स्विस बैंक एकाउंट, पैसे और कामकाज से जुड़े भ्रम और उनकी सच्चाई
अगर आपको लगे कि स्विस बैंक का मतलब काला धन और काला धन का मतलब स्विस बैंक है तो गलत हैं. इन आठ बातों से समझिए स्विस खातों की पूरी ए बी सी डी...
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काला धन और स्विस बैंक का चोली दामन का साथ है. कम से कम हम भारतीयों की नजर में. इसलिए स्विस बैंक को लेकर लोगों के कई मिथकों को तोड़ने के लिए हम जानकारी बटोर लाए हैं
मिथक 1: स्विस बैंक भ्रष्ट अमीर लोगों के लिए हैं :
आपके और मेरे जैसे लोग भी खाते खुलवा सकते हैं. इसके लिए सिर्फ आपको फॉर्म भरना होगा और अपनी पहचान और काम को साबित करने वाले दस्तावेज जमा करने होंगे. आपको 5,000 स्विस फ़्रैंक जमा करना होगा. कुछ बैंक तो न्यूनतम शेष राशि के बिना भी खातों की पेशकश करते हैं.
मिथक 2: स्विस बैंक आपके सीक्रेट शेयर करते हैं :
स्विस बैंक अपनी गोपनीयता के लिए लोकप्रिय हैं. स्विस बैंकों के लिए गोपनियता का कठोर कोड कुछ नया नहीं है. स्विट्ज़रलैंड को "बैंक गोपनीयता का दादा" कहा जाता है. 20 वीं शताब्दी के मध्य के बाद से ही स्विट्जरलैंड दुनिया के सबसे बड़े अपतटीय वित्तीय केंद्रों और टैक्स हेवेन में से एक रहा है.
स्विस बैंक के खातों की जानकारी साझा करना अपराध है
1713 में, ग्रेट काउंसिल ऑफ जिनेवा की स्थापना की गई. इसके लिए बैंकरों को अपने ग्राहकों के रजिस्टरों को रखने की आवश्यकता थी, लेकिन उन्हें किसी के साथ भी जानकारी साझा करने से मनाही थी. स्विट्जरलैंड में किसी ग्राहक की जानकारी को साझा करना अपराध है. यह कोड स्विट्जरलैंड को अपने फंड को गैरकानूनी तरीके से छुपाने के लिए एक सुरक्षित जगह बनाता है.
मिथक 3: बैंक खाते को मेंटेन करना बहुत महंगा है :
अधिकांश स्विस बैंक, खाते के वार्षिक शुल्क के रूप में कुछ भी चार्ज नहीं करते हैं. भले ही आप उनसे अतिरिक्त पत्राचार या बैंकिंग रिलेशन जैसी अतिरिक्त सेवाएं भी लेते हैं तो भी वार्षिक शुल्क बहुत कम है.
मिथक 4: आपका पैसा जोखिम में है :
स्विट्जरलैंड में कई वर्षों से एक बेहद स्थिर अर्थव्यवस्था, अच्छी तरह से निर्मित वित्तीय प्रणाली और आधारभूत संरचना है. और 1505 के बाद से इसका किसी भी अन्य देश के साथ युद्ध नहीं हुआ है. इसके अलावा, आपके पैसे पर मिलने वाला रिटर्न सबसे बड़ा फायदा है. स्विस बैंकरों को निवेश की बहुत अच्छी जानकारी होती है और वो जानते हैं कि कैसे आपका पैसा बढ़ाया जाए.
मिथक 5: नंबर वाले खाते सिर्फ वीआईपी लोगों के लिए हैं :
स्विस बैंकों में नंबर वाले खातों को सबसे गुप्त खाता माना जाता है. खाते के साथ सभी तरह की बातचीत खाता संख्या के माध्यम से होती है. बैंक में बहुत ही कम लोग नंबर वाले खाते के पीछे का नाम जान पाएंगे.
नंबर वाले खाते सभी के लिए हैं
हालांकि ऐसे खातों आसानी से नहीं दिए जाते. लेकिन वे सिर्फ वीआईपी तक ही सीमित नहीं हैं. जिस भी व्यक्ति को 'नंबर वाला खाता' चाहिए उसे बैंक में खुद जाना होगा. और प्रारंभिक जमा राशि कम से कम $100,000 है.
मिथक 6: बैंकर आपके पैसे के स्रोत की जांच नहीं करते हैं :
गुरिल्ला गतिविधियों, आतंकवाद, भ्रष्टाचार और कर चोरी में बढ़ोतरी के साथ, स्विस सरकार ने अब उन खातों को खारिज करना शुरू कर दिया है जिन पर उन्गें संदेह है कि वो अवैध तरीके से पैसे ला रहे हैं. इसके अलावा, स्विस एंटी-मनी-लॉंडरिंग नियमों में जमाकर्ताओं को उनके खातों में रखे गए धन की स्रोत का सबूत प्रदान करने की भी आवश्यकता होती है.
मिथक 7: जमा राशि की कोई सीमा नहीं है :
2004 में लिबरलाइज्ड रेमिटेन्स स्कीम लाई गई. इसके जरिए भारतीयों को एक खाता खोलने की अनुमति दी गई. लेकिन इसमें एक वित्तीय वर्ष में जमा राशि की सीमा निर्धारित कर दी गई. वर्तमान में वार्षिक एलआरएस सीमा (प्रति व्यक्ति) $250,000 (1.5 करोड़ रुपये) है.
इसके विपरीत, एनआरआई को कुछ अतिरिक्त लाभ मिलते हैं और असीमित समय के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय बैंक खाते को जारी रख सकते हैं. साथ ही इस तरह के खातों में जमा की जा सकने वाली राशि की कोई सीमा भी निर्धारित नहीं है.
मिथक 8: अधिक भारतीयों के पास स्विस खाते हैं :
स्विस बैंकरों एसोसिएशन (एसबीए) ने 2018 में अनुमान लगाया था कि स्विस बैंकों में 6.5 ट्रिलियन डॉलर या सभी वैश्विक सीमा पार संपत्तियों का 25% हिस्सा जमा है. स्विस बैंकों में कुल विदेशी धन का सबसे बड़ा हिस्सा (27 प्रतिशत से अधिक) ब्रिटेन का है, सभी विदेशी फंडों का 11 प्रतिशत के साथ अमेरिका दूसरे स्थान पर है.
भारत 73 वें स्थान पर है और आधिकारिक तौर पर भारतीयों के खाते में रखे गए कुल विदेशी धन का केवल 0.07 प्रतिशत है.
तो अब अगर आपको लगे कि स्विस बैंक का मतलब काला धन और काला धन का मतलब स्विस बैंक है तो गलत हैं आप.
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