तो कहानी खत्म हो गई एलियंस की?
इस दुनिया की सबसे रहस्मयी चीजों में से एक एलियन और यूएफओ (उड़न तश्तरी) रहे हैं. इनसे जुड़ी कहानियों और दंतकथाओं से मानव इतिहास भरा पड़ा है. लेकिन हाल ही में आई एक स्टडी का कहना है कि खत्म हो चुके हैं सारे एलियंस.
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यह अहसास भी अंदर से आपको हिला देने के लिए काफी होता है कि इतने बड़े ब्रह्मांड में हम अकेले हैं, या यूं कहें कि असीमित और अनंत विस्तार वाले ब्रह्मांड में सिर्फ पृथ्वी पर ही जीवन है. शायद इसीलिए मानव बाकी ग्रहों पर भी जीवन की तलाश में लगा रहा है. लेकिन वर्षों से जारी खोज और इस रिसर्च में अरबों रुपये खर्च कर देने के बावजूद आज भी विज्ञान के पास दूसरे ग्रहों पर जीवन की मौजदूगी के बारे में कोई निश्चित सबूत या जानकारी नहीं है.
लेकिन हाल ही में आई एक स्टडी दूसरे ग्रह के जीवों यानी कि एलियंस से जुड़ी कहानियों और रोमांच का अंत करने वाली साबित हो सकती है. इस स्टडी के मुताबिक वर्षों से जारी खोज के बाद अगर आज तक एलियंस के बारे में कोई सुराग नहीं मिल सका है तो इसकी एकमात्र वजह ये है कि एलियंस खत्म हो चुके हैं. चौंक गए न आप! लेकिन इस स्टडी में इस बात की संभावनाएं जताई गई हैं.
खत्म हो चुके हैं एलियंस?
इस दुनिया की सबसे रहस्मयी चीजों में से एक एलियन और यूएफओ (उड़न तश्तरी) रहे हैं. इनसे जुड़ी कहानियों और दंतकथाओं से मानव इतिहास भरा पड़ा है. हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक एलियंस पर बनी फिल्मों ने दूसरे ग्रह के जीवों के प्रति मानव की उत्सुकता को बरकरार रखा है. लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया की एक रिसर्च टीम ने अपनी स्टडी में इस बात की संभावना जताई है कि संभव है कि कभी एलियंस का अस्तित्व रहा हो लेकिन प्राकृतिक परिस्थितयों को न झेल पाने के कारण वे सभी मारे गए और इसीलिए अब उनके बारे में कोई जानकारी मिल पा रही है.
ऑस्ट्रेलिया नेशनल यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट्स आदित्य चोपड़ा और चार्ली लाइनवीबर ने अपनी स्टडी में कहा कि एक और संभावना हो सकती है. दूसरे ग्रहों पर थोड़े समय के लिए जीवन था लेकिन यह बहुत ही जल्द समाप्त हो गया. इन अध्ययनकर्ताओं ने इस घटना को 'गायन बोटलनेक हाइपोथीसिस' (Gaian Bottleneck Hypothesis) नाम दिया है.
चोपड़ा ने प्रेस रिलीज में कहा है, शुरुआत में जीवन नाजुक था, 'इसलिए हमारा मानना है कि यह शायद ही कभी यह जीवित बचे रहने के लिए पर्याप्त विकसित हो सका. उन्होंने कहा कि ज्यादातर ग्रहों के शुरुआती वातावरण अस्थिर हैं. जीवन को बचाए रखने के क्रम में किसी भी ग्रह के लिए ग्रीन हाउस गैसों को विनियमित करने की जरूरत है ताकि सतह के तापमान को स्थिर रखा जा सके.' इस प्रक्रिया को गायन रेग्युलेशन (Gaian regulation) कहते हैं और जो हमारे ग्रह पर हुई. लेकिन चोपड़ा और लाइनवेयर का मानना है अनुमान है कि यह दुर्लभ घटना है.
इसके लिए रिसर्चर्स ने मंगल और शुक्र ग्रह का उदाहरण दिया. उनका कहना है कि हो सकता है कि ये दोनों ही ग्रह अतीत में रहने के योग्य रहे हों लेकिन ये दोनों ही तेजी से बदलते वातावरण को स्थिर कर पाने में नाकाम रहे. नतीजा आज मंगल एक जमा हुआ वीरान ग्रह तो शुक्र धधकता हुआ ग्रह. लेकिन धरती पर जीवन ने ग्रह के वातावरण को स्थिर बनाने में अहम भूमिका अदा की.
रिसर्चर्स का मानना है कि धरती के शुरुआती सूक्ष्मजीवों इस ग्रह के वातावरण को स्थिर रखने में मदद की जबकि मंगल और शुक्र जैसे किसी और ग्रह पर जहां कभी जीवन रहा होगा वे ऐसा करने में नाकाम रहे.
अपने अध्ययन में लाइनवीबर ने कहा, 'एलियंस के बारे में अब तक कोई भी लक्षण न पाए जाने के पीछे के रहस्य के जीवन की उत्पत्ति और बुद्धिमत्ता से ज्यादा ग्रहों की सतहों पर प्रतिक्रिया चक्र के जैविक विनिमयन के तेजी से उभरने की दुर्लभता से संबंधित होने की संभावना है.'
एलियंस को लेकर पहले भी कई दावे किए जाते रहे हैं लेकिन अब तक इनमें से कुछ भी साबित नहीं हो पाया है. अब इन दावों में एक नया दावा जुड़ा है कि एलिंयस खत्म हो चुके हैं. लेकिन यह दावा उतना ही रहस्यमयी है जितना कि खुद एलियंस.
असीमित और अनंत विस्तार वाले ब्रह्मांड से जुड़े रहस्यों को जानने में अभी विज्ञान को बहुत वक्त लगेगा. तब तक एलियंस के मिलने का इंतजार करिए!
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