क्या कभी सामने आ पाएगा नरसिंह के डोपिंग विवाद का सच?
डोपिंग टेस्ट में फेल होने के बाद रियो ओलंपिक से लगभग बाहर हो चुके पहलवान नरसिंह यादव ने अपने खाने में प्रतिबंधित पदार्थ मिलाए जाने की साजिश का आरोप लगाया, क्या कभी आ पाएगा इस डोपिंग का सच?
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ओलंपिक शुरू होने से महज कुछ दिन पहले ही नरसिंह यादव डोपिंग टेस्ट में फेल हो गए. और इसके साथ ही रियो ओलंपिक में भाग लेने का उनका सपना टूटता नजर आ रहा है. जून में कोर्ट से सुशील कुमार के खिलाफ ओलंपिक की दावेदारी जीतने वाले नरसिंह यादव ओलंपिक कि एरिना में उतरने से पहले ही इस महाकुंभ से बाहर होते दिखाई दे रहे हैं. लेकिन, कहानी में अभी भी लगातार ट्वस्टि आ रहे हैं.
न सिर्फ नरसिंह यादव बल्कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया से लेकर मीडिया तक हर तरफ यही चर्चा है कि इस पहलवान के खिलाफ साजिश की गई है. नरसिंह यादव के डोप टेस्ट में फेल होने के बाद से ही घटनाक्रम तेजी से बदले हैं. नरसिंह अपने खाने में उस प्रतिबंधित पदार्थ को मिलाए जाने का आरोप लगा चुके हैं जिसकी वजह से वह डोप टेस्ट में फेल हो गए थे.
नेशनल डोपिंग एजेंसी (नाडा) ने 5 जुलाई को नरसिंह का डोप टेस्ट किया था. इस डोपिंग टेस्ट में नरसिंह यादव फेल हो गए थे. इस टेस्ट के ए और बी दोनों ही सैंपल पॉजिटिव आए थे और नरसिंह के डोपिंग टेस्ट में प्रतिबंधित पदार्थ मेटाडियेनॉन पाया गया था. आइए जानें नरसिंह यादव के मामले में कितनी तेजी से बदला है सबकुछ और क्या उनके ओलंपिक जाने की उम्मीदें अब भी बची हैं?
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नरसिंह के खिलाफ साजिश हुई? लेकिन क्यों?
नरसिंह यादव को ओलंपिक से जाने से रोकने के लिए उनके खिलाफ साजिश किए जाने और उनके खाने में प्रतिबंधित पदार्थ मिलाए जाने के आरोपों के बीच ये सवाल भी पूछा जा रहा है कि आखिर वह कौन है जो नरसिंह को ओलंपिक नहीं जाने देना चाहता और नरसिंह को ओलंपिक से बाहर करके किसका फायदा होगा? खैर, नरसिंह यादव का आरोप है कि भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के सोनीपत सेंटर में उनके खाने में एक ट्रेनी पहलवान ने प्रतिबंधित पदार्थ मिला दिया था, हालांकि सेंटर के रसोइए ने ये देख लिया था और खाना फिंकवा दिया गया था.
डोपिंग टेस्ट में फेल होने के बाद पहलवान नरसिंह यादव का ओलंपिक जाने का सपना टूट गया है! |
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और सासंद ब्रजभूषण शरण सिंह ने भी डोपिंग विवाद को नरसिंह के खिलाफ साजिश करार देते हुए कहा कि जून में उनके खाने में कुछ मिलाए जाने के विवाद के बाद खाने को फेंकने की जगह अगर तभी उसकी जांच करा ली गई होती तो सारा सच सामने आ जाता.
आरोपी पहलवान सुशील कुमार के अखाड़े में ट्रेनी:
नरसिंह के खाने में प्रतिबंधित पदार्थ मिलाने वाले शख्स की पहचान हो गई है और यह छत्रसाल स्टेडियम का एक ट्रेनी पहलवान है. इसके बारे में बताया गया है कि वह एक इंटरनेशनल रेसलर का छोटा भाई है और 65 किलोग्राम वर्ग में जूनियर इंटनरनेशनल चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुका है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पहलवान पर आरोप है कि इसे जून में साई के सोनीपत सेंटर में नरसिंह के कमरे के आसपास घूमते और नरसिंह के कमरे की चाबी मांगते देखा गया था.
2 जून को नरसिंह का डोप टेस्ट किया गया था जोकि निगेटिव आया था. इसके बाद वह टीम के साथ 20 दिन के बुल्गारिया और जॉजिया के दौरे पर चले गए. वापस आने पर 5 जुलाई को फिर से हुए डोप टेस्ट में नरसिंह फेल हो गए. नरसिंह का कहना है कि उनके बुल्गारिया दौरे के दौरान ही उनके साथ ये गंदा खेल खेला गया. नरसिंह इस बात पर अफसोस भी जताते हैं कि उन्होंने साई के सेंटर में ट्रेनिंग लेकर गलती की और अगर वह मुंबई में ट्रेनिंग लेते तो कभी भी डोपिंग टेस्ट में फेल नहीं होते.
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संयोग से नरसिंह के खाने में प्रतिबंधित पदार्थ मिलाने का आरोपी ट्रेनी पहलवान उसी छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग करता है, जहां नरसिंह के प्रतिद्वंद्वदी पहलावन सुशील कुमार ट्रेनिंग करते हैं और वहां के कोच उनके ससुर सतपाल हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जब सतपाल से इस शख्स के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि हो सकता है कि वह उसका चेहरा पहचानते हों लेकिन वह उन्हें याद नहीं है क्योंकि उनके अंडर में 3000 ट्रेनी पहलवान ट्रेनिंग लेते हैं. नरसिंह यादव ने उस ट्रेनी पहलवान के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.
रियो ओलंपिक में दावेदारी के लिए नरसिंह यादव और सुशील कुमार की जंग कोर्ट तक पहुंची थी, जहां फैसला नरसिंह के पक्ष में आया था |
इस घटना में साजिश की बात इसलिए भी मजबूत होती है क्योंकि साई के सोनपत सेंटर में हरियाणा के पहलवानों का दबदबा है और नरसिंह वहां बाहर से आने वाले शख्स की तरह थे. वैसे एक दशक पहले नैशनल कैंप से जुड़ने के बाद से ही नरसिंह यादव रो हरियाणा और पंजाब के दबदबे वाले भारतीय कुश्ती दल में हमेशा ही बाहर का शख्स माना गया.
नरसिंह यादव महाराष्ट्र से हैं और इस वजह से माना जाता है कि कई बार सेलेक्शन प्रक्रिया में उनकी अनदेखी की गई. यहां तक कि ओलंपिक के लिए कोटा जीतने के बावजूद उन्हें हरियाणवी पहलवान और ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार की दावेदारी का विरोध झेलना पड़ा और अंत में कोर्ट की मदद से उनके ओलंपिक जाने का रास्ता साफ हो पाया.
वर्ल्ड रेसलिंग फेडरेशन ने कहा था कि क्योंकि नरसिंह डोप टेस्ट में उसके टूर्नामेंट के बाहर पॉजिटिव पाए गए इसलिए भारत के पास उनकी जगह किसी और को ओलंपिक में भेजने का विकल्प है. इसके बाद रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने नरसिंह की जगह प्रवीण राना को ओलंपिक में भेजने का निर्णय लिया है. नरसिंह की अपील पर नाडा में फिर से सुनवाई हो रही है. लेकिन इस बात की संभावना काफी कम है कि नरसिंह को क्लीन चिट मिल पाएगी जबकि उनके पहले के दोनों टेस्ट पॉजिटिव आ चुके हैं. जो खिलाड़ी अपने पूरे करियर में कभी डोपिंग का शिकार नहीं हुआ, वह कैसे ओलंपिक के ठीक पहले ऐसी बेवकूफी करेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
ये लगभग तय है कि नरसिंह यादव का ओलंपिक जाने का सपना टूट चुका है. लेकिन सवाल तो ये है कि क्या कभी नरसिंह के डोपिंग में फंसने का सच सामने आ पाएगा?
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