हमारे बैंक अकाउंट पर डाका डालने के लिए एप बनकर बैठे हैं डाकू
बैंकों को लेकर सोफोज लैब्स के चौंकाने वाले खुलासे के बाद हमारे लिए ये बेहद जरूरी हो जाता है कि हम अपनी प्राइवेसी के मद्देनजर खुद ही बहुत सावधान रहें.
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एक ऐसे समय में जब डेटा चोरी की खबरें आम हुई हों और उसके लिए आम जनता गंभीर हुई हो. आईटी सिक्योरिटीज की दिशा में काम करने वाली कंपनी सोफोज लैब्स ने एक चौंकाने वाला बड़ा खुलासा किया है. सोफोज लैब्स ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि गूगल प्ले स्टोर पर सिटी बैंक, एक्सिस बैंक, स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक समेत कई नामी गिरामी बैंकों के फर्जी एप मौजूद हैं, जिनके माध्यम से लाखों ग्राहकों की जानकारी से सम्बंधित डेटा चोरी हो चुके हैं. रिपोर्ट में इस बात का साफ उल्लेख है कि गूगल प्ले स्टोर पर अलग-अलग बैंकों के जो फर्जी एप मौजूद हैं उनमें असली लोगो लगे हैं जिसके चलते कस्टमर्स असली और नकली एप के बीच भेद नहीं कर पाते और एक बड़ी जालसाजी का शिकार हो जाते हैं.
सोफोज लैब्स का खुलासा बैंकों के तमाम कस्टमर्स के लिए गहरी चिंता का विषय है
रिपोर्ट में बताया गया है कि इन एप्स में ऐसे तमाम मालवेयर मौजूद हैं जिनके चलते लाखों कस्टमर्स और क्रेडिट कार्ड्स की इनफार्मेशन चोरी हो चुकी हैं. हालांकि जब इस बारे में बैंकों से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो तमाम बैंक मामले पर कन्नी काटते हुए नजर आए और उन्होंने साफ कह दिया कि इस बारे में उन्हें किसी भी तरह की कोई जानकारी नहीं है.
रिपोर्ट में कही बात पर अपना पक्ष रखते हुए सिटी इंडिया ने अपना बयान जारी किया है. सिटी इंडिया के प्रवक्ता ने कहा है कि उसका बैंक रिपोर्ट में उल्लेखित एप से किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं हुआ है. बैंक ने सोफोज लैब को लिखित में कहा है कि इस रिपोर्ट से उसका नाम हटाया जाए. वहीं इस मामले पर भारतीय स्टेट बैंक ने पूर्ण रूप से चुप्पी साध रखी है और उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. बात अगर यस बैंक की हो तो यस बैंक के अनुसार उन्होंने इस समस्या के लिए साइबर क्राइम डिपार्टमेंट से संपर्क साधा है.
कैसी होती है ये चोरी
आज भले ही हम डिजिटल इंडिया की बातें कर रहे हैं मगर देखा जाए तो अब भी हम तकनीकी रूप से बहुत पिछड़े हैं. फेक एप्स और डेटा चोरी करने वाले लोगों ने हमारी इसी दुखती रग को पकड़ा है और इससे भरपूर फायदा उठाया है. ध्यान रहे कि गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद ये एप ग्राहकों को एप डाउनलोड, इंस्टॉल और इस्तेमाल करने के एवज में कैश बैक, फ्री मोबाइल डेटा और बिना इंट्रेस्ट का लोन देने जैसा प्रलोभन देते हैं और उन्हें अपने जाल में फंसाते हैं.
कैसे पहचाने फर्जी बैंकिंग एप्स
यदि आप इस बता को लेकर विचलित हैं कि इन फर्जी बैंकिंग एप्स की पहचान कैसे की जाए तो इन्हें पहचानना बहुत आसान है. चूंकि आपकी समस्त जानकारियां बैंक को मालूम होती हैं. अगर इसके बाद भी एप आपसे व्यक्तिगत बैंकिंग विवरण या जानकारियां भरने को कहे तो समझ जाइए कि कहीं न कहीं एप फेक है और इनके द्वारा आपको एक ऐसे जाल में फंसाया जा रहा है जिससे निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
फेक एप द्वारा प्रलोभन देकर ग्राहकों का डेटा चोरी किया जा रहा है
कैसे काम करती हैं ये फर्जी बैंकिंग एप्स
चाहे किसी भी बैंक की फेक एप हो इनकी कार्यप्रणाली और जालसाजी का तरीका एक सा ही होता है. जैसे ही आप इन एप्स को खोलेंगे आपकी स्क्रीन पर एक फॉर्म आएगा जिसे भरने के लिए आपके क्रेडिट कार्ड के डिटेल मांगे जाएंगे. यदि आपने इस फॉर्म को भरकर जमा कर दिया तो आपके सामने एक दूसरा पेज डिस्प्ले होगा जिसपर आपकी लॉग इन संबंधी जानकारियां मांगी जाएंगी.
सारे फॉर्म भरने के बाद आपके पास एक मैसेज आएगा कि जल्द ही आपसे कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव संपर्क करेगा. यदि इन एप्स को ध्यान से देखें तो मिलता है कि इनके फॉर्म बेतरतीबी से डिजाइन किये गए होते हैं. इनमें फॉन्ट्स का भारी मिस मैच होता है. अगर यूजर ने कभी भी सही एप इस्तेमाल की हो तो वो आसानी से इस जालसाजी को पहचान सकता है.
बैंकों को अपनी वेबसाइट पर एप का लिंक देना चाहिए
जिस तरह से आए रोज इस समस्या का विस्तार हो रहा है. कहना गलत नहीं है कि ग्राहकों को किसी भी तरह की जालसाजी से बचाने के लिए बैंकों को अपनी वेबसाइट के होम पेज पर ही एप का लिंक दे देना चाहिए. ज्ञात हो कि अभी तक हमारे जितने भी भारतीय बैंक हैं या तो उनकी वेबसाइट पर ये सुविधा नदारद है या फिर एप तक जाने के लिंक बहुत अन्दर हैं. सुरक्षा के मद्देनजर बैंकों की तरफ से अपने ग्राहकों के लिए कुछ ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे वो बैंक की वेबसाइट के होम पेज से ही अपने मोबाइल या डेस्कटॉप पर बैंक की ऑफिशियली डाउनलोड कर उसे इंस्टाल कर लें.
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