मनोज बाजपेयी ने OTT कंटेंट की सेंसरशिप पर नई बहस का आगाज कर दिया!
मिर्जापुर-तांडव कंट्रोवर्सी के बाद OTT पर सेंसरशिप के मद्देनजर जो बयान मनोज बाजपेयी ने दिया है और जैसे उन्होंने OTT कंटेंट का समर्थन किया है उसने कई सवालों के जवाब खुद दे दिए हैं. साफ़ हो गया है कि मनोज तक इस बात को मानते हैं कि OTT पर दर्शक हिंसा, गाली गलौज, सेक्स देखने ही आता है जो वर्तमान परिदृश्य में उन्हें भरपूर दिखाई जा रही है.
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चले अमेजन प्राइम की चर्चित वेब सीरीज तांडव और मिर्ज़ापुर हों या फिर ऑल्ट बालाजी, उल्लू के शो आलोचनाओं को बल मिला है. क्रिटिक्स और सिनेमा के शौकीन लोगों का एक बड़ा वर्ग दोनों ही इस बात पर एकमत हैं कि एंटरटेनमेंट के नाम पर कुछ भी अनाप शनाप नहीं दिखाया जा सकता और न ही हर बार निजी फायदे के लिए हिंदू धर्म से जुड़े देवी देवताओं पर अश्लील टिप्पणी की जा सकती है. अभी बीते दिन ही लोकसभा में भी भाजपा के दो सांसदों मनोज कोटक और किरीट सोलंकी की तरफ से भी बहुत कुछ कहा गया है और मांग की गयी है कि OTT के कंटेंट पर नकेल कसी जाए और सूचना और प्रसारण मंत्रालय OTT को सेंसर के दायरे में लाए. एक तरफ संस्कृति और भारतीय सभ्यता की दुहाई है तो दूसरी तरफ एक्टर मनोज बाजपेयी हैं जिन्होंने साफ लहजे में कह दिया है कि यदि ऐसा होता है और सरकार OTT के अंतर्गत सेंसरशिप लागू करती है या कंटेंट को लेकर कोई गाइड लाइन बनाती है तो ये OTT के चार्म को प्रभावित करेगी.
एक एक्टर के रूप में मनोज भली प्रकार जानते हैं कि आज पर्दे पर दर्शक क्या देखना चाहते हैं
एक प्रतिष्ठित अखबार को दिए गए इंटरव्यू में मनोज बाजपेयी जो हमें जल्द ही अमेजन प्राइम की मोस्ट पॉपुलर वेब सीरीज में शुमार The Family Man के सीज़न 2 में दिखाई देने वाले हैं उन्होंने OTT कंटेंट की सेंसरशिप पर तबियत से मन की बात की है और इस बात पर जोर दिया है कि यदि OTT का कंटेंट जांच या सेंसरशिप के दायरे में आया तो मजा खराब हो जाएगा. मनोज ने कहा है कि वो यही दुआ कर रहे हैं कि OTT कंटेंट पर सेंसरशिप न हो. मनोज ने इसे रचनात्मक तरीकों पर प्रहार माना है और ये भी कहा है कि वो हमेशा ही किसी भी तरह की सेंसरशिप के खिलाफ रहे हैं.
मनोज का मानना है हम एक लोकतांत्रिक देश में हैं जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत हम किसी भी तरह के मत को प्रकट करने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं. मनोज का कहना है कि 'मैं चाहता हूं कि वो तमाम लोग जो क्रिएटिव हैं उन्हें अपने को एक्सप्रेस करने का पूरा मौका मिले और उनपर किसी भी तरह का कोई पहरा नहीं लगाया जाए. OTT प्लेटफॉर्म्स लगातार जैसा कंटेंट दे रहे हैं और जिस तरह आए रोज नया विवाद खड़ा हो रहा है उसपर भी बाजपेयी गंभीर हैं और अपनी बातों में उन्होंने ये तर्क दिया है कि अलग अलग OTT प्लेटफॉर्म्स को भी अपनी जिम्मेदारी का एहसास रखना चाहिए. फ़िल्म मेकर्स नई नई चीजें लाएं मगर इस बात का बखूबी ख्याल रखें कि लापरवाही न हो.
मनोज ने अपनी बातों में चार्म का जिक्र किया है. और जैसा भारतीय दर्शकों का सिनेमा के प्रति नजरिया है भारत में या तो सेक्स बिकता है या फिर क्राइम. चाहे वो सेक्रेड गेम्स हों या फिर पाताललोक, मिर्ज़ापुर, तांडव, गंदी बात, मस्तराम, वो वेब सीरीज जिन्होंने सफलता के नए मानक स्थापित किये हैं या फिर ये कहें कि वो तमाम वेब सीरीज जो हालिया दौर में सफल हुई हैं उनमें सेक्स , गली गलौज, हिंसा, खून खराबे की भरमार है.
यानी 'अच्छी बातें' कितनी भी क्यों न हों लेकिन भारतीय दर्शक के रूप में हम पर्दे पर देखना इन्हीं चीजों को चाहते हैं. यही चीजें वो चार्म हैं जिनकी बात मनोज ने मीडिया को दिए अपने इंटरव्यू में की हैं. मनोज जानते हैं कि यही चीजें बिकती हैं यदि इन्हें ही सेंसर कर दिया जाए तो न केवल एक दर्शक के रूप में हमारा मजा किरकिरा होगा.
बल्कि इसका भारी खामियाजा एक्टर्स और एक्ट्रेस के अलावा प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को भुगतना होगा. हम ऐसा क्यों कह रहे वजह बहुत साफ है. भारत में क्यों OTT कंटेंट का क्रेज बढ़ा है इसके पीछे यूं तो तमाम कारण हो सकते हैं लेकिन जो सबसे बड़ी वजह है वो आज इस टेक्नोलॉजी के दौर में हर हाथ में मोबाइल का होना है. चूंकि यहां सीधे सीधे बात प्राइवेसी पर है तो ये व्यक्ति ही जनता है कि वो क्या देख रहा है और कितना देख रहा है तो यदि सरकार OTT को सेंसरशिप के दायरे में ला देती है और परोसा गया कंटेंट अश्लील न होकर डिसेंट हो जाता है तो शायद ही प्रोड्यूसर डायरेक्टर को अपनी टारगेट ऑडियंस मिल पाए.
ध्यान रहे कि चाहे वो अमेजन प्राइम और ऑल्ट बालाजी हों या फिर नेटफ्लिक्स, डिज्नी हॉटस्टार, एरोस नाउ, एमएक्स प्लेयर सभी OTT प्लेटफॉर्म्स की अपनी एक टारगेट ऑडियंस है. प्लेटफॉर्म जानता है कि उसे अपने दर्शक को क्या दिखाना है. बहरहाल अब जबकि OTT सेंसरशिप की जद में आ ही गया है तो भविष्य क्या होगा और निर्माता निर्देशक क्या परोसेंगे ये देखना हमारे लिए भी खासा दिलचस्प है.
खैर बात चूंकि मनोज बाजपेयी के सन्दर्भ में हुई है. तो अगर सेंसरशिप के चलते OTT को नुकसान हुआ तो उसकी भरपाई मनोज को भी करनी होगी. इससे करियर उनका भी प्रभावित होगा. इसलिए अगर आज मनोज OTT कंटेंट की वकालत कर रहे हैं तो हमें इसके पीछे उनकी मजबूरी को समझना होगा. मनोज ने OTT सेंसरशिप के मद्देनजर एक नयी बहस का आगाज किया है जिसके परिणाम देखना यूं भी दिलचस्प है.
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