इंतजार कीजिए विजय माल्या की मेड फॉर इंडिया स्कॉच का
स्कॉच वह व्हिस्की है जिसे स्कॉडलैंड में नैचुरल वॉटर से तैयार किया गया हो. लिहाजा, देश को स्कॉच देने का सपना साकार करने के लिए जरूरी था कि माल्या शराब बनाने का अपना कारोबार पूरी तरह इग्लैंड शिफ्ट कर लें.
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बीयर, व्हिस्की, आईपीएल टीम, फुटबाल क्लब, फॉर्मूला वन रेसिंग और एयरलाइन. ये सब भारतीय सांसद और बिजनेसमैन विजय माल्या का महज शौक नहीं कारोबार था. पिता विट्टल माल्या की 1983 में मौत के बाद महज 28 साल विजय माल्या को विरासत में देशभर का सबसे बड़ा बियर कारोबार मिला. इस विरासत को अपनी सूझबूझ से 30 साल में विजय माल्या ने दुनिया के नक्शे पर ला दिया और साथ ही बेटे को उसके 18वें जन्मदिन पर एक नई कंपनी गिफ्ट की- किंगफिशर एयरलाइन. बस यहीं किस्मत रूठ गई और बीते कई दशकों की कमाई दौलत पर ग्रहण लग गया. कभी भारत के रिचर्ड ब्रान्सन (वर्जिन एयरलाइन) की उपाधि से नवाजे जाने वाले विजय माल्या को आज भगोड़ा कहा जाने लगा है. लेकिन एक सवाल अभी भी यह सबकुछ मानने को तैयार नहीं. क्या वाकई बैंकों के विलफुल डिफॉल्टर घोषित हुए विजय माल्या को विफल कारोबारी घोषित करने का समय आ गया है?
इस बात में कोई दो राय नहीं कि शराब का कारोबार विजय माल्या की रगों में बसा है. पिता के किंगफिशर और गोल्डन ईगल बीयर के कारोबार को आगे बढ़ाते हुए विजय माल्या ने शराब के कारोबार में न सिर्फ अपनी कंपनी को दुनिया के नक्शे पर छापा बल्कि देश के बड़े बाजार पर दुनियाभर की नजर टिका दी. गौरतलब है कि इंग्लैंड के एक मशहूर अखबार को दिए इंटरव्यू में जब पत्रकार ने माल्या से सवाल किया कि क्या वह भारत के रिचर्ड ब्रान्सन है तो जवाब में माल्या ने कहा कि रिचर्ड ब्रिटेन के माल्या हैं. और शायद इस इंटरव्यू के बाद ही विजय माल्या ने अपने लिए एक नई स्क्रिप्ट लिख ली- रिचर्ड ब्रान्सन को ब्रिटेन का माल्या बनाने की.
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विजय माल्या पर उपजे विवाद के पीछे इंग्लैंड की सबसे बड़ी शराब कंपनी दियाजियो है. माल्या पर आरोप है कि उन्होंने दियाजियों को अपना शराब कारोबार बेचने में किंगफिशर एयरलाइन के लिए 17 सरकारी बैंकों से लिए गए लगभग 9000 करोड़ के कर्ज का हवाला नहीं दिया. इन सारे कर्जों से लदी किंगफिशर एयरलाइन डूब गई और एयरलाइन्स के हजारों बेरोजगार हुए कर्मचारियों को हर्जाना तो दूर कई महीनों की सैलरी तक फंस गई. लेकिन पूरे मामले में माल्या का बाल भी बांका नहीं हुआ. जबतक देश के 17 बैंकों को एहसास हुआ कि उनका पूरा पैसा किंगफिशर के साथ डूब चुका है तबतक विजय माल्या ने अपने लिए इंग्लैंड में नया ठिकाना तैयार कर लिया था.
पिता से विरासत में मिली कंपनी को ट्रस्ट बनाकर विजय माल्या कई साल पहले इंग्लैंड में रजिस्टर करा चुके थे. वहीं 2002 में उन्होंने देश को इंडियन स्कॉच का सपना दिखाया. इस सपने को साकार करने के लिए माल्या ने व्हाइट एंड मैके नाम की मशहूर कंपनी का टेकओवर किया और भारत में आईएमएफएल (इंडियल मैन्यूफैक्चर्ड फॉरेन लीकर) के लाइसेंस के जरिए कई मशहूर ब्रांडेड स्कॉच व्हिसकी लांच की और स्कॉच के कारोबार पर अपना पैर जमाना शुरू कर दिया. लेकिन देश को स्कॉच देने का माल्या का सपना इससे पूरा नहीं हुआ. ऐसा इसलिए कि स्कॉच वह व्हिस्की है जिसे स्कॉडलैंड में नैचुरल वॉटर से तैयार की गई हो. लिहाजा, इस सपने को साकार करने के लिए माल्या के लिए जरूरी था कि वह शराब बनाने के अपने कारोबार को पूरी तरह इग्लैंड में शिफ्ट कर लें.
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लिहाजा, धीरे-धीरे भारत में विजय माल्या की माली हालत खराब होती गई. सरकारी बैंकों से कर्जा बढ़ता गया और इंग्लैंड समेत इग्लैंड के सेफ हैवन कहे जाने वाले ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में उनका संपदा बढ़ती रही. पिता की शराब कंपनी पहले ही बतौर ट्रस्ट इंग्लैंड में रजिस्टर हो चुकी थी लिहाजा उन्हें जरूरत थी कई एकड़ में फैले एक ऐसे घर की जहां नैचुरल वॉटर की सप्लाई उनकी पहुंच में हो. गौरतलब है कि मीडिया रिपोर्ट (बीबीसी) के मुताबिक विजय माल्या ने इंग्लैंड के एक गांव में 30 एकड़ में फैला एक बंगला लिया है जहां उनका परिवार रहता है औऱ वे खुद भारत से गायब होने के बाद वहां देखे जा रहे हैं.
अब रहा सवाल आखिर देश में फैला इतना बड़ा शराब कारोबार और बाकी बिजनेस इंटरेस्ट छोड़ भला क्यों वह इंग्लैंड में स्कॉच बनाने का काम करेंगे.
दरअसल, देश को स्कॉच देने का सपना साकार करने के लिए यह जरूरी था कि इंग्लैंड में बड़ी संपत्ति बनाई जाए. इसके लिए किंगफिशर एयरलाइन को सफल होना था लेकिन वह कर्ज में डूबने के साथ-साथ गहरी दिक्कतों में धंसती चली गई. वहीं देश में फैले शराब कारोबार को वह दियाजियों को बेचना शुरू कर चुके थे और वहां कोई वापसी नहीं थी.
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गौरतलब है कि हाल में ही यूनाइटेड ब्रेवरीज (भारत में उनकी शराब कंपनी) के बोर्ड चेयरमैन पद को छोड़ने और दियाजियो को पूरी कमान देने के लिए माल्या ने लगभग 500 करोड़ की डील की. इस डील के बाद ही माल्या सुर्खियों में आए और सवाल उठने लगा कि वह देश छोड़ सकते हैं. इस डील में सबसे अहम बात यह थी कि 500 करोड़ रुपये के एवज में दियाजियों के साथ माल्या ने यह भी डील की कि भारत समेत दुनियाभर में वह दियाजियो को चुनौती देने का काम नहीं करेंगे. लेकिन इस डील से इंग्लैंड को बाहर रखा गया क्योंकि माल्या का देश को स्कॉच देने का सपना इंग्लैंड से ही पूरा हो सकता है.
लिहाजा, हमारे सरकारी बैंकों के कर्जों को एक बार भूल जाया जाए, जिसके लिए माल्या से ज्यादा वे खुद जिम्मेदार है, तो हमें इंतजार करना चाहिए उस दिन का जब वाकई विजय माल्या रिचर्ड ब्रान्सन को इंग्लैंड का माल्या बना सके और भारत को एक स्कॉच दे सकें. फिर स्कॉच का नाम ‘कुछ नहीं’ की तर्ज पर ‘कर्ज’ या ‘मार लिया’ भी रख दें तो हम गर्व से कहेंगे ये ‘मेड फॉर इंडिया’ स्कॉच है.
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