Mahashivratri 2021: शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या फर्क है और ये क्यों इतना शुभ है
महाशिवरात्रि हो या कोई अन्य धार्मिक पर्व हो, आप मनाते हों या न मनाते हों, लेकिन कोई भी पर्व क्यों मनाया जाता है और उसका महत्व क्या है आपको ये ज़रूर जानना चाहिए. महाशिवरात्रि भगवान् शिव का दिन है और इसकी अपनी एक अलग महत्ता है. शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या फर्क है और ये क्यों इतना शुभ है आइये इसको समझते हैं.
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पंचांग के अनुसार हर माह के चौदहवें दिन या फिर अमावस्या से एक दिन पहले वाली रात शिवरात्रि कहलाती है. पंचांग का आखिरी महीना फाल्गुन का होता है और इस माह कि शिवरात्रि महाशिवरात्रि कहलाई जाती है. जोकि फरवरी या मार्च के महीने में पड़ा करती है. महाशिवरात्रि का अपना अलग महत्व है और सनातन धर्म के तमाम बड़े पर्वों में से महाशिवरात्रि का पर्व एक है. यह पर्व अपने नाम के ज़रिए ही पहचाना जा सकता है. महाशिवरात्रि यानी कि "शिव की महान रात". इसीलिए महाशिवरात्रि की रात में जागरण व अन्य तरह के धार्मिक कर्म किए जाते हैं. इस रात को बेहद खास रात माना जाता है. इस दिन के जितने धार्मिक महत्व बताए जाते हैं उतने ही महत्व इसके विज्ञान से जोड़े जाते हैं. इस रात को इंसान को भगवान से करीब करने की रात कहा जाता है.
महाशिवरात्रि की रात से ही ग्रीष्म ऋतु की नींव पड़ जाती है. कहा जाता है कि इंसान गर्मी के प्रभाव या फिर सूर्य के जलते प्रकाश से बचने के लिए अपने आपको इस रात भगवान शिव को समर्पित कर देतै है. महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव का पर्व होता है, इस पर्व में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है. इस रात मनुष्य अपने तमाम तरह की परेशानियों से निजात भी पा सकता है क्योंकि भगवान शिव के पास हर समस्या का समाधान होता है. इसीलिए इस पर्व के दिन व्रत रखने की परंपरा है. व्रत शुद्धीकरण के लिए ही जाना जाता है. व्रत रखने से जहां हमारे पेट और आंत की सफाई हो जाती है और रक्त शुद्ध हो जाता है वहीं कई तरह के रोगों से भी व्रत के सहारे मुक्ति मिल जाया करती है और व्रत रख कर भगवान शिव की पूजा करने से भगवान से एक अलग तरह का जुड़ाव हो जाया करता है.
मान्यता है कि यदि पृथ्वी पर जान जीवन है तो वो भगवान शिव के ही कारण है महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है और इस पर्व को किस तरह से खास पर्व कहा जाता है यह भी हर किसी को ज़रूर जानना चाहिए. महाशिवरात्रि से पहले शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है इसको समझ लीजिए. ज्योतिषों का मानना है कि हर माह की अमावस्या की रात को चंद्रमा सिकुड़ जाता है या खिसक जाता है, ऐसे में इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए हर माह भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है क्योंकि भगवान शिव ही हैं जो चंद्रमा के किसी भी नुकसान से मनुष्य प्रजाति को बचाने का कार्य कर सकते हैं.
अब महाशिवरात्रि की बात करते हैं. हिंदू नव वर्ष शुरू होने से पहले ही साल के आखिरी महीने में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इसको इसलिए मनाया जाता है ताकि आने वाले पूरे नये साल को ही किसी भी तरह के दुष्प्रभाव से बचाया जा सके. हालांकि महाशिवरात्रि मनाए जाने और भी कई वजहें है, कुछ प्रसिद्ध मान्यताओं की बात की जाए तो उसमें ये मान्यताएं प्रसिद्ध हैं.
1- महाशिवरात्रि की रात ही भगवान् शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था. इसलिए हिंदू धर्म में रात को ही विवाह के लिए शुभ माना जाता है.
2- कहते हैं कि जब देवता और राक्षस अमृत की खोज में समुद्र मंथन कर रहे थे तब मंथन से विष निकला था जिसे भगवान शिव ने पी लिया था. इस विष को पी लेने के कारण उनका पूरा शरीर नीला पड़ गया था जिसकी वजह से ही भगवान शिव को नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है. इस विष को पीकर भगवान शिव ने देवताओं के साथ-साथ संसार को भी नुकसान होने से बचाया था इसीलिए इस दिन को भगवान शिव का दिन कहा जाता है और उनकी अराधना की जाती है.
3- मान्यता ये भी है कि पवित्र नदी देवी गंगा इस दिन पृथ्वी पर उतर रही थी और पूरे पृथ्वी पर फैल रही थी जिसे भगवान शिव ने अपनी जटाओं में धर लिया था और पृथ्वी का विनाश होने से बचा लिया था. इसलिए भगवान् शिव को पूजा जाता है.
4- ऐसी भी मान्यता है कि भगवान शिव ने इसी रात को सदाशिव से लिंग स्वरूप लिया था इसलिए इसी रात भगवान् शिव को की अराधना की जाती है.
ये कुछ मान्यताएं महाशिवरात्रि के बारे में प्रसिद्ध हैं जिनका वर्णन अलग अलग जगहों पर मिल जाता है. कहा जाता है कि महाशिवरात्रि की रात बेहद पवित्र होती है इस रात को कभी सोकर नहीं गवांना चाहिए. इस दिन मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती है.
महाशिवरात्रि के दिन पवित्र नदी में स्नान करने की भी अपनी एक अलग विशेषता है. महाशिवरात्रि के दिन ही प्रयाग कुंभ का समापन होता है जबकि हरिद्धार कुंभ का आरंभ महाशिवरात्रि के दिन से होता है. इस वर्ष यानी की साल 2021 में हरिद्धार में कुंभ मेले का आज से आगाज़ हो रहा है. जोकि प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित किया जाता है. इस बार ग्रहों के योग से 11 वर्ष बाद ही हरिद्धार में कुंभ मेला आज से शुरू हो चुका है.
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