Tokyo Paralympics 2020: मीडिया जान ले भारतीय Paralympians की वीर गाथाओं का जिक्र बनता है!
क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस और तो और कबड्डी जैसे खेलों पर घंटों का कवरेज करने वाले टीवी चैनल और स्पोर्ट्स के पत्रकार Tokyo Paralympics 2020 में क्यों चुप हैं ? आखिर वहां भी तो उत्कृष्ट खेल का प्रदर्शन करेंगे भारतीय खिलाड़ी. उनकी भी वीर गाथाओं का जिक्र होना चाहिए. देश को हक़ है उनके बारे में जानने का.
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पहले 2020 फिर 2021 भले ही ये दो साल Coronavirus Pandemic की भेंट चढ़ गए हों और एक मनहूस साल के रूप में इतिहास में अपना नाम दर्ज करा चुके हों. लेकिन इन्हें Olympic खेलों विशेषकर Tokyo Olympic 2021 और इसमें भी भारत की अभूतपूर्व परफॉर्मेंस के लिए याद किया जाएगा. भारत के लिहाज से टोक्यो ओलंपिक 2021 इसलिए भी खास था क्योंकि इसी में भारत ने अलग अलग स्पर्धाओं में कुल 7 मेडल जीते जिसमें 1 गोल्ड, 2 सिल्वर, 4 ब्रॉन्ज शामिल थे. चाहे वो ओलंपियन और गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा रहे हों या फिर भारोत्तोलन में सिल्वर मेडल पाने वाली मीरा बाई चानू कुश्ती में भारत को सिल्वर दिलवाने वाले रवि दहिया हों टोक्यो ओलंपिक इसलिए भी याद किया जाएगा क्योंकि इस बार कई ऐसे चेहरों की बदौलत भारत ने पदक हासिल किया जिसके विषय में शायद ही किसी ने सोचा हो. नहीं मतलब आप खुद सोचिये कि क्या उस वक़्त जब भारत का ओलंपिक दल टोक्यो जा रहा था आप ये कल्पना कर सकते थे कि असम के एक सुदूर गांव की तमाम सुख सुविधाओं से वंचित लड़की लवलीना बोरगोहेन अपनी वेट केटेगरी में भारत के लिए बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज मेडल ला पाएगी?
क्या आपको ज़रा भी अंदाजा था कि वो भारतीय हॉकी टीम जिसका अभी कुछ दिनों पहले तक कोई नामलेवा नहीं था वो ऐसा खेलेगी कि ओलंपिक का एक पदक पक्के आम की तरह भारत की झोली में गिरेगा. चाहे वो ब्रॉन्ज मेडलिस्ट पीवी सिंधू और बजरंग पुनिया रहे हों या फिर भारतीय महिला हॉकी टीम भारत के दल ने टोक्यो में इतिहास रच दिया है. जिसे दोहराने के लिए भारत की तरफ से फिर एक दल टोक्यो रवाना हो गया है.Tokyo Paralympics की शुरुआत हो चुकी है.
टोक्यो में पैरा ओलंपिक की शुरुआत है माना जा रहा है कि भारतीय खिलाड़ी इसमें भी कमाल करेंगे
माना यही जा रहा है कि भारत के खिलाड़ी इसमें भी कुछ ऐसा ही प्रदर्शन करेंगे जिसे देखकर दुनिया दंग रह जाएगी. जापान में हो रहे टोक्यो पैरा ओलंपिक खेल 24 अगस्त से 5 सिंतबर तक आयोजित किये जाएंगे. पीएमओ से प्राप्त जानकारी पर यकीन करें तो मिलता है कि टोक्यो में नौ अलग- अलग खेलों में 54 पैरा एथलीट हिस्सा लेंगे और इस बात का निर्धारण करेंगे कि Tokyo Paralymics 2020 की स्पर्धाओं में भारत पदक हासिल करने में कामयाब होता है या नहीं.
बताते चलें कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की Tokyo Olympics 2020 की तरह ही Tokyo Paralympics 2020 पर भी पैनी नजर है. पीएम ने टोक्यो पैरा ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए जापान गए भारतीय एथलीटों से वीडियो कांफ्रेंस के जरिये बातचीत की है और कई महत्वपूर्ण संदेश देते हुए उनका मनोबल बढ़ाया है.
Weeks ago, PM Modi had encouraged every athlete who represented India in Tokyo OlympicsTomorrow PM Modi will interact with the Indian para-athlete contingent for Tokyo 2020 Paralympic GamesThis is called 'Sabka Saath'
— Mahesh Vikram Hegde ?? (@mvmeet) August 16, 2021
खिलाड़ियों के प्रति पीएम के रवैये को देखते हुए खेल विशेषज्ञ भी इस बात को लेकर एकमत हैं कि पदक के लिहाज से देश के खिलाड़ियों को अपने प्रधानमंत्री से मिल रहा ये सपोर्ट टोक्यो पैरा ओलंपिक 2020 में भारत के लिए फायदेमंद होगा.
टोक्यो पैरा ओलंपिक में किनसे है भारत को उम्मीदें?
बात पैरा ओलंपिक खिलाड़ियों की हो तो टोक्यो पैरा ओलंपिक का सारा दारोमदार इस बार राजस्थान के 6 खिलाड़ियों देवेंद्र झाझड़िया, सुंदर गुर्जर, संदीप चौधरी, कृष्णा नागर , अवनी लेखरा और श्याम सुंदर पर है. यूं तो मेडल की उम्मीद सबसे ज्यादा जेवेलियन के लिए संदीप चौधरी, बैडमिंटन में कृष्णा नागर, शूटिंग में अवनी लेखरा और तीरंदाजी में श्याम सुंदर से की जा रही है.
मगर वो शख्स जिनकी तरफ पूरा इस समय हसरत भरी निगाहों से देख रहा है वो एथलीट देवेंद्र झाझड़िया हैं. देवेंद्र एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने पहले भी पैरालंपिक में दो गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है.
After the stellar performance by #TeamIndia at the #Tokyo2020 Olympics, it's time for our Para-athletes to bring glory to the Nation at Tokyo Paralympic.Best wishes ??? #Cheer4India pic.twitter.com/mpy0fxYbN0
— R C Makwana M L A (@RCMakwana4) August 17, 2021
बताते चलें कि पैरा एथलीट देवेंद्र ने अपने ही पुराने रिकॉर्ड को तोड़कर पैरा ओलंपिक का टिकट हासिल किया है. जैसा कि हम पहले ही आपको इस बात से अवगत करा चुके हैं कि देवेंद्र पूर्व में दो पैरा ओलंपिक गोल्ड मेडल पर कब्जा कर चुके हैं. तो कहा यही जा रहा है कि देवेंद्र फिर इस बार ऐसा बहुत कुछ करेंगे कि हर सूरत में पदक भारत के पास ही आएगा. देवेंद्र ने 2004 एथेंस पैरा ओलंपिक में अपना पहला गोल्ड मेडल जीता था वहीं 2016 में रियो ओलंपिक में भी उन्होंने कमाल किया था. सारे देश की नजर देवेंद्र पर है.
तमाम अच्छी बातों के बाद चंद बातें लेकिन कड़वी!
टोक्यो पैरा ओलंपिक, खेल, खिलाड़ियों, मेडल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चर्चा हमने की है और भरपूर की है. मगर अब हमारा सवाल मीडिया विशेषकर उन पत्रकारों से है जो खेल कवर करते हैं और देश को अलग अलग खेलों और खिलाड़ियों से अवगत कराते हैं. आज जब भारत का 54 सदस्यीय पैरा ओलंपिक दल इतिहास रचने टोक्यो रवाना हो गया है तो आखिर इनकी कलम क्यों खामोश है? वहां भी तो उत्कृष्ट खेल का प्रदर्शन होगा. आखिर क्यों नहीं भारतीय मीडिया इसको वैसी प्रियॉरिटी नहीं दे रहा जैसी इसे मिलनी चाहिए.
बात सीधी और एकदम साफ है. टोक्यो पहुंचे 54 पैरा ओलम्पियंस की शौर्य गाथाओं का जिक्र ठीक वैसे ही होना चाहिए जैसा किसी क्रिकेटर, किसी बैडमिंटन प्लेयर, किसी फुट बॉलर का होता है. देश और देश की जनता को पूरा हक है अपने खिलाड़ियों और उनके संघर्षों को जानने का.
क्रिकेट को छोड़ दें तो खेलों और खिलाड़ियों के प्रति देश की केंद्र और राज्य सरकारों का कितना उदासीन रवैया है न ये हमें सवा सौ करोड़ से ऊपर की भारतीय आबादी को बताने की जरूरत है न ही किसी को ज्यादा कुछ समझने की. टोक्यो से खिलाड़ी आएंगे. कुछ दिन उनके विषय में बातें होंगी. उन्हें सम्मानित किया जाएगा इनाम की घोषणा होगी और फिर अगले पैरा ओलंपिल तक सब कुछ ठंडे बस्ते में.
खेल और खिलाड़ियों के मद्देनजर देश की स्थिति जटिल है. ऐसे में देश की मीडिया और स्पोर्ट्स कवर करने वाले पत्रकार ही एक नागरिक के रूप में हमारा अंतिम सहारा हैं. ऐसा नहीं है कि देश अपने खिलाड़ियों के विषय में जानना नहीं चाहता. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण ये है कि शायद हमारे खेल पत्रकारों ने कभी इस तरफ सोचा ही नहीं.
या फिर ये भी हो सकता है कि सोचा हो लेकिन उस सोच को अमली जामा न पहनाया हो. वजह जो भी रही हो. जैसा कि कहा गया है कि जब जागो तब सवेरा इसलिए अब खेल पत्रकारों को इस विषय पर गंभीर हो जाना चाहिए. बात चूंकि पैरा ओलंपिक की चली है तो स्पोर्ट्स कवर कर रहे पत्रकार जान लें पैरा ओलंपिक में उतरे पैरा ओलम्पियंस भी देश की ही धरोहर हैं.
University of Delhi thanks Honourable Prime Minister Shri Narendra Modi ji for motivating the Para Olympic players by his inspiring words of encouragement.Best Wishes to all the players!@UnivofDelhi @PMOIndia @EduMinOfIndia pic.twitter.com/AbRe85oPwa
— University of Delhi (@UnivofDelhi) August 17, 2021
अंत में बस इतना ही की इस मामले के अंतर्गत हमें केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री से उम्मीदें इस कारण भी हैं क्योंकि भारत के 70 सालों के इतिहास में पहली बार कोई ऐसा प्रधानमंत्री हुआ है जिसने खेल, खिलाड़ियों और ओलंपिक को सिर्फ पदकों और उसकी संख्या तक सीमित नहीं रखा. प्रत्येक मौके पर उसने देश के खिलाड़ियों की हौसला आफज़ाई की उनकी मनोस्थिति को प्रभावित कर उन्हें अच्छे प्रदर्शन और मेडल के लिए बाध्य किया.
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