Tokyo Paralympics: 'गोल्डन गर्ल' अवनि लेखरा की उपलब्धि से ज्यादा प्रेरणास्पद है उनके संघर्षों की कहानी!
टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympics 2020) खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में गोल्ड मेडल जीतकर राजस्थान के जयपुर की रहने वाली 19 वर्षीय शूटर अवनि लेखरा ने इतिहास रच दिया है. अवनि खेलों के साथ पढ़ाई में भी अव्वल हैं. वो आगे चलकर जज बनना चाहती हैं.
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'लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती; नन्ही चीटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है; मन का विश्वाश रगों मे साहस भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है; आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती'...सोहनलाल द्विवेदी की कविता की ये पंक्तियां 'गोल्डन गर्ल' अवनि लेखरा पर सटीक बैठती हैं.
महज 12 साल की उम्र में चहकती मस्त-मौला लड़की एक हादसे की वजह से व्हील चेयर पर आ गई. उसको अपना भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा, लेकिन परिवार ने साथ नहीं छोड़ा. उसे हौसला दिया. उसे जीने के लिए जज्बा और आगे बढ़ने के लिए जुनून दिया. आखिरकार उस दिव्यांग हो चुकी लड़की की मेहनत और परिजनों की चाहत रंग लाई हैं. महज 19 साल की उम्र में उसने इतिहास रच दिया है.
टोक्यो पैरालंपिक खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर अवनि लेखरा ने देश का नाम रौशन कर दिया है.
जी हां, राजस्थान के जयपुर की रहने वाली 19 वर्षीय शूटर अवनि लेखरा टोक्यो पैरालंपिक खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में गोल्ड मेडल जीतकर पूरे देश को गर्व का एहसास कराया है. इतना ही नहीं पैरालंपिक में गोल्ड जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी बन गई हैं. उन्होंने 249.6 अंक बनाकर विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की. यह पैरालंपिक खेलों का नया रिकॉर्ड है.
उन्होंने फाइनल में चीन की रियो पैरालंपिक की गोल्ड मेडल विनर झांग कुइपिंग को हराया है, जिन्होंने 248.9 अंक प्राप्त किए. अब अवनि मिश्रित 10 मीटर एयर राइफल प्रोन एसएच1, 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन एसएच1 और मिक्स्ड 50 मीटर राइफल प्रोन में भी हिस्सा लेंगी. एसएच1 राइफल वर्ग में वे निशानेबाज शामिल होते हैं, जो बंदूक थाम सकते हैं, लेकिन पांवों में विकार होता है.
Well demonstrated @AvaniLekhara ....Good Luck#Shooting #StayHome #StayHomeChallenge https://t.co/Ha4iYCEXWv
— Asian Paralympic (@asianparalympic) April 24, 2020
8 नवंबर 2001 को जयपुर में जन्मीं अवनि लेखरा की जिंदगी में साल 2012 में एक बहुत खराब मोड़ आया. वो जब 11 साल की थीं, तब एक कार हादसे में उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई थी. उनको पैरालिसिस हो गया था. इसके बाद वो हमेशा-हमेशा के लिए व्हीलचेयर पर आ गईं. इस हादसे ने अवनि को बुरी तरह तोड़ दिया. वो अक्सर चुप रहने लगीं. किसी से बात नहीं करती थी. पूरी तरह डिप्रेशन में चली गईं. इतनी कमजोर हो गई थी कि कुछ कर नहीं पाती थी.
बेटी की हालत देख पिता इस बात की चिंता में रहते थे कि कैसे उसे सदमे से बाहर निकाला जाए. उनको लगा कि खेल ही एक ऐसा माध्यम है, जिससे स्वस्थ शरीर और मन दोनों मिल सकता है. उन्होंने अवनि को खेल की तरह आकर्षित किया. लेकिन समस्या ये थी कि वो इतनी कमजोर हो गई थी कि एथलेटिक्स में नहीं जा सकती थी. तीरअंदाजी में कोशिश की, लेकिन वहां प्रत्यंचा ही नहीं खींच पाई. इसके बाद पिता शूटिंग रेंज ले गए. वहां पहली बार तो गन तक नहीं उठा पाई, लेकिन आज पैरालिंपिक में गोल्ड मेडल जीता है.
अवनि लेखरा का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू...
अवनि लेखरा के पिता राजस्थान सरकार में रेवेन्यू अपील अधिकारी हैं. बेटी को इस मुकाम तक लाने में उन्होंने बहुत मेहनत और त्याग किया है. यहां तक कि जब अवनि को जयपुर के जगतपुरा में स्थित शूटिंग रेंज प्रैक्टिस के लिए जाने के लिए परेशान का सामना करना पड़ा, तो पिता ने जगतपुरा में ही घर खरीद लिया. उसके बाद पूरे परिवार के साथ शूटिंग रेंज के पास ही शिफ्ट हो गए. इसके बाद अवनि को प्रैक्टिस के लिए सुविधा मिल गई.
Gold it is! Brilliant display by @AvaniLekhara to win India its first Paralympic gold medal in shooting. Immensely proud ! Many Congratulations on your shot at history ! #Praise4Para #Tokyo2020
— Abhinav A. Bindra OLY (@Abhinav_Bindra) August 30, 2021
अवनि खेल के साथ पढ़ाई में भी बहुत होशियार हैं. उनको किताबें पढ़ने का काफी शौक है. हर दिन खेल के साथ पढ़ने में भी काफी वक्त बिताती है. उनकी शूटिंग चुनने की एक वजह देश के जाने-माने शूटर अभिनव बिंद्रा भी हैं, जिनकी बायोग्राफि 'अ शॉट एट हिस्ट्री' पढ़ने के बाद वो शूटिंग के प्रति ज्यादा गंभीर हो गईं. इतना ही नहीं वह आरजेएस की तैयारी भी कर रही हैं, ताकि वह जज बन सके और इंसाफ के लिए भटक रहे लोगों को न्याय दिला सके.
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