंपिक्स खेलों के लिए उन्हें इस सम्मान से नवाजा है. IOA ने जब यह फैसला लिया तो क्या उसके ध्यान में मैरी कौम, सायना नेहवाल, अभिनव बिंद्रा, सुशील कुमार या योगेश्वर दत्त जैसे लोगों का नाम ध्यान नहीं आया. जिन्होंने अपने हुनर और खेल से न सिर्फ देश का सम्मान बढ़ाया है बल्कि दुनिया भर में नाम भी रौशन किया है?

लेकिन बॉलीवुड के आकर्षण से बंधे आइओए ने सलमान खान को गुडविल एंबेसेडर बना डाला और अब इस फैसले को लेकर फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह और पहलवान योगेश्वर दत्त जैसे दिग्गजों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. उनका करना ऐसा बनता भी है क्योंकि ये हस्तियां ऐसी हैं जिन्होंने अपने जीवन को देश और खेल को समर्पित किया है. उन्हें IOA के इस फैसले से दर्द हुआ होगा कि क्या इस देश में एक भी खिलाड़ी ऐसा नहीं जो ओलंपिक्स के लिए देश का गुडविल एंबेसेडसर बन सके. वह भी ऐसे देश में जिसमें ओलंपिक विजेता एक मंत्री है.

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 सलमान और विवाद साथ-साथ

IOA संभवतः यह भूल गया है कि यहां जिक्र खेलों का हो रहा है और दुनिया भर में देश की छवि पेश करने की बात है. IOA इस बात को नहीं समझ सका और सलमान खान को एंबेसडर बना डाला. हिट ऐंड रन मामले में जेल-कोर्ट-कचहरी भुगत चुके सलमान खान पर काला हिरण मामले में भी तलवार लटकती रहती है.

हालांकि IOA का यह भी कहना है कि वह सलमान को एक पैसा नहीं दे रहे हैं और उनका मानना है कि इस तरह के सेलिब्रिटी को गुडविल एंबेसेडर बनाने से खेलों को और अधिक प्रचार मिलता है. शायद IOA यह बात भूल गया कि बॉलीवुड इन दिनों खेल की दुनिया के सितारों पर फिल्में बना रहा है. मिल्खा सिंह और मैरी कौम की जिंदगी पर फिल्में बन चुकी हैं, और कामयाब भी रही हैं. अगर जनता में इन खिलाड़ियों की अपील नहीं होती तो शायद इन फिल्मों को देखने के लिए जनता नहीं पहुंचती. यही नहीं, 85 वर्षीय मिल्खा सिंह की आज भी देश में लोकप्रियता पहले जैसी ही बरकरार है.

आने वाले दिनों में भी बॉलीवुड में महावीर फोगट, सायना नेहवाल और ध्यानचंद जैसे दिग्गजों की फिल्में दस्तक देने वाली हैं. ऐसे में यह सवाल पैदा उठते हैं कि जब हमारे खेलों के अपने इंटरनेशनल खिलाड़ी है तो फिर परदे के खिलाड़ियों की IOA को जरूरत क्यों पड़ी और फिर खिलाड़ियों के जीवन से कामयाबी बटोरने वाला बॉलीवुड खेलों को किस तरह कामयाबी दिला सकेगा...यह खिलाड़ियों का मनोबल गिराने जैसा नहीं?

यह भी पढ़ें- सलमान खान का विरोध क्यों, उनका तो स्वागत कीजिए

लेखक

नरेंद्र सैनी नरेंद्र सैनी @narender.saini

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सहायक संपादक हैं.

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