सेरेना विलियम्स ड्रेस विवाद: फ्रांस को बुर्के से परेशानी, कैटसूट से दिक्कत
टेनिस की एक सच्चाई ये भी है कि महिला टेनिस उनकी स्कर्ट की वजह से ज्यादा दिलचस्प हो जाता है. लोग खेल कम देखते हैं स्कर्ट ज्यादा. फ्रेंच ओपन फेडरेशन ने सेरेना विलियम्स के कैटसूट पर जो प्रतिबंध लगाया है उसकी वजह भी शायद यही हो.
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टेनिस की बात करें तो ये खेल जितना अपने रोमांच के लिए प्रसिद्ध है तो उतना ही अपने ड्रेस के लिए भी, खासतौर से महिला टेनिस. खिलाड़ियों के दमखम में ग्लैमर का रोल उनकी ड्रेस निभाती है. खेलने वाली चाहे भारत की सानिया मिर्जा हों या अमेरिका की सरेना विलियम्स, खिलाड़ियों के कपड़े फैशन का हिस्सा हो जाते हैं और बात बढ़ी तो कंट्रोवर्सी का भी. लेकिन इस बार की कंट्रोवर्सी किसी की छोटी स्कर्ट नहीं बल्कि गले से लेकर पैर तक को ढकने वाली ड्रेस बनी है.
सेरेना विलियम्स के काले रंग के कैटसूट पर लगाया गया बैन
अमेरिका की टेनिस स्टार सेरेना विलियम्स जब मैटरनिटी लीव के बाद मैदान में उतरीं तो उनके खेल से ज्यादा चर्चे उनकी ड्रेस के हुए थे. उन्होंने काले रंग का कैटसूट पहना हुआ था. कैटसूट यानी वन पीस सूट जो स्किन टाइट होता है. सेरेना विलियम्स का कहना है कि उसे पहनकर वे खुद को सुपर हीरो की तरह महसूस कर रही थीं. ये सूट खासतौर पर उनकी सेहत को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया था. प्रेगनेंसी के दौरान उन्हें हिमेटोमा यानी ब्लड क्लॉट की समस्या से जूझना पड़ा था. ये सूट उनके शरीर में ब्लड क्लॉट बनने से रोकता है. ये सूट उन्होंने सभी नई माओं को डेडिकेट किया था.
Catsuit anyone? For all the moms out there who had a tough recovery from pregnancy—here you go. If I can do it, so can you. Love you all!! pic.twitter.com/xXb3BKDGNF
— Serena Williams (@serenawilliams) May 29, 2018
लोकिन अब से वो फ्रेंच ओपन में अपना 'ब्लैक कैटसूट' नहीं पहन सकेंगी. फ्रेंच ओपन के आयोजकों ने टूर्नामेंट में नया ड्रेस कोड लागू किया है और इसी वजह से उन्होंने सेरेना की इस ड्रेस पर बैन लगा दिया है. फ्रेंच टेनिस फेडरेशन के अध्यक्ष बर्नार्ड ग्यूडिसेलि ने फ्रेंच ओपन के दौरान खिलाड़ियों के लिए बनाए गए ड्रेस कोड से जुड़े नियमों को तो नहीं बताया लेकिन सेरेना की ड्रेस के लिए इतना जरूर कहा कि 'कई बार हम काफी आगे चले गए है. लेकिन अब वो कैटसूट मान्य नहीं होगा. किसी को भी खेल और जगह का सम्मान करना चाहिए.' ग्यूडिसेलि की कही इस बात पर लोगों ने नाराजगी दिखाई है. उनके इस कमेंट को सेक्सिस्ट और रेसिस्ट कहा जा रहा है.
तन ढंकने वाली ड्रेस पर आपत्ति क्यों?
अभी तक खिलाड़ियों की शॉर्ट स्कर्ट पर ऑब्जेक्शन होते सुना है लेकिन इस ड्रेस से किसी को क्या परेशानी हो सकती थी. ये समझ से परे हैं क्योंकि इस ड्रेस में कुछ भी रिवीलिंग नहीं है. शरीर पूरी तरह से ढका हुआ है. और ऐसा भी नहीं है कि सरेना ने पहली बार कैटसूट पहना हो, इससे पहले भी वो इस तरह की ड्रेस पहन चुकी हैं. और कायदे की बात तो ये है कि खिलाड़ियों को अपनी सहजता के हिसाब से ही अपने कपड़े चुनने चाहिए. अगर सेरेना को कैटसूट पहने में अच्छा महसूस होता है तो उन्हें वही पहनना चाहिए. और सारी बातों को दरकिनार कर दें तो ये सूट उनकी सेहत के लिए सबसे अच्छा है. तो भी फेडरेशन को इससे आपत्ति है भला क्यों? ये सारे ऑब्जेक्शन महिला खिलाड़ियों के साथ ही क्यों होते हैं, पुरुषों के साथ क्यों नहीं?
माना कि हर खेल का अपना ड्रेस कोड होता है, लेकिन यहां खिलाड़ी का खेल उतनी अहमियत नहीं रखता जितना उनका एपीयरेंस या उनकी ड्रेस रखती है. टेनिस की एक सच्चाई ये भी है कि महिला टेनिस उनकी स्कर्ट की वजह से ज्यादा दिलचस्प हो जाता है. लोग खेल कम देखते हैं स्कर्ट ज्यादा. शायद फेडरेशन को भी इसी बात से ऐतराज हो कि अगर सेरेना शरीर को ढकने वाला सूट पहनेंगी तो दर्शकों की खेल में दिलचस्पी कम हो जाएगी. और अगर वाकई ऐसा है, तो ये बहुत शर्मनाक है.
फ्रेंच ओपन टेनिस का ड्रेस कोड-
- विंबल्डन ड्रेस के मामले में काफी सख्त है वहीं फेंच थोड़ा फैशन पसंद है. वो खिलाड़ियों को अपने आउटफिट में अपनी पसंद और क्रिएटिविटी की छूट देता है.
- कपड़े ऐसे हों जो फैशन के साथ-साथ खेल के लिए भी एकदम परफेक्ट हों. रेनबो में पाए जाने वाले रंग चलते हैं. कपड़ा ऐसा हो जिसमें दम न घुटता हो.
- खिड़ाली के कपड़ों के रंग ध्यान से चुने गए हों वो रोलैंड गैरोस के लाल कोर्ट से मिलता जुलता न हो.
टेनिस लीजेंड और अब समानता पर जोर देने वाली बिली जीन किंग ने इसपर कहा है कि 'महिलाओं के शरीर की पुलिसिंग खत्म होनी चाहिए. "सम्मान" उस असाधारण प्रतिभा का होना चाहिए जो सेरेना अपने खेल में लाती हैं. खेल के वक्त वो क्या पहनती हैं उसकी आलोचना करना उनका अनादर करने जैसा है.'
The policing of women’s bodies must end. The “respect” that’s needed is for the exceptional talent @serenawilliams brings to the game. Criticizing what she wears to work is where the true disrespect lies. https://t.co/ioyP9VTCxM
— Billie Jean King (@BillieJeanKing) August 25, 2018
रूस की टेनिस खिलाड़ी और सेरेना के साथ डबल्स टेनिस में पार्टनर रहीं एला कहती हैं सेरेना ने पहली बार ये सूट पहना था तो उन्हें बहुत अच्छा लगा था. हालांकि उन्हें भी ये शंका थी कि फेडरेशन के लिए ये मान्य होगा या नहीं. लेकिन उनका कहना ये था कि मुझे कई बार लेगिंग के ऊपर स्कर्ट या शॉर्ट्स पहने के लिए कहा गया. आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि वो कितने असहज होते हैं. उम्मीद है कि सेरेना की वजह से हम अब केवल लैगिंग पहन सकते हैं. पर नहीं...फ्रेंच फेडरेशन को ये मंजूर नहीं.
इस तरह की ड्रेस पर कोई आपत्ति नहीं
कहीं नाइकी तो निशाना नहीं-
वैेसे इस पूरे विवाद के पीछे एक वजह स्पोर्ट्स वियर ब्रांड की आपसी प्रतिद्वंदिता भी नजर आती है. फ्रांस का मशहूर ब्रांड लेकॉस्टे 45 साल से फ्रेंच ओपन के साथ जुड़ा है. यही टूर्नामेंट में खिलाड़ियों के लिए कपड़े लॉन्च करता है. अब जबकि नाइकी ने फ्रेंच ओपन में प्रवेश किया है तो उसे कुछ तो संघर्ष झेलना ही था. कहा जा रहा है कि फ्रेंच ओपन फेडरेशन के साथ लैकोस्टे की साठगांठ के चलते ही सेरेना को निशाना बनाया गया. और सेरेना के बहाने नाइकी को. लिहाजा सेरेना के कैटसूट को बैन कर दिया गया. खेल सिर्फ टेनिस का नहीं खेल ब्रांड्स का भी है. वैसे नाइकी ने इस विवाद पर एक ट्वीट के माध्यम से बड़ी अच्छी बात कही-
You can take the superhero out of her costume, but you can never take away her superpowers. #justdoit pic.twitter.com/dDB6D9nzaD
— Nike (@Nike) August 25, 2018
ये तो रही फ्रेंच ओपन की मानसिकता, जबकि विंबल्डन भी अपने सख्त ड्रेस कोड के लिए जाना जाता है. वहां केवल सफेद रंग के कपड़े पहनने होते हैं. ब्रा और पेंटी भी अगर किसी दूसरे रंग की हो तो भी खिलाड़ियों को चेतावनी दे दी जाती है. क्या कभी किसी पुरुष खिलाड़ी के अंडर गार्मेंट्स चैक किए जाते हैं...?? महिला खिलाड़ियों की ड्रेस पर ही सारे कायदे कानून बताए जाते हैं.
फ्रांस जो दुनिया भर में अपनी आजाद सोच के लिए जाना जाता है. इन्हें बुर्कों से परेशानी हैं, ये महिलाओं की आजादी की बात करते हैं, लेकिन यहां फ्रेंच ओपन टेनिस में ये अपनी मानसिकता साफ दिखा रहे हैं. ड्रेस कोड अनुशासन के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन ड्रेस कोड के नाम पर खिलाड़ियों को अपमानित करना कहां तक सही है.
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