X
Login
You agree to our privacy and cookie policy while login to our website.
Login With Facebook
iChowk
Aaj Tak
বাংলা
Aaj Tak Campus
GNTTV
Lallantop
India Today
Business Today
Cosmopolitan
Harper's Bazaar
Reader's Digest
Northeast
Malayalam
Sports Tak
Crime Tak
Astro Tak
Gaming
Brides Today
Ishq FM
सियासत
समाज
संस्कृति
स्पोर्ट्स
सिनेमा
सोशल मीडिया
इकोनॉमी
ह्यूमर
टेक्नोलॉजी
वीडियो
लॉगिन करें
मोबाइल नंबर
(+91)
Submit
or
You agree to our privacy and cookie policy while login to our website.
*
OTP डालें
OTP फिर भेजें
OTP फिर भेजें
Submit
New
अपनी स्टोरी, कविता या कहानी साझा करें...
चर्चा में
महाराष्ट्र
औरंगजेब
ज्ञानवापी मस्जिद
कांग्रेस
राहुल गांधी
योगी आदित्यनाथ
यूपी विधानसभा चुनाव 2022
रूस यूक्रेन विवाद
नरेंद्र मोदी
पंजाब चुनाव
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022
अखिलेश यादव
ओमिक्रॉन वेरिएंट
ममता बनर्जी
कोरोना वायरस
अफगानिस्तान
ऑक्सीजन
पश्चिम बंगाल चुनाव 2021
कोरोना वैक्सीन
किसान आंदोलन
भारत-चीन
अमित शाह
प्रियंका गांधी
टीम इंडिया
विराट कोहली
अरविंद केजरीवाल
अरुण जेटली
संस्कृति
| 5-मिनट में पढ़ें
vinaya.singh.77
@vinaya.singh.77
अंबुबाची मेला : आस्था और भक्ति का मनोरम संगम!
अंबुबाची जैसे मेले न सिर्फ लोगों को श्रद्धा से भर देते हैं बल्कि इनसे कुछ दुकानदारों की आजीविका भी चल जाती है. और अपनी लोक संस्कृति को बचाकर रखने के लिए ऐसे स्थानीय पर्व, जो अब ग्लोबल होते जा रहे हैं, बहुत आवश्यक हैं.
सियासत
| 2-मिनट में पढ़ें
दिव्या राकेश शर्मा
@1609812972748481
गंदगी फैला रही महिलाओं को सार्वजनिक शौचालयों पर ताला लगाकर ही सुधारा जा सकता है
महिलाएं जो कि अपने घर को चमका कर रखती हैं जो फर्श पर एक तिनका देख अपनी कामवाली या बच्चों पर बिगड़ जाती हैं. कभी कभी रौद्र रूप धारण कर ताडंव करने लगती हैं वे महिलाएं सार्वजनिक स्थल तो छोड़िए धार्मिक स्थलों पर भी गंदगी का ढेर लगा आती हैं. जो अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है.
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
उस माता-पिता की कहानी, जिन्होंने बेटे के मुंडन के लिए अपना सिर भी मुंडवा लिया
सिर मुंडवाने वाली मां लिखती हैं कि, मैंने अपना सिर 2021 में मुंडवाया था जब मेरा बेटा रुद्रांश 11 महीने का था. मेरे पति, संतोष और मैं रुद्र के मुंडन के लिए तिरुपति मंदिर में थे. संतोष और मैंने गंजा होने का फैसला किया ताकि हमारे बेटे को अजीब न लगे. पढ़िए पूरी कहानी...
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
क्या महबूबा मुफ्ती का शिवलिंग पर जल चढ़ाना महज राजनीतिक नौटंकी है?
महबूबा मुफ्ती ने नवग्रह मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाने पर सफाई दी है. उनका कहना है कि, मैं पुंछ में मंदिर के अंदर देखने गई थी. मंदिर में किसी ने बड़ी श्रद्धा से मेरे हाथ में लोटा रख दिया, मैं मंदिर में किसी का दिल नहीं तोड़ सकती थी. क्या आप महबूबा मुफ्ती के इस बयान से सहमत है, या फिर बात कुछ और है?
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 2-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
विदेश में मंदिर साथ ले जाने वाले रामचरण और उनकी पत्नी उपासना पर हर भारतीय को गर्व है
ऑस्कर से पहले का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें रामचरण और उनकी पत्नी उपासना एक छोटे से मंदिर की पूजा करते दिख रहे हैं. रामचरण का कहना है कि वे और उनकी पत्नी देश-विदेश जहां भी जाएं अपने साथ इस छोटे से मंदिर को लेकर जाते हैं और इसकी स्थापना कर पूजा करते हैं.
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
Maha Shivratri 2023: भगवान शिव से हर पति को सीखनी चाहिए ये चार बातें
अगर पति अपनी जिंदगी में भगवान शिव के गुण उतार लें तो उनका गृहस्थ जीवन सफल हो जाता है. आज के समय में बिखरते रिश्तों को और ज्यादा संभालने की जरूरत है. समय कितना भी क्यों ना बदल जाए, पति-पत्नी के रूप में शिव-पार्वती की प्रासंगिकता कभी खत्म नहीं होती है. चलिए जानते हैं कि वे गुण कौन से हैं?
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
भक्ति में डूबे विराट कोहली क्या संदेश देते हैं?
विराट कोहली की ये तमाम तस्वीरें सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं. चर्चा इस बात की है कि एक व्यक्ति जो अपने क्षेत्र में इस वक्त सर्वोच्च पर है, वो कैसे अध्यात्म, धर्म और संस्कृति के साथ जुड़ा हुआ है.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
तृषा वर्मा
जानिए गुप्त नवरात्रि क्या है, जो 22 जनवरी से शुरू हो चुकी है?
Gupt Navratri 2023: क्या आप जानते हैं कि गुप्त नवरात्रि आम नवरात्रि से कैसे अलग होती है? हमारे हिंदू धर्म से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है. लोग अपनी आस्था अनुसार 9 दिनों का व्रत रख शक्ति देवी के नौ रुपों की पूजा करते हैं.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
भारत जोड़ो यात्रा की लंबी दूरी का सबसे बुरा असर इसके मकसद पर पड़ा
'भारत जोड़ो यात्रा' में दूरी असामान्य रूप से बड़ी है जिसे तय करने में मकसद इस कदर बदल रहे हैं कि कथित मूल मकसद गायब ही हो गया है. वस्तुतः 'भारत जोड़ो' का मकसद था ही नहीं, मकसद तो जोड़ने के नाम पर तोड़ना था. भाषा के नाम पर जब हिंदी विरोध दिखा, उत्तर-दक्षिण दिखा, जगजाहिर बांटने की बात करने वाले जहां-तहां जुड़ते दिखे.