भैयादूज का भी महत्व कम नहीं, क्यों न हर त्यौहार के बारे में भी जागरूकता फैलाई जाए
धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा के बाद अंतिम दिन भैयादूज (Bhaiya Dooj ) भी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है, लेकिन दीवाली को छोड़ कर किसी भी त्योहार के विशेष इतिहास और संदर्भ के बारे में लोगों को कम ही जानकारी है जिससे इस त्योहार को न मनाने वालों को इन त्योहारों के महत्व का कुछ भी पता नहीं होता है.
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आज देश भर में भैयादूज (Bhaiya Dooj) का त्योहार मनाया जा रहा है. इसे यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. यह कार्तिक के महीने की शुक्ल पक्ष की द्धितीय तिथि को मनाया जाने वाला त्योहार है. हिंदू धर्म में यह त्योहार विशेष महत्व रखता है और इसके मनाये जाने की परंपरा भी काफी दिलचस्प है. हमारे बीच ऐसे कई त्योहार होते हैं जिसके इतिहास के बारे में अमूमन कम लोग ही जानते हैं. जबकि कोई भी पर्व हो तो उसके इतिहास और उसके संदर्भ के बारे में लोगों को ज़रूर जानकारी रखनी चाहिए. भारतीय संस्कृति की बात करें तो यहां अधिकतर किसी भी पर्व के बारे में बस वही लोग जानकारी रखते हैं जो उस पर्व को मनाते हैं. कोई भी पर्व हो उसका एक इतिहास होता है, हर किसी पर्व को मनाने वालों को चाहिए कि वह अपने पर्व के इतिहास और उसके मनाए जाने के संदर्भ को दूसरों के साथ साझा करें. किसी भी त्योहार की परंपराओं को साझा करने से उस पर्व की महत्वता बढ़ती है. अब आप ही सोचिए आप किसी त्योहार को मना रहे हैं या किसी और को मनाते हुए देख रहे हैं और आप उस पर्व के बारे में पूरी तरह से अंजान हैं तो आपका नज़रिया उस पर्व के लिए क्या होगा. वहीं दूसरी ओर अगर आपको मालूम है की यह जो त्योहार है यह क्यों मनाया जाता है तो आपका नज़रिया दूसरा होगा. किसी भी त्योहार के इतिहास और उसके मूल संदर्भों को जान लेने से उस त्योहार के बारे में एक अच्छी राय तैयार होती है. और यह जानकारी सिर्फ अपने ही धर्म के त्योहारों तक सीमित नहीं होनी चाहिए.
आइये जानें क्या है हिंदू धर्म में भइया दूज की महत्ता
भारत में मनाए जा रहे या आपके आसपास मनाए जाने वाले हर त्योहार के बारे में आपको जानकारी रखनी चाहिए. इसी से किसी भी धर्म के त्यौहार के प्रति लगाव या स्नेह पैदा होता है. मिसाल दूं तो सबसे बड़े उदाहरण के रूप में रक्षाबंधन मौजूद है. रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो है तो हिंदू धर्म का, लेकिन इसको लगभग हर धर्म के लोग मनाते हैं. त्योहार मनाने का तौर-तरीका ज़रूर अलग हो सकता है लेकिन मकसद सबका एक होता है. रक्षाबंधन के इतिहास और संदर्भ के बारे में लोगों को जानकारी है. इसी जानकारी के चलते बच्चा बच्चा जानता है कि यह त्योहार भाई और बहन के प्यार का है.
यह हिंदू धर्म का त्योहार ज़रूर है लेकिन यह हर उस इंसान का भी त्यौहार है जिसका कोई भाई है या बहन है. भाई अपनी बहन की सुरक्षा या रक्षा का वादा करता है. सोचिए अगर रक्षाबंधन के बारे में भी लोगों को जानकारी न होती तो क्या इसके महत्वता को सभी लोग समझ पाते. रक्षाबंधन के जैसा ही त्यौहार है भैयादूज का, यह दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है. यह पर्व भी भाई और बहन के स्नेह को दर्शाता है. बहन अपने भाई की खुशहाली की कामना करती है.
इस दिन विवाहिता बहनें अपने भाई को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित करती हैं और भाई को तिलक लगाकर मुंह मीठा कराकर कलाई पर कलावा भी बांधती हैं और भाई भी अपनी बहन को उसके मान सम्मान की रक्षा करने व उसका साथ देने का वादा करते हैं. रक्षाबंधन की तरह ही भाई बहन को उपहार भी देता है. इस दिन की मान्यताएं चूंकि मृत्यु के देवता यमराज से जुड़ी हुई हैं इसलिए इस दिन उनकी पूजा भी की जाती है.
दरअसल इस त्योहार के इतिहास की बात करें तो पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन सूर्य देवता के बेटे भगवान यमराज अपनी बहन यमुना से उनके घर मिलने जाते हैं. बहन यमुना खूब खुश हो जाती हैं और अपने भाई का खूब हर्षोल्लास के साथ स्वागत करती हैं. बेहतरीन व्यंजन बनाकर उन्हें भोजन कराती हैं और उनके भाल पर तिलक लगाती हैं. यमराज इससे बहुत प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें तोहफा भी भेंट करते हैं. जब यमराज वहां से जाने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से मनोवांछित वर मांगने का अनुरोध किया.
बहन ने भाई से कहा यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यह वर दीजिए कि प्रतिवर्ष आप इस दिन मेरे घर आया करेंगें और जो भी भाई आज के दिन अपनी बहन के घर जाकर उसको भेंट देगा आप उस पर दया करेंगें उसे आपका भय नहीं होगा. बहन यमुना की इस मांग को भाई यमराज ने स्वीकार कर लिया तब से ही इस दिन को भाई और बहन के त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा.
अब मान्यता यही हैं कि इस दिन भाई और बहन के एक साथ होने से यमराज जी बेहद खुश होते हैं. इसी त्योहार के साथ दीपावली के पांच दिनों का पर्व भी पूरा होता है जोकि धनतेरस से शुरु होकर नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भैयादूज तक का पांच दिनों का उत्सव होता है. भाई और बहन के इस त्यौहार को बहन की सुरक्षा और भाई के खुशहाल जीवन से भी जोड़ा जाता है.
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