मुंबई हमले के आरोप से 'बरी' हो सकता है हाफिज सईद!
'मुंबई हमले के आरोप से हाफिज सईद बरी' यह हेडलाइन जल्द ही भारत-पाक मीडिया की सुर्खी बन सकती है. भारत के िखिलाफ उकसावे की कार्रवाई करने में माहिर पाकिस्तान को समझौता ब्लास्ट केस में असीमानंद और तीन अन्य लोगों के बरी होने से मौका जो मिल गया है.
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'26 नवम्बर 2008 में मुंबई में हुए हमलों में लिप्त मुख्य आरोपियों हाफिज सईद, जकीउर रहमान लखवी, जावेद इकबाल, हम्माद अमीन सादिक, डेविड कोलमेन हेडली, तहव्वुर हुसैन राना, अब्दुर रहमान हाशिम सैय्यद, शेख अब्दुल ख्वाजा जैसे लोगों को बाइज्जत बरी कर दिया है. खबर जैसे ही मीडिया में आई पाकिस्तान के नेता जश्न मनाने सड़कों पर आ गए हैं.'
ये लाइनें फिलहाल काल्पिनिक लग सकती हैं. लेकिन समझौता ब्लास्ट केस में NIA कोर्ट से जिस तरह का फैसला आया है, उसके बाद पाकिस्तानी कोर्ट से बदले मेंं आतंकियों को बरी किए जाने के फैसलेे पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए. दरअसल एनआईए कोर्ट ने अपने फैेसले में जांच एजेंसी एनआईए पर सख्त रुख जाहिर किया है, और उस पर आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश न करने का आरोप लगाया है. अब वजह जो भी रही हो, हकीकत यही है समझौता ब्लास्ट में मारे गए 63 लोगों के परिवार वालों को इंसाफ नहीं मिला. अब ये तो हुई भारत की बात. इसके बदले पाकिस्तान में क्या हो सकता है, यह भी जान लीजिए. यह एक कल्पना मात्र है, जिसके हकीकत में बदल जाने की गुंजाइश ज्यादा है...
मुंबई हमले को लेकर पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है
26/11 मुंबई हमले के आरोप से हाफिज सईद समेत बाकी आारोपियों के बरी होने पर खुशी जताते हुए पाकिस्तानी हुक्मरानों ने कहा है कि भारत ने साजिशन हमारे 'निर्दोष' लोगों को फंसाया है और दुनिया को बेवकूफ बनाने का काम किया. वहीं इस फैसले के बाद भारत पाकिस्तान की आलोचना में जुट गया है. फैसले को लेकर भारतीय राजनेता यही कहते पाए जा रहे हैं कि हमेशा की तरह एक बार फिर पाकिस्तान ने आतंकवाद को संरक्षण देकर अन्याय का साथ दिया है.
कुछ और बताने से पहले आइये पाकिस्तान के इस फैसले पर बात कर ली जाए. फैसले पर पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने बेहद अजीबो गरीब तर्क दिया दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि ये फैसला इसलिए दिया गया है क्योंकि मामले को लेकर हुई अब तक की जांच में अदालत को इस बात के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं कि मुंबई में हुए उस हमले के जिम्मेदार ये लोग थे. अदालत इस बात का पता लगाने में असमर्थ थी कि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मुंबई में हुए हमलों में इन लोगों की कोई भूमिका थी भी या नहीं.
मुंबई हमले के मुख्य आरोपियों के रिहा होने से पूरे पाकिस्तान में खुशी की लहर है
'फैसले पर पाकिस्तानी मीडिया ने खुशी जाहिर की है. पाकिस्तान के अख़बारों, टीवी चैनलों और वेब साइटों का यदि अवलोकन किया जाए तो मिल रहा है कि सभी एक तरफ से इस बात का राग अलाप रहे हैं कि भारत दुनिया के सामने अपने को शक्तिशाली साबित करने के लिए हमारे आलिमों, मौलानाओं और मजहबी इदारों को टारगेट कर दुनिया के सामने उनकी छवि खराब करने का प्रयास कर रहा है. वहीं फैसले पर देश के प्रधानमंत्री इमरान खान ये कहते नजर आए कि हक की जीत हुई है.साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान की अदालत ने हमेशा की तरफ एक बार फिर साबित कर दिया है कि नए पाकिस्तान में सबसे साथ बराबरी का इंसाफ होगा.'
भारत में असीमानंद के रिहा होने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि इससे भारत पाक के रिश्ते में तनाव आएगा
हो सकता है कि कल ये बात सही ही साबित हो जाए. सवाल हो सकता है कि क्यों? तो जवाब है एनआईए कोर्ट और स्वामी असीमानंद. ध्यान रहे कि समझौता ब्लास्ट केस में असीमानंद समेत चारों आरोपी को बरी कर दिया गया है.
ज्ञात हो कि पंचकूला की विशेष एनआईए कोर्ट ने सभी चारों आरोपी को मामले में बरी कर दिया. आपको बताते चलें कि दिल्ली-लाहौर समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में 18 फरवरी 2007 को पानीपत के नजदीक दो बम विस्फोट हुए थे, जिनमें 68 लोग मारे गए थे और 12 अन्य घायल हुए थे. उनमें ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक थे. तब हुए इस हमले में असीमानंद के अलावा लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजेंद्र चौधरी को मुख्य आरोपी बनाया गया था.
असीमानंद के रिहा होने के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है
खबर आने के फौरन बाद सोशल मीडिया पर तमाम तरह की बातें होने लगी हैं. मामले को लेकर पत्रकार हरिंदर बवेजा ने ट्विटर पर लिखा है कि असीमानंद को रिहा किये जाने से भारत और पाकिस्तान के संबंधों में टकराव होगा.
Listen to Anil Sami, a Pakistani resident who was aboard Samjhauta Express on February 19,2007. He says he can recognise the bombers but never got any summons. All accused were acquitted today. pic.twitter.com/1Cyhoicuma
— vijaita singh (@vijaita) March 20, 2019
लोगों ने इसे धर्म के चश्मे से भी देखना शुरू कर दिया है
वहीं पत्रकार राना अय्यूब ने मामले को दक्षिणपंथ से जोड़ते हुए लिखा है कि, अदालत ने दक्षिणपंथ के आतंकवाद को एक और क्लीन चिट दे दी है. बहरहाल मामले को लेकर जिस तरह के ट्वीट्स ट्विटर पर आ रहे हैं उनको देखकर साफ है कि असीमानंद का रिहा होना आने वाले वक़्त में जहां एक तरफ लम्बे वाद का विषय बनेगा तो वहीं दूसरी तरफ भारत में आम चुनाव से ठीक पहले तनाव का एक अहम कारण रहेगा.
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