New

होम -> टेक्नोलॉजी

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 23 जुलाई, 2016 06:33 PM
अभिषेक पाण्डेय
अभिषेक पाण्डेय
  @Abhishek.Journo
  • Total Shares

पिछले महीने उड़ता पंजाब, फिर सुल्तान और अब ग्रेट ग्रैंड मस्ती जैसी फिल्मों के रिलीज से पहले ही ऑनलाइन लीक होने की खबरें सुर्खियों में रही हैं. लीक होने की वजह से ग्रेट ग्रैंड मस्ती बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी. इसकी चोट इतनी गहरी थी कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फिल्म की ऐक्ट्रेस उर्वशी राउतेला रिलीज से पहले ही फिल्म के लीक होने से इसके बिजनेस पर पड़े घातक असर को बताते हुए रो पड़ी थीं.

लेकिन फिल्मों का ऑनलाइन लीक होना या ऑनलाइन पाइरेसी फिर भी नहीं रुकी और सुपरस्टार रजनीकांत की चर्चित फिल्म कबाली भी रिलीज से पहले ऑनलाइन पाइरेसी का शिकार होने से नहीं बच पाई. हाल ही में पाइरेसी की दुनिया की सबसे बड़ी साइट किकऐस टोरेंट्स के फाउंडर को अरेस्ट किया गया और इस साइट को बंद किया गया.

इससे इस बात की उम्मीद जगी कि शायद अब फिल्मों की ऑनलाइन पाइरेसी यानी चोरी पर रोक लगाई जा सके. आइए जानें क्या ऑनलाइन पाइरेसी को रोक पाना संभव है और आखिर क्या हैं ऑनलाइन पाइरेसी के लिए जिम्मेदार टोरेंट्स वेबसाइट्स.

बंद हुई दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन पाइरेसी वाली वेबसाइटः

दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन पाइरेसी साइट किकऐस टोरेंट्स के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इसके यूक्रेनी मूल के कथित मालिक अर्तिम वाउलिन को अरेस्ट किया गया है. किकऐस टोरेंट्स पर गैर-कानूनी ढंग से 1 अरब डॉलर की कीमत की फिल्मों, संगीत और अन्य कॉन्टेंट के वितरण का आरोप है. अमेरिका में यह शख्स कॉपीराइट के उल्लंघन के मामले में वॉन्टेड है और इसलिए जल्द से जल्द अमेरिका इसका प्रत्यर्पण करना चाहता है.

पढ़ें: 'पोकेमॉन गो' के पीछे क्यों दीवानी हुई दुनिया...जानिए!

किकऐस टोरेंट्स गैरकानूनी ढंग से फाइल शेयरिंग करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी वेबसाइट बन गई थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक यह दुनिया की 69वीं सबसे ज्यादा विजिट की जाने वाली वेबसाइट है, जिसके हर महीने 5 करोड़ यूनीक विजिटर्स हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस वेबसाइट की कीमत 5.4 करोड़ डॉलर और विज्ञापन से होने वाली सलाना आय 1.25 करोड़ से 2.23 करोड़ डॉलर तक है. 

हाल के वर्षों में बे पाइरेट जैसी बड़ी टोरेंट्स वेबसाइट को पीछे छोड़कर पाइरेटेड मीडिया की सबसे बड़ी साइट बन चुकी किकऐसे टोरेंट्स की पांच अन्य प्रॉक्सी साइट्स को भी बंद कर दिया गया है. इतना ही नहीं पूरी दुनिया में इस साइट के सर्वर्स को भी बंद किया जा रहा, ताकि भविष्य में ये फिर से सिर ना उठा सके. दरसअल सिर्फ डोमेन नेम को ब्लॉक करने से वेबसाइट के पास किसी और डोमेन नेम से वापसी करने का मौका रहता है लेकिन सर्वर को ब्लॉक करने का मतलब साइट का हमेशा के लिए खत्म हो जाना है.

kick-ass-torrent_072316062417.jpg
पाइरेटेड मीडिया की सबसे बड़ी साइट बन चुकी किकऐसे टोरेंट्स पर कसा कानून का शिकंजा

क्या होती हैं टोरेंट्स वेबसाइट्स?

ऑनलाइन पाइरेसी का दंश भले ही हाल के वर्षों में बॉलीवुड की फिल्मों ने झेलना शुरू किया हो लेकिन विदेशों में ये काफी पहले से चलन में है. टोरेंट्स वेबसाइट्स के जरिए नई फिल्मों को ऑनलाइन डाउनलोड करने का खेल काफी समय से चल रहा है.

पढ़ें: इंटरनेट की दुनिया में एक सेकण्ड में होता है ये सब

टोरेंट्स साइट्स न सिर्फ विदेशों बल्कि हाल के कुछ वर्षों में भारत में भी फिल्मों को ऑनलाइन डाउनलोड करने के लिए तेजी से प्रचलित हुई हैं. टोरेंट, बिटटोरेंट का संक्षिप्त रूप है, जोकि इंटरनेट की मदद से बड़ी फाइलों को वितरित करने की तकनीक होती है.

टोरेंट्स का उपयोग बड़ी फाइलों को बहुत तेजी से एक ही समय में हजारों कंप्युटर्स से एक साथ शेयर करने में होता है. लेकिन आजकल इसका उपयोग पाइरेटेड फिल्मों, संगीत और अन्य कॉपीराइट्स फाइलों को शेयर करने के लिए किया जा रहा है. यानी टोरेंट्स वेबसाइट्स फिल्मों की बढ़ती हुई ऑनलाइन पाइरेसी के लिए सबसे बड़ा जरिया बनकर उभरी हैं.

इन साइट्स से हाल में रिलीज हुई और सिनेमाघर में चल रही मूवीज को ऑनलाइन डाउनलोड किया जा सकता है. अब एक कदम आगे बढ़ते हुए इन साइट्स पर रिलीज से पहले ही ऑनलाइन लीक हुई फिल्में भी मिलने लगी हैं. इन साइट्स पर नई फिल्में डाउनलोड करने के लिए हर महीने होने वाली यूजर्स की भारी तादाद से इन्हें विज्ञापन हासिल करने में मदद मिलती है, जोकि इनकी कमाई का सबसे बड़ा जरिया होती है. यही वजह है कि हर महीने 5 करोड़ यूनिक विजिटर्स वाली किकऐस टोरेंट साइट को हर साल विज्ञापन से करोड़ों डॉलर की कमाई होती थी.

online-piracy-650_072316062538.jpg
विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन पाइरेसी पर पूरी तरह से लगाम कस पाना नामुमकिन है!

समय-समय पर दुनिया भर में फिल्मों, गेम, म्यूजिक और टीवी सीरियल्स की ऑनलाइन पाइरेसी के लिए जिम्मेदार विभिन्न टोरेंट्स वेबसाइट्स के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें बंद किया जाता रहा है. लेकिन या तो बंद की गई साइट्स किसी और डोमेन नेम के साथ या कोई नई साइट्स ऑनलाइन पाइरेसी के खेल को जिंदा रखती आई है. या यूं कहें कि तमाम कोशिशों के बावजूद ऑनलाइन पाइरेसी पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाई जा सकी है.

पढ़ें: फेसबुक सुन रहा है आपकी बातें! क्या है सच्चाई?

क्या रोकी जा सकती है ऑनलाइन पाइरेसी?

भले ही किकऐस टोरेंट्स जैसी वेबसाइट पर रोक लगा दी गई है. लेकिन हकीकत तो ये है कि अरबों डॉलर की इंडस्ट्री बन चुके ऑनलाइन पाइरेसी पर पूरी तरह रोक लगा पाना लगभग असंभव है. कई कंपनियां बिटटोरेंट का इस्तेमाल कानूनी ढंग से बड़ी फाइलों की इनहाउस शेयरिंग में करती हैं. साथ ही ये भी याद रखना जरूरी है कि इंटरनेट एक खुली दुनिया है और यहां करोड़ों लोग काम करते हैं. यही वजह है कि एक ऑनलाइन पाइरेसी वाली साइट बंद करने पर उसकी जगह कोई नई साइट ले लेती है.

उदाहरण के तौर पर किकऐसे टोरेंट्स से पहले भी कई चर्चित पाइरेटेड कॉन्टेंट डिस्ट्रीब्यूट करने वाली साइट्स बंद की जा चुकी हैं. ऐसी ही एक चर्चित टोरेंट साइट पाइरेट बे, उसके बाद सुपरनोवा को भी बंद किया गया था. 2012 में एफबीआई ने मेगाअपलोड को बंद किया था. लेकिन पाइरेट बे के डोमेन को बंद किए जाने और उसके स्वीडिश मूल के मालिक को अरेस्ट किए जाने के बावजूद यह साइट खुद को ऐक्टिल रखने में कामयाब हो गई है.

विशेषज्ञों का कहना है कि वे गैर-कानूनी ढंग से फाइल शेयर करने वाली साइट्स को बंद तो कर सकती हैं लेकिन वे नए डोमेन नेम के साथ वापस आ जाते हैं. इसलिए उन्हें पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है.

इसलिए जब भी अगली बार आप किसी नई फिल्म को ऑनलाइन डाउनलोड करें तो ये बात याद रखें कि ऑनलाइन पाइरेसी को बढ़ावा देने के उतने ही जिम्मेदार आप भी हैं, जितना कि ये टोरेंट्स साइट्स!

लेखक

अभिषेक पाण्डेय अभिषेक पाण्डेय @abhishek.journo

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय