गुजरातियों का ये नोट कनेक्शन...
भारत में जब भी रुपये के बड़े नोटों को प्रचलन से बहार किया गया, उस समय भारत का प्रधानमंत्री और आरबीआई का गवर्नर गुजराती ही रहा है.
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500 रुपये और 1000 रुपये के नोट चलन से बाहर हटाने के नरेंद्र मोदी सरकार के कदम ने अचानक 16 जनवरी 1978 के उस फैसले की याद दिला दी जब मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली तत्कालीन जनता पार्टी सरकार ने हाई डिनामिनेशन बैंक नोट्स (डिमॉनिटाइजेशन) ऐक्ट लाकर 1000, 5000 और 10,000 रुपये के नोट अचानक हटा दिए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार की शाम को 500-1000 के नोटों को आधी रात के बाद प्रचलन से बंद करने की घोषणा कर ऐतिहासिक निर्णय लिया. ये महज एक संयोग है कि भारत में जब भी रुपये के बड़े नोटों को प्रचलन से बहार किया गया, उस समय आरबीआई का गवर्नर और भारत का प्रधानमंत्री गुजराती ही रहा है. इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गवर्नर उर्जित पटेल गुजराती हैं.
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नरेंद्र मोदी - उर्जित पटेल
नरेंद्र मोदी मेहसाणा जिले के वाडनगर से आते हैं. उर्जित पटेल गुजरात के महुआ के रहने वाले हैं और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट हैं.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और RBI गवर्नर उर्जित पटेल दोनों गुजराती हैं |
मोरारजी देसाई - आई जी पटेल
1978 में देश के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और आरबीआई के गवर्नर आई जी पटेल दोनों गुजराती थे. पटेल वडोदरा में पैदा हुए थे जबकि मोरारजी गुजरात के बुलसर जिले में पैदा हुए थे. दोनों ने मिलकर काले धन पर रोक के लिए 1000, 5000 और 10,000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया था.
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आई जी पटेल RBI के चौदहवें गवर्नर थे और मोरारजी देसाई भारत के चौथे प्रधानमंत्री थे |
1978 के इस निर्णय ने लोगों को सकते में डाल दिया था, देश के जनता ने लगभग सभी नोट लौटा दिए थे. उस समय में ज्यादा पैसा जमा कराने पर बैंकों को इन्कम टैक्स विभाग को इत्तिला देनी पड़ती थी. संतोषजनक स्रोत न बताने पर 90 प्रतिशत तक टैक्स भरना पड़ता था. लेकिन जिस ब्लैक मनी को निकालने के लिए 1978 में यह कदम उठाया गया था उसका कोई खास नतीजा नहीं निकला, और आखिरकार एक हजार रुपये के नोट ने नवंबर 2000 में वापसी की. पांच सौ रुपये का नोट भी अक्टूबर, 1987 में चलन में लौट आया था. इस बार बैंकों में निर्धारित 50 दिन के भीतर ढाई लाख रुपये से ज्यादा रकम जमा कराने वालों को आयकर देना होगा. अगर यह राशि जमाकर्ता की आय से मेल नहीं खाती है तो उसे आयकर के साथ 200 फीसदी जुर्माना भी चुकाना पड़ेगा.
दो गुजरातियों की यह जुगलबंदी क्या देश से काले धन को खत्म कर पाएगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन अगर आगाज सही हो तो अंजाम भी सही ही होगा.
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