हॉकी विश्वकप: क्या 43 सालों बाद भारत फिर रचेगा इतिहास?
साल 2018 एक बार फिर से भारत के लिए हॉकी में अपने खोए रुतबे को कुछ हद तक पाने का मौका लेकर आया है. भारत तीसरी बार हॉकी विश्वकप की मेजबानी कर रहा है. ये हॉकी महाकुंभ 28 नवंबर से 16 दिसंबर तक भुवनेश्वर में होगा.
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एक दौर था जब हॉकी और भारत एक दूसरे के पूरक हुआ करते थे. भारतीय टीम का दबदबा मैदान पर कुछ ऐसा हुआ करता था कि विरोधी मैदान पर भारत के खिलाफ उतरने से पहले ही आधी जंग हार चुके होते थे. हॉकी फील्ड पर भारतीय टीम के दबदबे का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 1928 से लेकर साल 1964 तक हुए 8 ओलिम्पिक खेलों में भारतीय टीम ने 7 बार हॉकी का स्वर्ण पदक जीता था, जबकि 1960 में रजत पदक जीता था. इसके अलावा भी भारतीय टीम ने 1968 और 1972 ओलिंपिक में कांस्य पदक जबकि 1980 ओलंपिक में आखिरी बार स्वर्ण पदक जीता था.
इसके अलावा भारतीय टीम ने एकमात्र बार साल 1975 में हॉकी का विश्वकप जीता था जब भारत ने पाकिस्तान को फाइनल में हराया था. इसके अलावा भारत के लिए हॉकी का विश्वकप कुछ खास नहीं रहा है. भारत के लिए विश्वकप जीतने के अलावा साल 1982 और 1994 में पांचवें स्थान पर रहना ही सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है.
43 साल पहले 1975 में पाकिस्तान को हराकर भारत ने पहला और एकमात्र वर्ल्ड कप जीता था
हालांकि साल 2018 एक बार फिर से भारत के लिए हॉकी में अपने खोए रुतबे को कुछ हद तक पाने का मौका लेकर आया है. इस बार हॉकी विश्वकप का मेजबान भारत है, भारत तीसरी बार हॉकी विश्वकप की मेजबानी कर रहा है. हॉकी के इस महाकुंभ में विश्व की कुल 16 टीमें हिस्सा ले रही हैं, जो 28 नवंबर से 16 दिसंबर तक चलेगा. मंदिरों के शहर भुवनेश्वर में मंगलवार को हॉकी विश्व कप 2018 के उद्घाटन समारोह के साथ ही इस महाकुम्भ की शुरुआत हो जाएगी.
भारतीय हॉकी टीम के लिहाज से देखें तो यह साल प्रदर्शन के लिहाज से कुछ खास नहीं रहा है. भारतीय टीम इस साल उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सकी. टीम को जहां एशियन गेम्स में तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा तो वहीं कॉमनवेल्थ गेम्स में टीम चौथे स्थान पर रही. हालांकि चैंपियंस ट्रॉफी में टीम जरूर जीत के करीब थी, मगर आखिरी मौकों में टीम ऑस्ट्रेलिया से हार गई थी.
इस बार भारत मेजबानी कर रहा है
हालांकि इस बार का विश्वकप भारत मे हो रहा है जिसका लाभ जरूर भारतीय टीम को मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा भारत को पूल 'सी' में जगह मिली है, जिसमें साउथ अफ्रीका, कनाडा और बेल्जियम की टीम है. पूल सी को भारत के लिहाज से थोड़ा आसान देखा जा रहा है. विश्व हॉकी में साउथ अफ्रीका और कनाडा का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है. हां भारत को बेल्जियम से जरूर कुछ चुनौती मिल सकती है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि भारत ठीक ठाक प्रदर्शन कर अंतिम 8 में जगह बना सकता है. इसके बाद हालांकि टीम की राह बहुत आसान नहीं होगी लेकिन ऐसा भी नहीं है कि वर्तमान भारतीय टीम विश्व के किसी भी टीम को हराने का माद्दा नहीं रखती. ऐसे में भारतीय खेल प्रेमियों को तो यही उम्मीद है कि भारतीय टीम मनप्रीत सिंह के नेतृत्व में फिर से एक बार हॉकी के मैदान पर इतिहास रचकर हर भारतीय को ‘चक दे इंडिया’ कहने का मौका देगी.
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