टीम इंडिया की ताकत और कमजोरी दोनों बन गए विराट कोहली
कोहली के आउट होने के बाद भारतीय टीम के हालत उस दौर की याद भी दिला रहा था जब 90 के दशक में सचिन तेंदुलकर का आउट होना मात्र ही भारत के हार जाना सरीखा हो जाता था.
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एजबेस्टन में जब तीसरे दिन का खेल ख़त्म हुआ तब भारत के 110 रन बने थे, टीम के 5 बल्लेबाज पवेलियन में वापस लौट चुके थे और जीत भारत से 84 रन की दूरी पर थी. हालाँकि, भारतीय टीम के लिए सबसे बड़ी राहत की बात यह थी कि क्रीज़ पर भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली मौजूद थे, विराट ने पहली पारी में भारत के कुल 274 रनों में अकेले 149 रनों का योगदान दिया था और पिछले कुछ सालों में भारतीय टीम की ज्यादातर जीतों में अहम किरदार में रहें हैं.
हालाँकि, जब चौथे दिन का खेल शुरू हुआ तो पहले ही घंटे में बेन स्टोक्स की एक गेंद कोहली के बल्ले को छकाती हुई उनके पैड्स पर जा लगी और इसका नतीजा वही हुआ जिसकी कल्पना भी हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी को डरा रही थी, विराट 51 के निजी स्कोर पर एलबीडब्ल्यू करार दे दिए गए. जब कोहली आउट हुए तो टीम को जीत के लिए 53 और रनों की जरूरत थी और टीम के 3 विकेट ही शेष रह गए थे. हालाँकि कोहली के आउट होने के बाद इंग्लैंड की जीत महज औपचारिकता ही थी और यह औपचारिकता अगले 20 रनों के भीतर पूरी भी हो गयी. कोहली के आउट होने के बाद भारतीय टीम के हालत उस दौर की याद भी दिला रहा था जब 90 के दशक में सचिन तेंदुलकर का आउट होना मात्र ही भारत के हार जाना सरीखा हो जाता था. वर्तमान दौरे पर भी टीम उसी तरह के टेम्परामेंट में दिख रही है जहाँ टीम कोहली पर बहुत ज्यादा निर्भर कर रही है.
विराट कोहली
आंकड़े भी देते हैं इस बात की गवाही..
तेज पिचों पर टीम कोहली पर किस कदर निर्भर कर रही है यह कुछ आकड़ों के द्वारा समझी जा सकती है. दिसंबर 2013 से अब तक इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारतीय बल्लेबाजों का हाल यहीं बयां करता है. कोहली ने इन दौरों पर 17 टेस्ट मैच में खेले हैं, उसमें कोहली ने 54.48 की औसत से रन बनाये हैं, जबकि ऊपरी क्रम के सात बल्लेबाजों का कुल मिलाकर औसत इस दौरान 28.13 का रहा है. 2017-18 के सीजन की शुरुआत से अब तक 7 टेस्ट मैचों में कोहली ने भारत द्वारा कुल बनाये गए रनों का 32 फीसदी अकेले ही बनाया है. यह आकड़ें यह बताने के लिए काफी है, कोहली के बिना वर्तमान टीम किस कदर लाचार हो जा रही है.
वैसे भारतीय बल्लेबाजों को स्विंग करती तेज पिचें हमेशा से परेशान करती रहीं हैं, मगर बावजूद इसके टीम के बल्लेबाज इस दौरे पर भी इससे निपटने के लिए कुछ ख़ास करते नहीं दिख रहे हैं. पहले टेस्ट के बाद एक बार फिर टीम के कॉम्बिनेशन पर सवाल उठेंगे, चेतेश्वर पुजारा के बाहर रखे जाने पर भी सवाल उठेंगे मगर सच्चाई यही है कि टीम ने पुजारा को भी काफी मौके दिए हैं. मगर वह अपनी जगह कमा पाने में नाकाम रहे हैं. पुजारा दक्षिण अफ्रीका दौरे पर तीन टेस्ट मैचों में 100 रन ही बना सके थे, जबकि काउंटी क्रिकेट में भी उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है. भारतीय टीम ने पिछले कुछ सालों में बल्लेबाजी में कुछ प्रयोग भी किये जिसमें रोहित शर्मा को भी टेस्ट में अपनी काबिलियत दिखने का मौका मिला, मगर ज्यादातर मौकों पर नाकामयाब ही रहे हैं.
इंग्लैंड के खिलाफ समाप्त हुए पहले टेस्ट मैच में भारतीय बल्लेबाजों ने टीम को जिताने की कोई जिम्मेदारी भी नहीं दिखाई, इसकी बानगी हार्दिक पंड्या के बल्लेबाजी के समय भी दिखी जब टीम 7 विकेट खो कर बल्लेबाजी कर रही थी, वैसे मौके पर पंड्या ने खुद ज्यादा बल्लेबाजी करने के बजाय पुछल्ले बल्लेबाजों को इंग्लैंड की खतरनाक गेंदबाजी को ज्यादा झेलने का मौका दिया जबकि कोहली ने पहली पारी में 3 पुछल्लों बल्लेबाजों के साथ 100 रन से ज्यादा बनाये थे, जहाँ कोहली ने पुछल्लों बल्लेबाजों को कम से कम गेंदे झेलने दी थी. ऐसी ही किसी पारी की उम्मीद पंड्या से भी थी मगर पंड्या ऐसी कोई जिम्मेदारी दिखाने से बचते रहे.
हालाँकि, अभी भी इंग्लैंड दौरे पर भारत के लिए सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ है, टीम को इंग्लैंड के खिलाफ चार और टेस्ट मैच और खेलने हैं, और टीम के पास बराबरी का पूरा मौका है. हालाँकि टीम को इंग्लैंड में बराबरी करने के लिए पूरी टीम के अच्छे प्रदर्शन की दरकार होगी जो पहले टेस्ट में देखने को नहीं मिली. ऐसे में अगले टेस्ट में उम्मीद होगी टीम के बाकि बल्लेबाज भी कुछ जिम्मेदारी दिखाएँ और इंग्लैंड को कड़ी टक्कर दे.
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