पाकिस्तान में Boycott French product मजाक से ज्यादा कुछ नहीं है!
इस्लामोफोबिया (Islamophobia) की बातों के बीच #Boycott_French_Products की मांग को लेकर सड़कों पर आए पाकिस्तानियों (Pakistani) की चुनौती दोहरी है बेचारे समझ नहीं पा रहे हैं कि #Boycott_French_Products में फ्रेंच किस (French Kiss), फ्रेंच फ्राइज (French Fries), फ्रेंच ब्रेड और परफ्यूम का बहिष्कार शामिल है या नहीं.
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'न खाऊंगा न खाने दूंगा'... पूरी दुनिया एक तरफ अपने प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का ये डायलॉग एक तरफ. 2014 में पीएम मोदी ने कुर्सी संभाली थी आज 2020 है इन 6 सालों में भारतीय प्रधानमंत्री ने भले ही चार सौ पैसठ तरह की मन की बातें की लेकिन मजाल जो कोई माई का लाल इस डायलॉग का तोड़ निकाल दे. 6 सालों में कुछ नहीं बदला है. अगर कुछ बदला है तो इस डायलॉग का स्वरूप अब बात सिर्फ सिर्फ 'न खाऊंगा न खाने दूंगा तक सीमित नहीं है और उससे दो हाथ आगे निकल गयी है. ज़रा ज़रा सी बातों पर लोगों को चोट पहुंच रही है. वो आहत हो रहे हैं. हर दूसरी चीज के बॉयकॉट की मांग जोरों पर है. एक ऐसे वक्त में जब सोशल मीडिया पर खेलने और पब्लिसिटी पाने के सैकड़ों मुद्दे हों. आहत होने के बाद बात 'न यूज करूंगा न यूज करने दूंगा' पर आ गयी है. भारत की ही तरह पाकिस्तान (Pakistan) में भी एक अहम मुद्दे को लेकर लोग आहत हैं और वहां फ्रेंच प्रोडक्ट्स (French Products) के बहिष्कार (Boycott) की मांग तेज है. पाकिस्तान में क्या बच्चा क्या बुजुर्ग. हर कोई हाथ में तख्ती लिए हुए हैं और #Boycott_French_Products की वकालत कर रहा है. मामले में थोड़ा डीप उतरें तो मुद्दे ने लोगों को व्यंग्य करने का मौका दे दिया है और हालिया वक़्त में बॉयकॉट फ्रेंच प्रोडक्ट्स एक मजाक से ज्यादा कुछ नहीं रह गया है.
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में फ्रेंच प्रोडक्ट्स के बहिष्कार की मांग जोरों पर है
मामले पर सबसे दिलचस्प रुख सोशल मीडिया का है. जैसे ही खबर आई कि तमाम मुस्लिम मुल्कों को इस्लाम की राह में तमाम फ्रेंच प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करना चाहिए जो रायता फैला क्या ही कहें. लोग परेशान है कि जिस फ्रांस ने हमें किस करने से लेकर ब्रेड और परफ्यूम बनाना सिखाया उसका बहिष्कार किया जाए तो कैसे?साथ ही सवाल ये भी बना है कि बॉयकॉट के बाद प्लान भी या फिर ये कहें कि बॉयकॉट का अल्टरनेट क्या है?
I can't even boycott french kiss cuz I wasn't getting one at the first place. #boycottfrenchproducts
— Sakhwa.???????? (@sakhwa) October 26, 2020
क्योंकि ये पूरा कैम्पेन ही अपने में बड़ा इंटरेस्टिंग है इसलिए जब ट्विटर का रुख किया तो वहां ट्विटर पर एक साहब दिखे. शायद अभी नई नई शादी हुई है बेचारे परेशान हैं कि अगर फ्रेंच प्रोडूक्ट्स का बहिष्कार किया तो बीवी को फ्रेंच किस से महरूम रखना पड़ेगा. जोकि शादी के शुरुआती दिनों में सफल वैवाहिक जीवन के लिहाज से बिल्कुल भी ठीक नहीं है. इन भाईसाहब की फिक्र सही है. इनकी फ़कीरी में एक दुविधा तो है जो यहां हमें भारत में दिखाई दे रही है.
I urge my fellow Muslims in Pakistan to stop using and showcasing French Procedures and French Products.Let's start by boycotting #French Kiss.All Harami Boyfriends and secret Girl friends should never kiss in #French Style.#boycottfrenchproducts #FrenchKiss #FranceBoycott
— Imran Khan Niazi (@PMSelect) October 26, 2020
इसी तरह और भी लोग हैं जो कह रहे हैं कि फ्रांस का और वहां के उत्पादों का बहिष्कार कर तो दें मगर जो उसके बाद होगा उसकी गारंटी वॉरंटी कौन लेगा. बात इन लोगों की भी सही है. आदमी टीवी का बहिष्कार करे लेकिन उसके पास मनोरंजन के लिए रेडियो तो होना ही चाहिए.
French fries and french kiss to be boycotted or no? Just asking for a friend.#boycottfrenchproducts
— Nairobi (@Dedanadun) October 27, 2020
देखो भइया बात सीधी और एक दम क्लियर है. फ्रेंच प्रोडूक्ट्स के नाम पर जो हो रहा है ये सारा बवाल धर्म को लेकर है. धर्म अपनी जगह है और आप जन जीवन अपनी जगह. हमें इस बात को समझना होगा कि अब वो चाहे फ्रेंच किस हो या फिर फ्रेंच टोस्ट और फ्रेंच फ्राइज जीवन चलाने के लिए इनकी पर्याप्त ज़रूरत तो है.
#boycottfrenchproducts Though 99.98765765432% Pakistanis don’t know about French products they use except french kiss & French fries ????
— ASAD (@mrasadgillani) October 26, 2020
भले ही वामपंथी लॉबी के गॉड फादर कार्ल मार्क्स ने धर्म को अफ़ीम बताया हो लेकिन चाहे वो हिंदुस्तान हो या फिर पाकिस्तान बिना धर्म के आदमी चले, चलता रहे ये पॉसिबल नहीं है. बाक़ी ' बॉयकॉट फ्रेंच प्रॉडक्ट्स वाली आपदा में जो फ्रेंच किस और फ्रेंच टोस्ट के नामपर अवसर तलाश रहे हैं इन्हें भगवान भी माफ़ न करेगा.
क्या था मैटर क्यों हुआ बवाल.
बात बीते दिनों की है फ्रांस में एक टीचर की हत्या कर दी गयी थी. टीचर पर आरोप था कि उसने अपनी क्लास में पैगंबर मोहम्मद का एक आपत्तिजनक कार्टून दिखाया. बाद में फ्रांस ने अपनी सरकारी बिल्डिंगों पर पैगंबर मोहम्मद के बड़े बड़े कार्टून दिखाए जिसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने फ्रांस पर इस्लामो फोबिक होने का आरोप लगाया था.
It is unfortunate that he has chosen to encourage Islamophobia by attacking Islam rather than the terrorists who carry out violence, be it Muslims, White Supremacists or Nazi ideologists. Sadly, President Macron has chosen to deliberately provoke Muslims, incl his own citizens,
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) October 25, 2020
अपने ट्वीट्स में इमरान खान ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति से मुखातिब होकर कहा था कि उन्हें इस्लाम की कोई समझ नहीं है, फिर भी उन्होंने इस पर हमला करके यूरोप और दुनिया भर में लाखों मुसलमानों की भावनाओं पर हमला किया और उन्हें चोट पहुंचाई.' इमरान ने कहा, 'आखिरी चीज जिसे दुनिया चाहती है या जरूरत है, वह है कि दुनिया को ध्रुवीकरण और अज्ञानता की वजह से इस्लामोफोबिया पर सार्वजनिक बयान से बचना चाहिए, क्योंकि इससे उग्रवादियों के मन में और भी नफरत पैदा हो जाएगी.'
बहरहाल मुद्दा ये नहीं है कि इमरान खान ने फ्रेंच राष्ट्रपति से क्या कहा ? या फिर ये कि बॉयकॉट फ्रेंच प्रोडक्ट्स कैम्पेन के बाद दुनिया के तमाम मुस्लिम मुल्कों से फ्रांस के राष्ट्रपति क्या कह रहे हैं. मुद्दा वो रायता है जो इस पूरे कैम्पेन के बाद फैला और लोगों के हंसी मजाक का माध्यम बन गया. कुल मिलाकर मैटर ये है कि बात सीरियस है और इसपर चर्चा तो होनी ही चाहिए.
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