बिहार के चचा को वैक्सीन के 11 शॉट्स फ्री मिले होंगे, फ्री का तो आदमी फिनायल नहीं छोड़ता!
बिहार के मधेपुरा में 84 साल के एक बुजुर्ग ने कोरोना वैक्सीन के कोई एक या दो नहीं 11 शॉट्स लिए हैं और इसलिए लिए क्योंकि वैक्सीन फ्री है. बात साफ़ है जिस देश में लोग फ्री का फिनायल नहीं छोड़ते वहां अगर किसी ने कोविड वैक्सीन के 11 शॉट्स ले लिए तो फिर हैरत कैसी?
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दुनिया का माल मुफ्त में चखने के वास्ते
हाथ आया खूब शैख को हीला नमाज का
कोई आहत हो इससे पहले बता दें मिर्जा मासिता बेग मूंतही का ये शेर 'मुफ्त' को डिफाइन करने के लिए है. चखना, शेख और नमाज कवि की कल्पना है. हां तो बड़ी कमाल की चीज है 'मुफ्त'. होती होगी मुफ्त की फैंटेसी दुनिया भर में लोगों को. लेकिन जब बात हम भारतीयों की आती है, तो हम सुपर मार्केट का वो ऑफर भी सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं. जिसमें सुपर मार्केट वालों की तरफ से कहा जाता है कि 7000 की शॉपिंग पर 200 ग्राम काजू या 100 ग्राम पिस्ता फ्री. हम ये नहीं देखते कि हमारे 7 हजार खर्च हो रहे हैं जो हमें दिखता है वो होता है 200 ग्राम काजू या 100 ग्राम पिस्ता. फ्री आदमी को किस हद तक बावला करता है खुद अपने को देखिए. अपने घर में देखिए कई ऐसी चीजें होंगी जो फ्री की लालच में ली गईं और बस ले ली गईं. फ्री के तमाम आइटम्स की फेहरिस्त में कोरोना की वैक्सीन भी शामिल है और चूंकि वैक्सीन फ्री में मिल रही है तो 100 करोड़ लोगों ने लगवा भी ली है. लेकिन तब क्या जब कोई एक दो या तीन बार नहीं बल्कि 11 बार वैक्सीन ठुकवाए और अपनी होशियारी से लेकर भूल चूक लेनी देनी में सिस्टम की लंका लगा दे?
बिहार में कोरोना वैक्सीन की 11 डोज लेकर 84 साल के चचा ने खुद तो मौज ले ली लेकिन सिस्टम की लंका लगा दी
मैटर भौचक्का करेगा लेकिन इतिहास रच दिया गया है और नीतीश कुमार के बिहार में रचा है. जिस देश में आदमी को यदि फ्री में फिनायल मिल जाए और वो उसे पीने में गुरेज न करे. वहां अगर किसी को फ्री में वैक्सीन मिले और लिजलिजा सिस्टम होने के कारण अगर 11 बार मिले. तो शायद मूर्ख ही होगा वो चौहान हो इसे लेने में चूके.
ध्यान रहे पहले कोरोना और अब Omicron का टंटा सरकार यही कह रही है कि संक्रमण से बच तभी पाओगे जब वैक्सीन ठुकवाओगे. वहीं बात अगर देश के प्रधानमंत्री की हो तो उन्होंने एहतियाती डोज के रूप में बूस्टर डोज दिए जाने का ऐलान अभी कुछ दिन पहले ही किया था.
तो गुरु यदि पीएम मोदी के इस ऐलान पर अगर किसी ने अमल किया है तो वो मधेपुरा बिहार के 84 साल के बुजुर्ग ब्रह्मादेव मंडल हैं. भाई ने 11 बार सुई लगवाकर भले ही खुद को सुरक्षित रख लिया हो लेकिन बिहार के स्वास्थ्य सिस्टम की वाट लगा दी है और तमाम तरह के गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
अपनी इस ऐतिहासिक हरकत पर 84 साल के ब्रह्मादेव मंडल ने छाती चौड़ी कर बताया है कि उन्होंने कोरोना के टीके 11 बार लगवाए हैं और इस वैक्सीन की वजह से उन्हें कई बीमारियों में लाभ भी मिला है. बुजुर्ग ने दावा किया कि वह बीते दिन कोरोना की 12वीं वैक्सीन लगवाने मधेपुरा स्थित चौसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गए थे, लेकिन वैक्सीन उपलब्ध नहीं थी.
वैसे तो इस मैटर पर कहने बताने को कई बातें हैं लेकिन जिस तरह 11 बार वैक्सीन लेने के बावजूद ब्रह्मादेव मंडल को कुछ नहीं हुआ, कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं दिख वो हैरत में डालता है. वैक्सीन को ब्रह्माजी का वरदान बता रहे मंडल ने ये काम फैंटेसी के तहत किया या फिर कोरोना की वैक्सीन चूंकि मुफ्त मिल रही थी इस नाते किया ये तो आगे की जांच में पता चलेगा. लेकिन जिस तरह 1 ही आदमी को बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने 11 बार इंजेक्शन लगाया वाक़ई इंसानियत पर से भरोसा उठ गया है.
क्यों? सवाल तो मत ही कीजिये आप. क्या को विन या आरोग्य सेतु पर जाकर स्लॉट बुक करना आसान है. इतने ड्रामे हैं कि सही मायनों में आदमी की हिम्मत ही जवाब दे जाए ऐसे में इन चचा का इंजेक्शन कांड! आए-हाए अगर वाक़ई किस्मत हो तो 84 साल के इन चचा जैसी ही हो. (इस मामले में हम सिस्टम को दोष हरगिज़ न देंगे. सिस्टम को आंकड़ों से मतलब है. नम्बर से मतलब है.चचा की बदौलत 11 सुइयों का हिसाब किताब रजिस्टर में दर्ज हो ही गया होगा.)
डाक विभाग से रिटायर हो चुके बुजुर्ग चचा ब्रह्मादेव मंडल कितने डेयरिंग आदमी हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके पास अपने वैक्सिनेशन वैक्सीन लगवाने की पूरी जानकारी है. उन्होंने पहली डोज 13 फरवरी 2021 को ली थी. 30 दिसंबर 2021 तक उन्होंने 11 डोज लगवाईं. उनके पास सभी वैक्सीनेशन की डेट टाइम दर्ज है.
चचा ने अपनी इस उपलब्धि पर बात करते हुए कहा है कि उन्होंने 13 फरवरी, 13 मार्च, 19 मई, 16 जून, 24 जुलाई , 31 अगस्त, 11 सितंबर, 22 सितंबर, 24 सितंबर 2021 को वैक्सीन लगवाई है. 10वीं डोज उन्होंने खगड़िया में और 11वीं डोज भागलपुर में ली है.
बहरहाल मामला जब सुर्खियों में आया तो प्रशासन के भी हाथ पांव फूले. ब्रह्मादेव मंडल तो कोविड के टीके को भगवान का वरदान और अमृत बताते हुए किनारे हो गए हैं मगर लंका लगी है बेचारे पीएचसी प्रभारियों की. जिन्हें मधेपुरा के सिविल सर्जन अमरेंद्र प्रताप शाही ने नोटिस भेजा है और बताने को कहा है कि अब जब उन्होंने इतिहास रचने के लिए अपनी आहुति दे ही दी है तो वो बताएं कि ये ब्लंडर हुआ तो हुआ कैसे?
जवाब क्या आता है उसे तो देखना दिलचस्प रहेगा ही. लेकिन जिस तरह चचा ने 11 वैक्सीन ली है धन्य हैं वो और उससे भी ज्यादा धन्य हैं जन गण मन के ये अधिनायक जिनके हाथ में पीएचसी की जिम्मेदारी थी और उन्होंने इस मिस्टेक को अंजाम दिया.बाकी इस मामले में चचा का कोई दोष नहीं है. वो बेदाग हैं. गंगा की तरह पवित्र हैं.
11 वैक्सीन वाली इस गतिविधि को अंजाम देने का मौका उन्हें खुद पीएचसी वालों ने दिया होगा. दो के बाद तीसरी डोज के लिए चचा यूं ही तुक्के में गए होंगे सुई लग गयी होगी और हिम्मत बढ़ गयी होगी. अच्छा क्योंकि सुई फ्री में लग रही थी तो चचा ने भी इसे होम्योपैथी की दवा की तरह माना होगा कि अगर फायदा न हुआ तो इसे मुफ्त में यूं लेने से कोई नुकसान भी नहीं है. फिर नतीजा दो के बाद तीसरा, फिर चौथा और ग्यारहवां वैक्सीनेशन. कुल मिलाकर चचा के जज्बे को सलाम रहेगा.
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