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Updated: 07 फरवरी, 2020 03:40 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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Malang movie review: फ़िल्में सिर्फ VFX, साउंड, म्यूजिक, कम कपड़ों, लव मेकिंग/ किसिंग सीन, ड्रग्स, बंदूक, खून, एडवेंचर, सस्पेंस से हिट नहीं होतीं. अच्छी फिल्मों के लिए जरूरी है कि फिल्म की स्क्रिप्ट कसी हुई हो साथ ही निर्देशन सधा हुआ हो. मोहित सूरी (Mohit Suri) की फिल्म मलंग (Malang) रिलीज हो गई है. फिल्म में आदित्य रॉय कपूर (Aditya Roy Kapoor), कुनाल खेमू (Kunal Khemu), अनिल कपूर (Anil Kapoor) और दिशा पटानी (Disha Patani) मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर खूब चर्चा थी, साथ ही फिल्म का पोस्टर जिसमें दिशा एक्टर आदित्य रॉय कपूर (Aditya Roy Kapoor) को किस करती हुई दिखाई पड़ रही हैं, को लेकर भी खूब चर्चा थी. लेकिन कहावत है कि हर पीली चीज सोना नहीं होती कुछ ऐसा ही मोहित सूरी की फिल्म मलंग के साथ भी हुआ है. फिल्म में हॉट सीन्स के अलावा मारधाड़ तो खूब है. मगर थियेटर से बाहर आया दर्शक ये समझने में नाकाम है कि वो क्या देखने गया था और क्या देखकर बाहर आया है. फिल्म और फिल्म की कहानी का जिक्र करने से पहले हम ये जरूर बताना चाहेंगे कि एक दर्शक के तौर पर अगर आपको सिर्फ टाइम पास करना है. या फिर एक जगह पर रहते हुए दोस्तों के साथ गेट टू गेदर ही करना है तो ही आप इस फिल्म का टिकट लेने के लिए बॉक्स ऑफिस का रुख करें. यदि आप 'अच्छी फिल्मों' के शौक़ीन हैं या फिर कुछ अच्छा देखने के लिए अपना पैसा खर्च कर रहे हैं तो इसे या तो न देखें या फिर अपने रिस्क पर देखें.

Malang, Malang Review, Mohit Suri, Aditya Roy Kapoor, Disha Patani  तमाम कोशिशों के बावजूद मोहित सूरी की फिल्म मलंग लोगों को दीवाना बनाने में नाकाम रही है

फिल्म की कहानी शुरू होती है जेल से. जेल के इस शुरूआती सीन में फिल्म के एक्टर यानी आदित्य रॉय कपूर कुछ लोगों से लड़ाई कर रहे हैं. लड़ाई की वजह दिलचस्प है. लड़ाई एक ब्रेसलेट के लिए होती है जो आदित्य की गर्ल फ्रेंड यानी दिशा का है. लड़ाई परदे पर काफी देर चलती है और शायद इस सीन को फिल्माते वक़्त निर्देशक मोहित सूरी ने यही कोशिश की है कि वो आदित्य की बॉडी के दम पर थियेटर में आई लड़कियों से Wow, Oh My God, He is so hot जैसे फीडबैक लें. फिल्म की कहानी औरआदित्य की बॉडी को यदि हम वो अलग अलग पलड़ों पर रखें तो सिद्धार्थ की बॉडी वाला पलड़ा हमें कहीं ज्यादा भरी दिखेगा.

इस सीन के बाद एक दूसरा सीन है जिसमें अद्वैत की भूमिका निभा रहे आदित्य रॉय कपूर इंस्पेक्टर बने अनिल कपूर को कॉल करते हैं और कुछ ऐसी चीजें बताते हैं जो फिल्म की आगे की कहानी का ताना बाना बुनती हैं और इस डायलॉग पर ख़त्म होती है कि - ये रात बहुत लंबी होने वाली है.

मलंग की कहानी में नया कुछ भी नहीं है साथ ही इसमें चीजें एक दूसरे से इतना उलझ गई हैं जिसे मोहित सूरी जैसे निर्देशक निकालने में नाकाम रहे . फिल्म के कुछ सीन अच्व्चे हैं तो वहीं कई सीन ऐसे भी हैं जिनको हाथ में पॉपकॉर्न लिए हुए बैठा दर्शक समझने में नाकाम रहेगा. कुल मिलाकर मलंग एक ऐसी फिल्म है जिसके स्पॉइलेर्स सुनकर दर्शक हमारा धन्यवाद करेंगे और कहेंगे कि अच्छा हुआ उन्होंने फिल्म नहीं देखी.

फिल्म की कहानी गोवा से शुरू होती है जहां अद्वैत (आदित्य रॉय कपूर) की मुलाकात सारा  (दिशा पटानी ) से होती है जो एक आजाद ख्याल लड़की है और जो जिंदगी को पूरी तरह से जीना चाहती है. यहां तक तो सब अच्छा था मगर इसके बाद जो निर्देशक और स्क्रिप्ट राइटर ने गड़बड़ घोटाला किया पूरी फिल्म  ही उलझ कर रह गई.

फिल्म का पहला हाफ स्लो है साथ ही उसे समझने में दर्शक भी नाकाम रहे. वहीं जब हम फिल्म के दूसरे हाफ में आते हैं तो यहां निर्देशक ने स्थिति संभालने की कोशिश की मगर पहले हाफ में ऐसा बहुत कुछ हो गया था जिसे संभालने में दूसरा हाफ नाकाम रहा.

फिल्म में अच्छा क्या है

हर बुरी चीज में कुछ अच्छाइयां भी होती हैं. मलंग में भी हैं. फिल्म गोवा में शूट हुई है साथ ही इसमें एडवेंचर स्पोर्ट्स. डिस्क और बढ़िया पब्स बखूबी दिखाए गए हैं तो दर्शक यदि चाहें तो इन्हें देखने थियेटर का रुख कर सकते हैं. मलंग के संवाद अच्छे हैं लेकिन क्योंकि निर्देशक से चूक हुई है इसलिए वो दर्शकों पर अपना प्रभाव छोड़ने में नाकाम होते हैं.

म्यूजिक और एक्शन सीन्स को फिल्म मलंग की रीढ़ कहा जा सकता है. बाकी बातें अपनी जगह हैं मगर इन दोनों चीजों को लेकर कोई भी समझौता नहीं किया गया है. अगर थियेटर में आने वाले दर्शकों का थोड़ा बहुत पैसा वसूल हुआ तो एक्शन सींस और म्यूजिक को इसकी एक अहम वजह माना जा सकता है.

चूंकि मोहित सूरी की इस फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर भी खूब हो हल्ला था तो वहां से भी प्रतिक्रियाएं आई स्वाभाविक थीं. तमाम ऐसे यूजर थे जो फिल्म देखने तो गए मगर जब वो थियेटर से बाहर निकले तो खुद अपने को कोस रहे थे कि आखिर ऐसा क्या हो गया था जिसके चलते उन्हें एंटरटेनमेंट के नाम पर ऐसी फिल्म देखनी पड़ी.

माउथ टू माउथ पब्लिसिटी वाले इस दौर में खामियाजा मलंग को भी भुगतना पड़ा है. फिल्म अच्छी नहीं है ये बात जंगल की आग की तरह फैली है और लोगों ने इससे दूरी बनाना शुरू कर दिया है.

फिल्म अच्छी हो या न हो ये एक अलग बात है मगर हां इसे देखा जा सकता है इस शर्त पर कि आप एडवेंचर और बॉडी बिल्डिंग के अलावा दिशा पटानी के फैन हों.

फिल्म बॉक्स ऑफिस पर क्या गुल खिलाती और वीकेंड पर कितने दर्शकों का ध्यान आकर्षित करती है? इसका पता हमें जल्द ही चल जाएगा मगर जो उम्मीद हमें मोहित सूरी से थी वो उसे पूरा करने में नाकाम दिखे हैं और ये बात वाकई में दुःख देने वाली है. बाकी अगर व्यक्ति के जीवन में तनाव है और उसके अन्दर कुछ देखने की ललक है तो वो पैसे खर्च करके थियेटर में आ सकता है. फिल्म अच्छी न भी हो तो 3 घंटे के लिए उसे एसी की ठंडी हवा मिल जाएगी जो शायद उसके तनाव को कुछ कम कर दे.  

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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