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Updated: 01 जून, 2018 10:46 AM
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मंगल ग्रह पर घर बनाने का सपना न जाने कब से पूरी दुनिया के स्पेस साइंटिस्ट देख रहे हैं, लेकिन जैसे-जैसे दुनिया भर में अंतरिक्ष विज्ञान तरक्की कर रहा है उससे लगता है कि अगले 20 सालों में हो सकता है दुनिया का पहला मंगल मिशन पूरा हो जाए. अब देखिए जो लोग मंगल ग्रह पर इंसानों को बसाने का सपना देख रहे हैं उन्हें आने वाले समय में वहां कॉलोनी बसाने के बारे में भी सोचना होगा.

पर मंगल ग्रह पर घर बसाना कितना आसान होगा? मैं यहां डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए मंगल जाने की बात नहीं कर रही हूं बल्कि प्रॉपर कॉलोनी बसाना, घर बनाना, खाने की व्यवस्था करना, मौसम की मार झेलना, इंसानों का वहां के हालात के साथ समझौता करना आदि सब व्यवस्था करनी होगी. साथ ही एक और बात है जो वहां बस्ती बसाने के लिए जरूरी है वो है सेक्स.

Futures नाम के एक जर्नल में पब्लिश की गई रिपोर्ट के मुताबिक मंगल ग्रह पर सेक्स बहुत ज्यादा मुश्किल है, लेकिन अगर कर लिया तो वहां सुपर स्पीशीज ह्यूमन यानी अनोखी ताकतों और खूबियों वाले इंसान पैदा हो सकते हैं.

मज़ाक की बात अपनी जगह है, लेकिन अगर रिसर्च पर गौर किया जाए तो पहली बार सुपर ह्यूमन बनाने की सही-सही गणना की गई है. इस रिसर्च पेपर में इंसानों को मंगल पर क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं इसके बारे में भी बताया गया है. जब इंसान मंगल पर पहुंच जाएंगे तो उनका सबसे बड़ा चैलेंज होगा कम ग्रैविटी वाले ग्रह पर काम करना. ये प्रेग्नेंसी के लिए काफी खतरनाक स्थिती हो सकती है. पृथ्वी पर ये काफी आसान लगता हो, लेकिन ऐसा मंगल पर बहुत मुश्किल है.

मंगल पर पृथ्वी की तुलना में सिर्फ एक तिहाई गुरुत्वाकर्षण है. ऐसे में इंसानों के साथ कई तरह की स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. वैज्ञानिक ऐसा इसलिए कह सकते हैं क्योंकि अंतरिक्ष यात्रियों ने जिन्होंने कई महीने कई मामलों में साल अंतरिक्ष में गुजारे हैं उनके शरीर में बदलाव होने लगते हैं. कम गुरुत्वाकर्षण मांसपेशियों को जल्दी खराब कर सकता है, हमारी हड्डियों का ढांचा बदल सकता है. इतना ही नहीं अंतरिक्ष यात्रियों को कभी-कभी देखने की समस्या भी होती है और साथ ही साथ दिमाग में भी बदलाव होने लगता है.

मंगल, अंतरिक्ष, सोशल मीडिया, नासा, इसरो

ये वो समस्याएं हैं जो एक स्वस्थ्य इंसान को मंगल ग्रह पर हो सकती हैं. अब इस समय कहा जाए कि कोई गर्भवति महिला मंगल जाए या फिर मंगल पर ही सहवास कर गर्भधारण करे तो उसके लिए पूरे 9 महीने बच्चे को कम ग्रैविटी में अपने अंदर रखना काफी मुश्किल हो जाएगा.

मंगल पर प्यार का कॉन्सेप्ट भी नहीं रहेगा. रिसर्च के मुताबिक मर्द और औरत को उनकी बायोलॉजिकल काबिलियत के हिसाब से जोड़ा जाएगा न कि प्यार जैसी किसी भी फीलिंग के लिए. वहां प्यार नहीं सिर्फ और सिर्फ जीने की जद्दोजहद को देखा जाएगा और खुद को आगे बढ़ाना होगा. अगर शुरुआती दौर में ये हो भी जाता है तो कई लोगों को बच्चे पैदा करने को मना कर दिया जाएगा क्योंकि वहां का माहौल ऐसा नहीं होगा.

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रिसर्च पेपर में सामने आया है कि अगर मार्च में बच्चे पैदा होते हैं तो उनका सर्वाइवल रेट आम इंसानों से काफी ज्यादा होगा. मतलब किसी भी हाल में वो हमसे बेहतर होंगे और उनके जीन्स हमसे ज्यादा मजबूत और किसी भी हाल में खुद को ढाल लेने वाले होंगे. वो ऐसा इंसान होगा जो मंगल ग्रह पर तो आसानी से रह सकेगा, लेकिन पृथ्वी का जीवन कभी आसानी से नहीं जी पाएगा.

कुल मिलाकर मंगल ग्रह पर बसने का जो सपना देखा जा रहा है और कहा जा रहा है कि अगले एक दो दशक में वो पूरा हो जाएगा तो वो इतना आसान नहीं है. हां, अगर सुपर बेबी चाहिए किसी को तो मंगल जा सकता है. अब रजनीकांत से बेहतर सुपर ह्यूमन कौन हो सकता है? मज़ाक छोड़ दें तो ये रिसर्च उन सभी दावों को धरातल पर लाती है जो कहते हैं कि अगले 20 से 40 सालों में मंगल पर इंसानों को बसा दिया जाएगा. एलन मस्क का भी यही कहना है कि अगले 40 सालों में वो इंसानों को मंगल पर भेज देंगे, लेकिन एक बात यहां वो बताना भूल गए कि आखिर वो इंसानों को वहां भेजेंगे तो उन्हें जिंदा कैसे रखेंगे? सवाल बड़ा है और पेचीदा भी.

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