चीन में हर सांस की कीमत, एक बोतल हवा 2 हजार रुपये में!
प्रदूषण को लेकर आपातकाल जैसी स्थिति में आ खड़े हुए चीन में सांस लेने के लिए शुद्ध हवा तक नहीं बची है. तभी तो चीन में शुद्ध हवा बोतल में भरकर बेची जा रही हैं. चौंक गए ना आप!
-
Total Shares
भले ही आपको लगता है कि आने वाले वर्षों में मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद, इसके कारण होने वाले युद्ध, एड्स, कैंसर या वायरस से होने वाली लाइलाज बीमारियां हैं लेकिन इन सबसे ज्यादा खतरनाक है प्रदूषण का खतरा.
जी हां, एक ऐसा खतरा जो कि न सिर्फ आपके रहने लायक जगह की उपलब्धता सीमित करता जा रहा है बल्कि अब तो आपकी प्राण वायु को भी प्रदूषित करके आपका सांस लेना भी मुहाल कर रहा है. तभी तो विकसित देशों को तो छोड़िए भारत और चीन जैसे विकासशील देशों की हालत भी प्रदूषण ने खराब कर दी है. चीन की राजधानी बीजिंग में तो प्रदूषण को लेकर आपातकाल जैसी स्थिति आ खड़ी हुई है. स्कूल, कॉलेज और फैक्ट्रियों को बंद करने के बाद अब चीन में सांस लेने के लिए शुद्ध हवा तक नहीं बची है. तभी तो चीन में शुद्ध हवा बोतल में भरकर बेची जा रही हैं. चौंक गए न आप!
चीन में बोतल में बेची जा रही है शुद्ध हवाः
बीजिंग पर प्रदूषण की धुंध छाई तो कनाडा की एक कंपनी झट से चीन में बोतल में शुद्ध पहाड़ी हवा भरकर बेचने पहुंच गई. कीमत सुनकर तो आपके होश उड़ जाएंगे. कनाडा की कंपनी वाइटिलिटी एयर चीन में एक बोतल शुद्ध हवा को 28 डॉलर यानी कि करीब 2000 रुपये में बेच रही है. वाइटिलिटी एयर नामक यह कंपनी कनाडा के बैंफ एंड लेक की पहाड़ियों से शुद्ध हवा बोलतों में भरकर चीन में बेच रही है. इन बोतलों को दो कैटेगरी में उतारा गया है, जिसमें 'प्रीमियम ऑक्सीजन' की कीमत 27.99 डॉलर (करीब 1850 रुपये) और बैंफ एयर की कीमत 23.99 डॉलर (1570 रुपये) है. कंपनी ने चीन में दो महीने पहले ही इस प्रॉडक्ट की मार्केटिंग शुरू की थी और अब आलम ये है कि चीन की ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी ताओबाओ पर बिक्री के लिए उपलब्ध कराते ही ये बोतलें कुछ ही मिनटों में बिक गईं. 500 बोलतों की पहली खेप बिक चुकी है और 700 बोतलें और भेजी जा रही हैं. कंपनी के चीन के प्रतिनिधि हैरिसन वॉन्ग ने कहा, 'कंपनी को प्रदूषण चीन की प्रमुख समस्या नजर आती है इसलिए हम चाहते हैं कि लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में थोड़ी ताजी हवा मिल सके.'
इतना ही नहीं चीन में एक रेस्टोरेंट ने तो बाकयदा अपने यहां फिल्टरेशन मशीन लगवा दी है और लोगों को शुद्ध हवा उपलब्ध करवाने के दावे के साथ उनके खाने के बिल में हवा के लिए भी चार्ज वसूल कर रही है.यानी डर और लोगों की परेशानियों से कंपनियां चीन में जमकर फायदा उठा रही हैं.
भारत में भी बदतर हो चले हैं हालातः
प्रदूषण को लेकर सिर्फ चीन ही नहीं परेशान है बल्कि भारत भी इसकी जकड़ में कसता जा रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने संसद को दी जानकारी में बताया है कि देश में पिछले तीन वर्षों में सांस की बीमारी के कारण 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. सरकार के मुताबिक 2012 में 3.17 करोड़ लोगों में सांस संबंधी गंभीर बीमारी के केस सामने आए जिनमें से 4,155 लोगों की मौत हो गई. 2013 में भी सांस की बीमारी से जुड़े 3.17 करोड़ मामले सामने आए थे जिनमें से 3,278 लोगों ने अपनी जान गंवाई जबकि 2014 में 3.48 करोड़ केस सामने आए जिनमें से 2,932 लोगों की मौत हो गई थी. इस तरह तीन वर्षों में प्रदूषण ने देश में 10 हजार जिंदगियां निगल लीं. इतना ही नहीं सेंट्रल पॉलूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा जारी नेशनल एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (NAQI) डेटा के मुताबिक देश के 17 में से 15 शहरों की हवा तय गुणवत्ता के मानक से काफी कम थी.
इस डेटा के मुताबिक लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर और फरीदाबाद जैसे शहर जोकि मेट्रो नहीं है, भी सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शामिल हैं. जुलाई से नवंबर के दौरान जयपुर में एक दिन के लिए हवा की गुणवत्ता तय मानक से 100 फीसदी कम थी, दिल्ली में यह 93 फीसदी से कम, फरीदाबाद में 69 फीसदी और पटना में 98 फीसदी से कम थी.जिससे पता चलता है कि दिल्ली जैसे मेट्रो शहर ही नहीं बल्कि छोटे शहरों में भी प्रदूषण किस कदर जहर फैला रहा है.
अगर विकास की अंधी दौड़ ऐसे ही जारी रही तो शायद वह दिन दूर नहीं जब इंसान को जिंदा रहने के लिए अपनी हर सांस की कीमत चुकानी होगी, क्या वही विकास का चरम होगा या कयामत की शुरुआत?
आपकी राय