आखिर क्यों पहली बारिश में ही बंद हो जाती है DTH सर्विस?
सिग्नल में समस्या के बाद भी मोबाइल फोन नेटवर्क, इंटरनेट आदि तो सही चलता है, लेकिन हमेशा डीटीएच सर्विस बंद हो जाती है आखिर ऐसा क्यों?
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पूरे देश में मॉनसून आ चुका है और इस समय मुंबई से लेकर भोपाल तक और गुजरात से लेकर गोवा तक सभी जगह बारिश अपने चरम पर है. जब-जब भारत में मॉनसून आता है तब-तब कई शहरों में नदियां उफान पर आ जाती हैं और लोगों को अच्छी खासी परेशानी होती है. अब मुंबई को ही ले लीजिए मुंबई में हर साल इतना पानी भरता है कि गाड़ी घोड़ा तो छोड़िए लोकल भी बंद हो जाती है.
जिस तरह मॉनसून में हर साल लोकल का बंद होना तय है वैसे ही हर साल मॉनसून में पूरे देश की DTH सर्विस का बंद होना भी तय ही है. हर बार एक सीधा सा मैसेज आ जाता है कि सर्विस बारिश की वजह से बंद है. पर ऐसा होता क्यों है?
कल वरिष्ठ पत्रकार वीर संघ्वी ने इस मुद्दे को ट्विटर पर उठाया.
There are very few reassuring things in India. But one of them is TataSky..No matter where I go in India, I see this .... pic.twitter.com/Suq2bYUHvW
— vir sanghvi (@virsanghvi) July 8, 2018
इसपर टाटा स्काई की तरफ से जवाब भी आया..
We understand the trouble. During heavy rains, most DTH services face the issue of signal disturbance. This causes lockup of signal, due to temporary blockage from the satellite. Please wait a little longer for the rain to reduce/stop. [1/2]
— Tata Sky (@TataSky) July 9, 2018
सिर्फ टाटा स्काई की तरफ से ही नहीं बल्कि डिश टीवी का भी रिप्लाई इसमें आसानी से आया..
I would like to inform that a few minutes of outage might occur in extreme weather conditions. This is typically for one or two hours in a year, outage gets corrected by itself as it is automatically detected. - Nikhil
— DishTV India (@DishTV_India) July 8, 2018
ये तो दो डीटीएच सर्विस की बात है लेकिन चाहें टाटा स्काई को देखें, एयरटेल को देखें, बिग टीवी को देखें, सन डाइरेक्ट को देखें, डिश टीवी को देखें या फिर वीडियोकॉन डीटीएस को, सभी सेट टॉप बॉक्स से जुड़ी सर्विसेज बारिश देखते ही बंद हो जाती हैं. इसका कारण आखिर क्या है? हमारे मोबाइल फोन, इंटरनेट जैसी सर्विसेज तो बंद नहीं होतीं. और अगर ऐसा हर बार होता ही है तो क्यों नहीं कंपनियां कोई ऐसा डीटीएस बना लेतीं जो बारिश में भी वैसे ही काम करे जैसा बाकी दिनों में काम करता है.
क्यों होता आती है सिग्नल में समस्या..
टीवी ब्रॉडकास्ट यानी डीटीएच में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर सिग्नल KU बैंड से रिसीव होते हैं. इसका फुल फॉर्म है Kurz बैंड. ये बैंड जो फ्रीक्वेंसी इस्तेमाल करता है वो पानी से डिस्टर्ब हो जाती है. तकनीकी भाषा में कहें तो ये फ्रीक्वेंसी गूंजने लगती है. यही कारण है कि पानी का दबाव बढ़ते ही ये बैंड सबसे ज्यादा पानी और मॉइस्चर को सोख सकता है.
KU बैंड हाई फ्रीक्वेंसी और डेटा रेट में ट्रांसमिशन कर सकता है और यही कारण है कि पर्यावरण में होने वाले दबाव को झेलने के बाद भी ये बेहतर सिग्नल दे सकता है. पर ये पूरी तरह से अचूक नहीं है. पानी की कमजोरी के कारण ही ये बारिश के लिए अतिसंवेदनशील होता है. सैटेलाइट और डिश के बीच पानी का दबाव बढ़ने के कारण ही ये सिग्नल ठीक तरह से नहीं जा पाते.
सैटेलाइट रिसीवर की सबसे अच्छी बात होती है एरर करेक्शन. प्रसारण के समय बिल्ट इन चेक बिट्स ही रिसेप्शन को चेक करते हैं. ये अलग-अलग प्रोवाइडर के हिसाब से अलग हो सकता है. यही कारण है कि टीवी में अक्सर स्टार्ट और स्टॉप हो जाती है. टीवी में डिस्टर्बेंस का मतलब होता है कि वो डेटा जो रिकवर नहीं किया जा सकता उसे हटा दिया जाता है और ऑडियो भी जो खराब हो चुका होता है वो हट जाता है. इसीलिए अगर कोई फिल्म चल रही होती है तो वो आगे निकल जाती है.
अधिकतर सैटेलाइट Ku बैंड पर काम करती हैं और इसीलिए बारिश का असर इनपर ज्यादा होता है. कुछ अन्य सैटेलाइट भी होती हैं जो सी बैंड फ्रीक्वेंसी पर काम करती हैं. सी बैंड फ्रीक्वेंसी को ज्यादा बड़े डिश एंटीना की जरूरत होती है.
क्यों KU बैंड इस्तेमाल होता है ज्यादा?
KU बैंड इसलिए ज्यादा इस्तेमाल होता है क्योंकि इसे छोटे डिश एंटिना की जरूरत होती है. (60 सेंटिमीटर से 80 सेंटिमीटर वाले) ग्राहकों के लेवल पर देखें तो इसका इंस्टॉलेशन ज्यादा आसानी से होता है और सेट टॉप बॉक्स जैसे उपकरण इसे ज्यादा बेहतर बनाते हैं. सी बैंड के लिए ज्यादा महंगे और बड़े उपकरणों की जरूरत होती है.
अगर तकनीकी शब्दों में समस्या को समझने की कोशिश करें तो KU बैंड में 10.95 GHZ से 14.5 GHz के बीच फ्रीक्वेंसी होती है और इसकी वेवलेंथ काफी छोटी होती है (2 सेंटीमीटर) जब हर वेव पानी के बीच से गुजरती है तो डिस्टर्बेंस हो जाता है और सिग्नल आधा ही रह जाता है. और एरर करेक्शन के कारण सिग्नल वैसे भी टीवी स्क्रीन तक नहीं पहुंच पाता.
इसका फिलहाल कोई इलाज नहीं है और थोड़े ज्यादा बैंड वाले नेटवर्क भी इस समस्या का शिकार हो जाते हैं. उम्मीद है कि जल्द ही इस समस्या का इलाज खोज लिया जाए.
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