बोतल में आम, 'मैंगो वाइन' है नाम
बनारस हिंदू युनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसरों का दावा है कि मैंगो वाइन में हेल्थ टॉनिक की सभी खूबियां भी मौजूद हैं.
-
Total Shares
दशहरी आम का सीजन आते ही उत्तर भारत में मैंगो शेक के स्टॉल लग जाते हैं. मैंगो शेक की पॉप्युलैरिटी इतनी कि बोतल में आम, माजा है नाम के स्लोगन के साथ साल भर देश में फ्रूटी की सप्लाई बनी रहती है. इसी क्रम में लेकिन इनसे जुदा अब जल्द बाजार में मेड इन इंडिया वाइन आ रही है. लिहाजा, शराब के प्रेमी अपना स्लोगन दुरुस्त कर लें- बोतल में आम, मैंगो वाइन है नाम.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकसभा सीट बनारस में स्थित विश्व प्रसिद्ध काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने इस मैंगो वाइन को इजात किया है. विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ने इस वाइन को तैयार किया है. इस वाइन को तैयार करने के शुरुआती जरूरी रिसर्च को पूरा कर लिया गया है और अब तैयारी की जा रही है कि इसे जल्द से जल्द बाजार में उतारने के लिए अन्य मापदंड पर खरा साबित करने की.
इसे भी पढ़ें: शराबबंदी के बावजूद कानूनन ऐसे बिकती है शराब...
जल्द बाजार में आएगी आम से बनी शराब |
वाइन इजात करने वाले प्रोफेसरों का दावा है कि मैंगो वाइन में हेल्थ टॉनिक की सभी खूबियां भी मौजूद हैं. इस वाइन को नियमित पीने से आपका स्वास्थ अच्छा रहेगा. साथ ही यह कैंसर, हार्ट और स्किन की बिमारियों से लड़ने में भी सक्षम पाई गई है.
संरक्षण पर रिसर्च के दौरान मिला फॉर्मूला
बीएचयू के वैज्ञानिकों के मुताबिक पूर्वी उत्तर प्रदेश में आम की बंपर फसल पर शोध के दौरान उन्हें मालूम चला कि यहां प्रति वर्ष 25 से 40 फीसदी आम खराब हो जाते हैं. लिहाजा, उनके इंस्टीट्यूट ने इसके संरक्षण के लिए काम शुरू कर दिया.
इसे भी पढ़ें: गांधी जी, नीतीश कुमार और शराब पर प्रतिबंध!
संरक्षण के लिए आम का एक प्रोडक्ट बनाने के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि कुछ आम के जूस में अंगूर जैसे गुण के साथ-साथ बिमारियों से लड़ने के लिए हेल्थ टॉनिक के भी गुण मौजूद हैं. रिसर्च में खास बात यह निकलकर सामने आई कि आम से वाइन बनाने पर इसमें अल्कोहल की मात्रा अंगूर से बने वाइन से काफी कम रहती है औऱ इसमें अच्छी मात्रा में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट और पॉलीफिनॉल हार्ट और कैंसर जैसी बिमारियों से लड़ने लायक बनाते हैं. गौरतलब है कि वैज्ञानिकों ने देश में उपलब्ध 6 वेराइटी के आम पर प्रयोग किया और उन्हें दशहरी और लंगड़ा किस्म में वाइन और हेल्थ टॉनिक बनाने की सबसे ज्यादा खूबियां दिखाई दी.
अप्रूवल के लिए भेजा गया फॉर्मूला
शुरुआती रिसर्च सटीक बैठने के बाद बीएचयू की तरफ से इस फॉर्मूले को रजिस्टर करने की प्रक्रिया चल रही है. इसके साथ ही कुछ अन्य मानकों के सर्टिफिकेट लेने की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं. बीएचयू में वाइन बना रही इस टीम के मुताबिक इसे बाजार में उतारने में अभी 6 महीने का वक्त लग जाएगा.
इसे भी पढ़ें: बिहार के शराबियों का नया ठिकाना 'मयखाना एक्सप्रेस'!
अब देश के एक प्रतिष्ठित संस्थान से बने इस फॉर्मूले पर तो ज्यादातर लोगों को यकीन होगा. लेकिन अहम उत्सुकता उठती है कि इसकी बाजार में कीमत क्या होगी. शुरुआती रिसर्च के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि 650 एमएल मैंगो वाइन की बाजार में कीमत 150-200 रुपये के बीच होगी. इस वाइन में 9-12 फीसदी तक अल्कोहल मौजूद रहेगा जो कि बाजार में उपलब्ध बीयर से अधिक है और अंगूर से बनी वाइन से थोड़ा कम. फिर क्या, बस इंतजार कीजिए इसके स्वाद को चखने के लिए और नशे के साथ-साथ अपनी सेहत दुरुस्त करने के लिए.
आपकी राय