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Updated: 17 जनवरी, 2020 01:29 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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Jai Mummy Di review-rating: इस वीकेंड बॉलीवुड से सिर्फ एक फिल्म रिलीज हुई है और उसका नाम है 'जय मम्मी दी'. ये एक कॉमेडी फिल्म (comedy film) है. यानी कह सकते हैं कि कॉमेडी फिल्म बनाने की कोशिश की जरूर गई लेकिन फिल्म कुछ और ही बन गई. हमारे हिसाब से तो ये फिल्म कॉमेडी नहीं बल्कि झिलाऊ फिल्म है. जिसमें आपको हंसने के लिए फोर्स जरूर किया जा रहा है लेकिन आप हंस नहीं पा रहे. फिल्म के मुख्य किरदार हैं पूनम ढिल्लन(Poonam Dhillon) और सुप्रिया पाठक (Supriya Pathak) जिनपर फिल्म का टाइटल आधारित है. और फिल्म के हीरो हीरोइन हैं सनी सिंह(Sunny Singh) और सोनाली सहगल (Sonali Sehgal). फिल्म के निर्देशक हैं नवजोत गुलाटी.

बासी कढ़ी में कॉमेडी का तड़का

ये कहानी है दिल्ली के दो परिवारों की जो पड़ोसी हैं. दोनों के बीच दुश्मनी है. ये दोनों परिवार हैं पिंकी(पूनम ढिल्लन) और लाली (सुप्रिया पाठक) के जो कॉलेज के जमाने में बहुत अच्छी दोस्त हुआ करती थीं. लेकिन अब दोनों एक-दूसरे को देखकर काट खाने को दौड़ती हैं. लेकिन इन दोनों के बच्चे पुनीत खन्ना (सनी सिंह) और सांझ भल्ला (सोनाली सहगल) एक-दूसरे से प्यार करते हैं. सांझ पुनीत को शादी के लिए प्रपोज करती है लेकिन वो डर के मारे हां नहीं कर पाता. दोनों की शादी अलग-अलग जगह तय हो जाती है. लेकिन तब दोनों को अहसास होता है कि वो खुश नहीं है इसलिए वे अपने-अपने रिश्तों को तोड़ने की कोशिश में लग जाते हैं.

jai mummy di movie reviewकॉमेडी फिल्म भी अगर झिलाऊ लगे तो फिर और क्या कहा जाए

परिवारों के बीच दुश्मनी और प्यार का ये कॉन्सेप्ट बॉलीवुड में नया नहीं है, बल्कि ये काफी घिस चुका है. उसपर निर्देशक नवजोत ने इसे कॉमेडी में पिरोना चाहा, जिसमें वो बिल्कुल नाकाम साबित हुए हैं. कॉमेडी के लिए कहा जाता है कि comedy is a serious business. इसे गंभीरता से ही लेना चाहिए. लेकिन नवजोत की इस कॉमेडी फिल्म पर हंसी नहीं आती बल्कि ये पकाऊ लगती है. हां, मम्मियों की बातों से आप खुद को रिलेट जरूर कर सकते हैं. निर्देशक ने दर्शकों को वन लाइनर्स और बोझिल डायलॉग्स से हंसाने की कोशिश की है. ये आपके कॉमिक सेंस पर भी निर्भर करता है कि फिल्म आपको पसंद आए. पर हमें नहीं आई.

jai mummy di movie reviewअनुभवी अभिनेत्रियों के साथ मजाक किया गया है

उसपर से फिल्म में गाने ढूंसे हुए नजर आ रहे हैं. फिल्म भले ही दो परिवार की मम्मियों को ध्यान में रखकर लिखी गई हो और दोनों को मोगम्बो और गब्बर का खिताब दिया गया हो, लेकिन ये दोनों इस उपमा के लायक लगी ही नहीं. हालांकि मेहनत इन्होंने काफी की है, लेकिन उनसे सही काम नहीं लिया गया. निर्देशक ने सुप्रिया पाठक का इस्तेमाल सही तरह से नहीं किया, वो बेहतरीन कॉमेडी करती हैं, लेकिन ये रोल उन्हें सूट नहीं किया. वहीं दर्शक भले ही पूनम ढिल्लन को देखकर खुश हो जाएं, लेकिन वो भी प्रभावित नहीं करतीं. दोनों बहुत लाउड और मेलोड्रमैटिक थीं. फिल्म के अंत में जब दोनों मम्मियों के बीच की दुश्मनी का कारण पता चलता है तो आपको सिर्फ गुस्सा आएगा और ठगा महसूस होगा. सनी सिंह और सोनाली का काम औसत है. लेकिन न जाने क्यों ये जोड़ी जम नहीं रही.

सोशल मीडिया और थिएटर में पसरा सन्नाटा

फिल्म देखकर आए लोगों को ढूंढना जरा मुश्किल रहा, क्योंकि ये फिल्म दर्शक खींचने में नाकाम रही है. फिल्म क्रिटिक्स की मानें तो फिल्म ने बहुत बेकार शुरुआत की है, पूरे भारत में फिल्म की occupancy केवल 1-2% रही है. बहुत से शो तो कैंसल तक कर दिए गए हैं. कहा जा रहा है कि ये फिल्म जल्द ही थिएटर से उतर जाएगी.

फिल्म देखने गए लोगों ने बताया कि इस फिल्म को देखने बहुत कम ही लोग गए हैं.

कुल मिलाकर कहा जाए तो फिल्म का डब्बा गोल है.

jai mummy di movie reviewहॉलीवुड की डूलिटिल को दर्शक ज्यादा अहमियत दे रहे हैं

मम्मियों पर भारी पड़ेगा hollywood

जी हां एक तरफ अगर सबके चहेते हॉलीवुड स्टार iron man यानी Robert Downey Jr. की एक fantasy adventure film Dolittle रिलीज हो रही हो तो लोग दो मम्मियों का झगड़ा देखने क्यों जाएंगे. ये हॉलीवुड फिल्म रोमांच से भरपूर है इसलिए इस फिल्म के टिकट पर पैसा लगाने को लोग समझदारी वाला फैसला मान रहे हैं. अगर दोनों फिल्मों की तुलना करें तो Dolittle Jai Mummy di पर भारी पड़ेगी.

हालांकि फिल्म को क्रिटिक्स ने अपने अपने सेंस ऑफ ह्यूमर की वजह से .5, 1, 2 और 3 स्टार्स तर दिए हैं. लेकिन रिस्क तो है. आपके पास करने के लिए कुछ नहीं है तो आप फिल्म देखने जा सकते हैं. लेकिन हंसी न आए तो ये न कहना कि पहले बताया नहीं.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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