निशिकांत दुबे पर GDP के मन की बात से क्या पिघल पाएंगे पीएम मोदी?
भाजपा सांसद Nishikant Dubey ने जीडीपी को लेकर जो भी कहा है उसके बाद जीडीपी बहुत आहत है. GDP ने PM Narendra Modi को खुली चिट्ठी लिख अपने मन की बात की है और अपना दर्द बयां किया है.
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प्यारे प्रधानमंत्री जी,
मेरी तो हालत सारा देश देश रहा है. मगर मेरे पास इस बात के पुख्ता सुबूत है कि आपके आस पास सब चंगा सी. कहने बताने को बहुत सी बातें हैं मगर आइये थोड़ी शेर ओ शायरी कर ली जाए. आपका पता नहीं मगर मुझे थोड़ी राहत जरूर मिलेगी. कुछ और कहूं इससे पहले एक शेर सुनिए. शेर मिर्ज़ा अज़ीम बेग 'अज़ीम' का है और कुछ यूं है कि
शह-ज़ोर अपने ज़ोर में गिरता है मिस्ल-ए-बर्क़,
वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले.
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने जो कहा है उससे जीडीपी का आहत होना स्वाभाविक था
मुझे पता है आपके पास टाइम नहीं है. लेकिन क्या करूं अब ऐसे ही शेरों की बदौलत मैं अपनी इज्जत बचाए हुए हूं. मैं गिरती हूं. संभलती हूं. फिर खड़ी होती हूं. फिर कुछ हो जाता है, गिर जाती हूं लेकिन भगवान जानता है, कभी किसी से शिकायत नहीं की. मुझे पता है सब दिन एक से नहीं होते. आज बुरे दिन हैं, तो कल अच्छे दिन भी आएंगे. मैं इसी भरोसे के साथ जिंदगी जी रही हूं. जिए जा रही हूं. मेरी लाइफ में इतनी परेशानियां हैं कभी किसी से कुछ नहीं कहा.
आप हमारे बड़े हैं. लेकिन मैं कभी आपके पास भी नहीं आई. जानते हैं क्यों? क्योंकि मेरे आपके बीच एक भरोसा था. मुझे महसूस होता था कि जैसे आपकी इज्जत मेरी इज्जत है. वैसे ही मेरी इज्जत भी आपकी इज्जत होगी. विपक्ष लाख आलोचना कर रहा हो. राहुल गांधी भले ही खोज-खोज के आंकड़े ला रहे हों. मगर यकीन था कि आप मेरे सम्मान में हमेशा मैदान में रहेंगे. न चाहते हुए भी आज मैंने बड़े ही भारी मन से आपको लैटर लिखा है. कारण हैं झारखंड से आने वाले आपकी पार्टी के नेता निशिकांत दुबे.
प्रधानमंत्री जी, देखिये मुझे पता है कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी है. अब इस आजादी का ये मतलब बिलकुल नहीं है कि बिना जाने बूझे, सोचे समझे, लिखे पढ़ें कोई भी व्यक्ति कोई भी बात कह दे. आपको पता है तो अच्छी बात है नहीं पता है तो बता दूं कि आपकी पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा है कि जीडीपी 1934 में आया इससे पहले कोई जीडीपी नहीं था. केवल जीडीपी को बाइबिल, रामायण या महाभारत मान लेना सत्य नहीं है और फ्यूचर में जीडीपी का कोई बहुत ज्यादा उपयोग भी नहीं होगा.
Nishikant Dubey, BJP MP in Lok Sabha: GDP 1934 mein aaya issey pehle koi GDP nahi tha...... Keval GDP ko Bible, Ramayan ya Mahabharat maan lena satya nahi hai aur future mein GDP ka koi bahot zyada upyog bhi nahi hoga. pic.twitter.com/MVF4j07KF9
— ANI (@ANI) December 2, 2019
प्रधानमंत्री जी. जब से मैं गिरना शुरू हुई हूं मुझे ऐसी आलोचना, बल्कि इससे भी बदतर की आदत हो गई है. मुझे सांसद महोदय की शुरूआती बातें बुरी नहीं लगीं. सही तो कह रहे हैं वो जीडीपी को बाइबिल, रामायण और महाभारत नहीं मानना चाहिए. मगर जिस तरह वो भविष्य वक्ता बने और ये कह दिया कि आने वाले समय में मेरा कोई अस्तित्व नहीं रहेगा इस बात ने मुझे बहुत ज्यादा आहत किया है. ऐसे कैसे मेरा भविष्य नहीं रहेगा? मतलब कोई मजाक है क्या?
GDP growth numbers have no relevance for the country says @BJP4India MP Nishikant Dubey. GDP numbers are not the Bible or the Mahabharat. Honourable MP then reads out a ‘quote’ of US President John Kennedy from 1968. It’s another matter that Kennedy was assassinated in 1963. pic.twitter.com/m3qU39lDVV
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) December 2, 2019
प्रधानमंत्री जी मैं सच में बड़ी हैरत में हूं. हो सकता है मुझ पर बात करते हुए इन लोगों को लग रहा हो कि ये मेरा मजाक उड़ा रहे हैं. मगर शायद ये नहीं जानते कि इनकी बातें ही जनता के आगे इन्हें बेनकाब कर रही हैं. अब चूंकि इन्होंने अपने अपार ज्ञान का परिचय दिया है लोगों की प्रतिक्रिया आनी स्वाभाविक थी. लोगों ने मामले को गंभीरता से लिया और अपनी प्रतिक्रिया दी जिससे ये आहत, बल्कि बहुत आहत हो गए और मांग कर डाली कि सरकार सोशल मीडिया पर कानून लाए ताकि जो लोग आलोचना करते हैं उनपर एक्शन लिया जाए और उनका काम तमाम कर दिया जाए.
BJP MP Nishikant Dubey wanted Parliament to pass a law to ban entire social media for being at the receiving end for his comments on GDP.
But this gent forgot that his party’s paid troll army is the biggest nuisance in Indian Social Media as on today pic.twitter.com/hMxUZTaWg4
— Ravi Nair (@t_d_h_nair) December 3, 2019
कहने बताने को तो मैं निशिकांत जी से कई महीने बात कर सकती हूं मगर इन्हें मेरा एक छोटा सा सुझाव है. सुझाव ये है कि पहले तो ये मुंह न खोलें. यदि बहुत मज़बूरी हुई और इन्हें खोलना ही पड़ जाए तो इन्हें ये ख्याल रखना चाहिए कि इनका कहा कहीं पार्टी के गले की हड्डी न बन जाए. फिर पार्टी को कुछ वैसी ही तकलीफ हो जो उस सांप को होती है जिसने चूहा समझकर छछूंदर को होती है. मुझे पता है इन्हें जीडीपी की रत्ती भर भी समझ नहीं है मगर पार्टी की तो है.
आखिर किस डॉक्टर ने इनसे कहा था कि ये आएं और माइक देखकर जीडीपी यानी मुझे लेकर अपने बहुमूल्य विचार दें. मैं आपको याद दिका दूं आदरणीय प्रधानमंत्री जी. मैं भले ही गिर रही हूं मगर जब कल की डेट में बात सचमुच में गिरने की आएगी तो मैं दूसरे नंबर पर रहूंगी पहली पोजीशन आपके इन सांसद महोदय की ही होगी. फर्स्ट यही आएंगे.
बहरहाल आपको लैटर लिख दिया है. कुछ मन हल्का हुआ है मगर अब भी मेरी तृष्णा शांत नहीं हुई है. मुझे पता है आप इसे पढ़ने वाले नहीं हैं. मगर मैंने इस पत्र के जरिये अपने मन की भड़ास निकल ली है. कल मैं फिर गिरूंगी. मगर इस बात का मलाल न रहेगा कि अपने मन की बात उसे नहीं बताई जो पूरे देश से मन की बात करता है और बात बात में ऐसी बहुत ही बातें कह जाता है जो देश की जनता को इंस्पायर करती हैं.
हो सकता है कि ये पत्र निशिकांत दबे को इंस्पायर कर दे और उन्हें महसूस हो जाए कि उन्होंने जो कहा अच्छा नहीं कहा और साथ ही उनके मन की बात किसी को अच्छी भी न लगी. मुझे तो बिलकुल भी नहीं.
लगातार गिर रही और गिरती ही जा रही
आपकी GDP
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