iPhone बेचने के लिए एपल ने बोले हैं ये झूठ
एपल कंपनी ने 12 सितंबर को हुए अपने इवेंट में iPhone की तस्वीरों में Bokeh इफेक्ट अपग्रेड को एकदम नया बताया जबकि असल में ये सैमसंग में पहले से है. इसी तरह इतिहास में एपल ने कई बार झूठ बोला है.
-
Total Shares
एपल कंपनी ने 12 सितंबर 2018 को एक इवेंट में अपने तीन नए आईफोन मॉडल लॉन्च कर दिए हैं. ये आईफोन X यानी 10 सीरीज के मॉडल हैं. इस बार आईफोन प्लस की जगह आईफोन मैक्स लॉन्च किया गया है. तीनों मॉडलों के नाम कुछ अलग हैं और ये दिखाता है कि एपल कंपनी ने पुराने नाम वाली सीरीज को पीछे छोड़ दिया है. XS, XS मैक्स और XR नाम के ये तीन मॉडल आए हैं और इसी के साथ नई एपल वॉच भी लॉन्च हुई है.
इन तीनों मॉडलों के दाम भी सबसे खास हैं, इनमें सबसे सस्ता है आईफोन XR जो भारतीय मार्केट के हिसाब से 76,900 रुपए (64 जीबी बेस मॉडल) का होगा. इसके अलावा, 128GB वाले मॉडल की कीमत 81,900 रुपए और 256GB वाले मॉडल की कीमत 91,900 रुपए होगी. हालांकि, हमेशा की तरह ही अमेरिका में इस आईफोन की कीमत 749 डॉलर (53,900 रुपए) से शुरू हो रही है और सबसे महंगा मॉडल 899 डॉलर यानी 64,900 रुपए का है.
एपल ने एक साथ तीन आईफोन लॉन्च किए हैं
इसके अलावा, Xs और Xs max की कीमत बहुत ज्यादा है. Xs की शुरुआत होती है 99,900 रुपए से ये 64 जीबी वाले मॉडल की है. और 64 जीबी Xs मैक्स की कीमत है 1,09,900 रुपए. 256 जीबी वाले Xs की कीमत 1,14,900 रुपए और Xs मैक्स की कीमत 1,24,900 रुपए है. 512 जीबी वाला मॉडल Xs 1,34,900 रुपए का है और मैक्स 1,44,900 रुपए का.
क्या अलग है इसकी बात करें तो तीनों आईफोन्स में कैमरे में कोई खास अपडेट नहीं मिलता है. मेगापिक्सल के मामले में एपल अभी भी 12 मेगापिक्सल कैमरा लेंस के साथ ही है. उसके अलावा, प्रोसेसिंग स्पीड थोड़ी जरूर बढ़ाई गई है. सबसे बड़ा अपडेट है दो सिम का. एक तरफ एपल में eSim का इस्तेमाल किया जा सकता है दूसरी तरफ चीन वाले मॉडल में दोनों इंडिपेंडेंट सिम लगती हैं.
लॉन्च के समय एपल इवेंट में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट फिल स्किलर ने कहा कि एपल किसी भी स्मार्टफोन में पहली बार Bokeh इफेक्ट में ड्रैग करके इफेक्ट को कम या ज्यादा करने वाला फीचर आया है. फिल ने कहा कि ये सिर्फ आईफोन में ही है और किसी भी फोन में नहीं. ऐसे इफेक्ट हम महंगे प्रोफेश्नल कैमरा में ला सकते हैं, और किसी फोन में नहीं. पर ये सही नहीं है.
Bokeh इफेक्ट के लिए बोला एपल ने झूठ?
एपल कंपनी ने अपने तीन नए आईफोन को लॉन्च करते हुए अपने ही प्रोडक्ट के एक पुराने फीचर को अपडेट करने की बात की. वो है Bokeh इफेक्ट. फोटो में Bokeh इफेक्ट ड्रैग कर कम या ज्यादा कर फोटो की डिटेल बढ़ाने या घटाने वाले फीचर के बारे में एपल ने दावा किया कि ये सिर्फ आईफोन Xs और XR में है जब्कि ये सही नहीं है.
(एपल कंपनी की वेबसाइट में भी इस इफेक्ट के बारे में जानकारी दी गई है. आर्टिकल यहां पढ़ें-)
ये इफेक्ट सैमसंग तो छोड़िए वीवो और ओप्पो जैसे स्मार्टफोन्स में भी है. इसी तरह ड्रैग कर या प्लस या माइनस के सिम्बल पर क्लिक कर आप Bokeh इफेक्ट को कम या ज्यादा कर सकते हैं.
सैमसंग की वेबसाइट पर दी गई फोटो, इसमें Bokeh इफेक्ट के लिए प्लस और माइनस साइन देखे जा सकते हैं
ये फोटो सैमसंग कंपनी ने अपने नोट 8 के Bokeh इफेक्ट के बारे में बताते हुए अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर पोस्ट की थी. फोटो में प्लस और माइनस के साइन देखे जा सकते हैं और ये साबित करता है कि Bokeh इफेक्ट कम या ज्यादा करने वाला फीचर सिर्फ आईफोन में ही नहीं है.
(सैमसंग के आर्टिकल को यहां पढ़ें- )
इसके अलावा, भी बीते सालों में एपल ने अपने प्रोडक्ट्स को लेकर कई झूठ बोले हैं. जैसे-
1. एपल आईफोन तेज़ है..
एपल सालों से ये बताता आया है कि एपल आईफोन तेज़ है पर असल में आईफोन ऐसा भ्रम पैदा करता है कि वो तेज़ है. एक Reddit यूजर ने इस बारे में बताया. असल में एपल एप पर जब क्लिक किया जाता है तो एप नहीं बल्कि एप का स्क्रीन शॉट दिखाया जाता है. दरअसल, आईफोन या एंड्रॉयड किसी भी फोन का ऑपरेटिंग सिस्टम हो वो एप बंद होते ही एक स्क्रीनशॉट ले लेता है. आईफोन में किसी भी एप को खोलते समय यूजर को वो स्क्रीनशॉट दिखाया जाता है और उससे यूजर को लगता है कि फोन तेज़ काम कर रहा है. जब्कि असल में एपल ने अपने लिए कई सेकंड ले लिए होते हैं एप को खोलने के लिए. इसके साथ ही, जैसे ही एप खुलता है वैसे ही स्क्रीनशॉट फेड हो जाता है और एप अपना काम करने लगता है.
एपल असल में तेज़ होने का भ्रम पैदा करता है
Reddit यूजर का कमेंट यहां पढ़ें-
तो अब आप समझ ही गए होंगे कि एपल की तेज़ी का कारण क्या है? हालांकि, कभी एपल की तरफ से इस दावे को लेकर कोई बयान नहीं आया.
2. एपल के पुराने आईफोन्स भी उतने ही तेज़ चलते हैं..
ये तो हाल ही में साबित किया गया झूठ था. एपल कंपनी ने हमेशा ये कहा है कि उसके आईफोन्स पुराने होने के बाद भी सॉफ्टवेयर अपग्रेड होने पर सही चलते हैं, लेकिन जब इस बात पर हंगामा मचा कि नए सॉफ्टवेयर अपडेट से आईफोन धीमे हो रहे हैं तब खुद टिम कुक ने ये माना था कि कंपनी जानबूझकर आईफोन्स को धीमा करती है. दिसंबर 2017 में इस बात पर बहस छिड़ गई थी.
कंपनी का तर्क था कि ये एक तरह ही पावर मैनेजमेंट तकनीक है. इस तकनीक से आईफोन की लाइफ थोड़ी बढ़ जाती है. समय के साथ-साथ बैटरी खराब होने लगती है और उसकी रीचार्जिंग की समस्या थोड़ी बढ़ जाती है. बैटरी की अपनी एक रीचार्ज साइकल होती है और एक समय आता है जब वो पूरी तरह से खराब हो जाती है और उसे रीचार्ज नहीं किया जा सकता. इस समस्या से निपटने के लिए एपल कंपनी अपने पुराने स्मार्टफोन्स को धीमा कर देती है. इसके कारण प्रोसेसर की स्पीड को धीमा करना पड़ता है. इससे होता ये है कि आईफोन की लाइफ थोड़ी और बढ़ जाती है क्योंकि बैटरी पर ज्यादा लोड नहीं पड़ता. एक बैटरी 500 बार रीचार्ज होने के बाद ही अपनी 20% पावर खो देती है.
एपल कंपनी के अनुसार ऐसा करने से बैटरी पर प्रेशर नहीं पड़ता और आईफोन क्रैश होने, बिना मतलब शटडाउन होने या फिर पूरी तरह से खराब होने से थोड़ा बच जाता है. एपल का कहना है कि ये तरीका आईफोन 6, 6S, SE और 7 में कारगर रहा है.
So it's true Apple intentionally slow down old iPhones. Proof: My iPhone 6 was bought 3years ago and recently got really slow. APP 'CPU DasherX' shows iPhone CPU is under clocked running at 600MHz. After a iPhone battery replacement. CPU speed resumed to factory setting 1400MHz. pic.twitter.com/pML3y0Jkp2
— Sam Si (@sam_siruomu) December 20, 2017
इस बारे में आप आईचौक के आर्टिकल में पढ़ सकते हैं- तो इसलिए अपने आप धीमे हो रहे हैं iPhones...
3. आईफोन 4 के समय एंटीना की गड़बड़..
एपल आईफोन 4 जब लॉन्च हुआ था तो उसके डिजाइन को लेकर मीडिया में बहुत बढ़-चढ़कर बोला गया था. आईफोन 4 में एक नया डिजाइन था जिसमें स्टील बॉर्डर के साथ एंटीना दिया गया था जो बेहतर कनेक्शन के लिए था. लेकिन अगर कोई उसपर बात करते-करते गलती से उंगली रख देता था तो कनेक्शन और भी ज्यादा धीमा हो जाता था.
हालांकि, इससे आईफोन की लोकप्रियता कम नहीं हुई थी, लेकिन इसे बहुत बड़ा डिजाइन ब्लंडर कहा गया था. इसको लेकर स्टीव जॉब्स खुद कह चुके थे कि, 'आप बस आईफोन को अलग तरह से पकड़िए सब सही हो जाएगा.' बात इतनी बढ़ गई थी कि “You’re holding it wrong” के नाम से Urban Dictionary ने एक मीम भी बना दिया था.
अर्बन डिक्शनरी द्वारा एपल पर बनाया गया मीम
बाद में एपल ने मान लिया था कि उनसे डिजाइन के मामले में गड़बड़ हो गई है.
4. USB-C टाइप पोर्ट से बेहतर लाइटनिंग पोर्ट..
एपल ने 2012 में अपना लाइटनिंग पोर्ट लॉन्च किया था और इससे चार्जिंग पोर्ट काफी पतला हो गया था. एपल ने लगातार अपने इसी पोर्ट को जारी रखा और उसकी जगह निंटेंडो के गेमिंग कंसोल, एंड्रॉयड फोन्स में USB-C पोर्ट इस्तेमाल होने लगा. 2016 में एपल ने 3.5mm जैक हटा दिया और तब तक USB-C पोर्ट फास्ट चार्जिंग के लिए सबसे अहम हो गए. फिर भी एपल ने अपने लाइटनिंग पोर्ट का ही इस्तेमाल किया. एपल का दावा था कि ये बहुत तेज़ चार्जिंग करता है, लेकिन सभी जानते हैं कि एंड्रॉयड टर्बो चार्जिंग फोन्स में कितनी जल्दी चार्जिंग पूरी होती है.
5. प्रोसेसर में 7nm डिजाइन..
एपल ने इस साल के लॉन्च में बताया है कि उसके प्रोसेसर में सबसे बड़ा तकनीकी विकास किया गया है. एपल A12 Bionic processor दुनिया में पहले 7nm तकनीक वाला प्रोसेसर है. 7nm तकनीक दरअसल, एक खास तरह के प्रोसेसर का कमर्शियल नाम है. ये एक ऐसी तकनीक है जिसमें पावरफुल प्रोसेसर को छोटा बनाया जा सकता है और प्रोसेसर ज्यादा से ज्यादा रिजल्ट दे सकता है.
एपल के हिसाब से पहला 7nm सक्सेसफुल प्रोसेसर आईफोन XS में है, लेकिन इस तरह के प्रोसेसर पर काम 2016 से शुरू हो चुका है और पहला प्रोसेसर Kirin 980 SoC है जो Huawei की तरफ से एपल से पहले (सिर्फ कुछ दिन पहले) ही लॉन्च किया गया था. हालांकि, इसके बारे में बातें अगस्त से ही चल रही थी.
ये भी पढ़ें-
आपकी राय