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Updated: 28 अगस्त, 2016 06:00 PM
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क्या इस ब्रह्मांड में धरती के अलावा कहीं और भी जीवन है? ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब तलाशने की कोशिश में विज्ञान वर्षों से लगा है लेकिन तमाम अनुसंधानों के बावजूद उसके पास सिर्फ कयासों के अलावा आज भी इस सवाल का कोई सटीक जवाब नहीं है.

ऐसे में अगर आपको पता चले की वैज्ञानिकों को 'धरती जैसा' कोई ग्रह मिल गया है तो आपका चौंकना लाजिमी है. दरअसल ब्रह्मांड में धरती के अलावा भी कहीं और जीवन की संभावनओं को तलाशने में जुटी रिसर्च टीम ने एक ऐसे ग्रह प्रोक्जिमा बी को खोजा है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वहां जीवन हो सकता है. 

सूर्य के सबसे करीब स्थित रेड डॉर्फ (ठंडा तारा) यानी कि तारे प्रोक्जिमा सेंटौरी की परिक्रमा कर रहे प्रोक्जिमा बी नामक ग्रह के बारे में मिली जानकारियां इस ग्रह पर जीवन होने की संभावनाओं को बल देती हैं. आइए जानें आखिर क्यों इस नए ग्रह पर हैं जीवन होने की संभावनाएं.

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धरती जैसे नए ग्रह पर है जीवन?

वैज्ञानिकों ने हाल ही में हमारे सूर्य के सबसे करीब स्थित (4.2 प्रकाश वर्ष दूर) तारे प्रोक्जिमा सेंटौरी की परिक्रमा करते धरती जैसे एक नए ग्रह प्रोक्जिमा बी की खोज की है. प्रोक्जिमा बी सेंटौरी की हर 11.2 दिन में एक परिक्रमा पूरी करता है. साथ ही इसका द्रव्यमान पृथ्वी से 1.3 गुना ज्यादा है, जिसका अर्थ है कि यह ग्रह पथरीला हो सकता है.

इस नए खोजे गए ग्रह की परिस्थितियां इस बात की संभावनाओं को बढ़ाती हैं कि अगर इस इस ग्रह पर पानी हुआ तो वह लिक्विड अवस्था में हो सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक प्रोक्जिमा बी का तापमान पानी के लिक्विड अवस्था में रहने के लिए जरूरी तापमान जितना ही हो सकता है.

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वैज्ञानिकों ने हमारे सूर्य के सबसे करीब स्थित तारे की परिक्रमा करते धरती जैसे ग्रह प्रोक्जिमा बी की खोज की है

वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रोक्जिमा बी का सूर्य हमारे सूर्य की तुलना में ज्यादा ठंडा और कम तापमान वाला है. यही वजह है कि हमारे सौरमंडल में स्थित बुध की सूरज से दूरी की तुलना में अपने तारे से कहीं कम दूरी पर स्थित होने के बावजूद प्रोक्जिमा बी का तापमान जीवन के अनुकूल माना जा रहा है और इसे धरती जैसा ग्रह कहा जा रहा है.

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वैज्ञानिकों ने खोजा धरती जैसा नया ग्रह प्रोक्जिमा बी (तस्वीरः साभार cnet.com )

इस नए ग्रह की खोज के लिए वैज्ञानिकों ने चिली स्थित दो विशालकाय दूरबीनों की मदद से जुटाई गई जानकारियों के अध्ययन से हुई है. इस अध्ययन से सामने आया कि सेंटौरी नामक तारे की परिक्रमा कर रहे किसी ग्रह के खिंचाव के कारण सेंटौरी में थोड़ा सा हिलता दिखता है. (और तस्वीरें देखने के लिए नीचे की फोटो पर क्लिक करें)

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वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ग्रह की खोज की है जिस पर है जीवन होने की संभावनाएं (तस्वीर cnet.com से साभार)

यह ग्रह और कोई नहीं बल्कि प्रोक्जिमा बी था, जोकि सेंटौरी तारे से 47 लाख मील (75 लाख किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है और करीब 11.2 दिन में इस तारे की एक परिक्रमा पूरी करता है.  

कितना सच है प्रोक्जिमा बी पर जीवन होने का दावा?

प्रोक्जिमा बी पर जीवन है या नहीं इस बारें अभी सिर्फ कयास ही लगाए जा सकते हैं. इसके कई कारण हैं, जैसे वैज्ञानिकों को सिर्फ इस ग्रह के द्रव्यमान के बारे में पता है लेकिन रेडियस के बारे में नहीं, यानी उन्हें ये नहीं पता है कि ये ग्रह पथरीला है या नहीं. इसी तरह छोटे तारे की परिक्रमा करने के आधार पर इसे ‘हैबिटेबल जोन’ (रहने योग्य क्षेत्र) माना जा रहा है. (और तस्वीरें देखने के लिए नीचे की फोटो पर क्लिक करें)

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प्रोक्जिमा बी की सतह का काल्पनिक चित्रण (तस्वीरः cnet.com से साभार)

यानी अगर इस ग्रह पर पानी मौजूद हुआ तो वह लिक्विड अवस्था में होगा. लेकिन अभी ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब तलाशना बाकी हैं. जैसे अभी यही नहीं पता कि इस ग्रह पर जीवन है की नहीं और इस पर पर्यावरण है की नहीं? साथ ही क्या इस पर तारे से निकली हाई एनर्जी रेडिएशन से बचाने के लिए मैग्नेटिक फील्ड मौजूद है की नहीं? (और तस्वीरें देखने के लिए नीचे की फोटो पर क्लिक करें)

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वैज्ञानिक का कहना है कि प्रोक्जिमा बी पर पानी लिक्विड अवस्था में हो सकता है (तस्वीर cnet.com से साभार)

प्रोक्जिमा बी ऐसा पहला ग्रह नहीं है जिसे ‘रहने योग्य क्षेत्र’ में माना गया है. हमारे सौर ग्रह के बाहर सबसे पहले ग्रह की खोज 1992 में हुई थी, जब वैज्ञानिकों ने न्यूट्रॉन जैसे पल्सर नाम सूर्य की परिक्रमा करते हुए ग्रह को खोजा था. सूर्य जैसे तारे की परिक्रमा करने वाले पहले ग्रह की खोज 1995 में हुई थी. (और तस्वीरें देखने के लिए नीचे की फोटो पर क्लिक करें)

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सूर्य के सबसे नजदीक स्थित तारे प्रोक्जिमा सेंटौरी और उसके ग्रह प्रोक्जिमा बी की स्थिति (तस्वीरः space.com से साभार)

तब से केपलर स्पेस ऑब्जर्वेटरी और ग्राउंड बेस्ड ऑब्जर्वेशंस ने पृथ्वी के आकार के और अपने सूर्य के हैबिटेबल जोन में स्थित ऐसे कई ग्रहों कि खोज की है. खगोलशास्त्रियों का कहना है कि हमारी गैलेक्सी में पृथ्वी जैसे आकार के करीब 40 अरब ग्रह मौजूद हो सकते हैं, जोकि हमारे सूर्य जैसे तारे (यलो डॉर्फ) या रेड डॉर्फ की परिक्रमा कर रहे हैं. (और तस्वीरें देखने के लिए नीचे की फोटो पर क्लिक करें)

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वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस नए खोजे गए ग्रह प्रोक्जिमा बी की सतह पथरीली हो सकती है (तस्वीर: cnet.com से साभार)

सबसे बड़ा सवाल कि आखिर क्या कभी पृथ्वी से प्रोक्जिमा बी तक पहुंच पाएगा? तो इसका जवाब है कि हाल फिलहाल इसकी संभावना न के बराबर है. मौजूदा टेक्नोलॉजी को देखते हुए इस ग्रह तक पहुंचने में करीब 70 हजार साल का समय लगेगा.

अगर हाल में शुरू की गई कुछ महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पूरी हो जाती हैं तब भी प्रोक्जिमा सेंटौरी पर पहुंचनें कई दशकों का समय लगेगा. (और तस्वीरें देखने के लिए नीचे की फोटो पर क्लिक करें)

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प्रोक्जिमा बी पर पहुंचने में अभी वैज्ञानिकों को करीब 70 हजार साल का वक्त लगेगा  (तस्वीरः cnet.com से साभार)

इसलिए तमाम संभावनाओं के बावजूद अभी ये कहा पाना बहुत मुश्किल है कि इस नए खोजे गए ग्रह प्रोक्जिमा बी पर जीवन है या नहीं. यानी धरती के अलावा ब्रह्मांड में कहीं और जीवन मौजूद है कि नहीं इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिशों में जुटे विज्ञान के पास फिलहाल इसका जवाब नहीं है.    

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