पवन खेड़ा-नगमा को 'तपस्या' का फल तब मिलता, जब भगवान फोकस्ड होते!
राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार न बनाए जाने के कारण पवन खेड़ा और नगमा दोनों ही बहुत आहत हैं. नाराजगी दिखाने के लिए ट्विटर ट्विटर खेलते दोनों नेताओं को समझना होगा कि जब आराध्य ही फोकस न हो तो फिर तपस्या बेकार है!
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परसाई कहते हैं कि सत्य को भी प्रचार चाहिए, अन्यथा वह मिथ्या मान लिया जाता है. सत्य था कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार पवन खेड़ा का राजनीति करना और मिथ्या उसे तपस्या की संज्ञा देना. असल में राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 10 नामों की घोषणा की है. पवन खेड़ा को उम्मीद थी की पार्टी नही तो फिर राहुल गांधी या सोनिया गांधी में से कोई उनकी तरफ रहम की निगाह से देखेगा और फिर उनके हाथों में लड्डू आ जाएंगे. ज़िन्दगी इतनी ही आसान होती तो फिर क्या था. किसी बात की लड़ाई ही नहीं रहती. पवन को अपनी पार्टी और आलाकमान से उम्मीदें थीं और उम्मीदें उस वक़्त चकनाचूर हुईं जब नामों का ऐलान हुआ. चूंकि इस घटना के बाद टीस सीधे दिल से निकली थी पवन ने अपनी प्रतिक्रिया दी और टूटे दिल दिल से जो आवाज निकली उसे उन्होंने शब्द दिए और अपना दुखड़ा ट्विटर पर रोया.
चाहे वो राज्यसभा के चलते पवन खेड़ा का हो या फिर नगमा का दुःख उसपर बात जरूर होनी चाहिए
पवन ने ट्वीट किया कि, ‘शायद मेरी तपस्या में कुछ कमी रह गई’ उनका ये ट्वीट करना भर था. आलोचना करने वालों से लेकर सांत्वना देने वालों तक मौका सबको मिला और जिसको जैसी सुविधा हुई उसने वैसे पवन को रिप्लाई दिया.
‘शायद मेरी तपस्या में कुछ कमी रह गई’
— Pawan Khera ?? (@Pawankhera) May 29, 2022
पवन का दुःख बड़ा दुःख था. पार्टी नेता और अभिनेत्री नगमा ने उनकी बातों को 'सहमत दद्दा' तो कहा ही. साथ ही इशारों इशारों में इमरान प्रतापगढ़ी की भी चुटकी ली. कांग्रेस नेता नगमा ने पवन खेड़ा के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा है कि हमारी भी 18 साल की तपस्या इमरान प्रतापगढ़ी के आगे कम पड़ गई.
हमारी भी १८ साल की तपस्या कम पड़ गई इमरान भाई के आगे . https://t.co/8SrqA2FH4c
— Nagma (@nagma_morarji) May 29, 2022
साफ़ है कि जिस तरह नगमा और पवन ने ट्वीट किया इन दोनों ही नेताओं को राज्यसभा में टिकट बंटवारा समझ में नहीं आया है. कांग्रेस इस पूरे मैटर पर लाख कुछ कह दे लेकिन अंधे आदमी को भी अगर लिस्ट पढ़ कर सुना दी जाए तो वो यही कहेगा कि, 'सही कह रहे हैं आप लोग अनदेखी तो हुई है.
अच्छा बात क्योंकि पवन खेड़ा की चल रही थी. उनकी तपस्या की चल रही थी. तो कहने सुनने और बताने को यूं तो तमाम तरह की बातें हैं लेकिन जो उनके साथ पार्टी ने किया है उसे देखकर जो सबसे पहला विचार हमारे दिमाग में आया वो ये कि तपस्या तक तो ठीक था लेकिन तपस्या करने के लिए पवन ने जिसे अपना आराध्य माना गड़बड़ उसमें थी.
The Congress President Smt. Sonia Gandhi has approved the candidature of the following persons as Congress candidates to contest the biennial elections to the Rajya Sabha from the states mentioned against their names: pic.twitter.com/jprBCVXWoe
— INC Sandesh (@INCSandesh) May 29, 2022
ध्यान रहे चाहे वो पवन हों या फिर नगमा ये लोग राहुल गांधी की टीम के रंगरूट हैं. इन फ्रंट लाइन वर्कर्स का सोते जागते यही प्रयास रहता है कि अपनी पॉलीटिक्स में कुछ ऐसा तूफानी करना है जिसके बाद ये फ़ौरन ही राहुल गांधी की न केवल नजरों में आएं बल्कि उनकी आंखों के तारे बन जाएं.
ये तो बात हो गयी कांग्रेस पार्टी के इन नेताओं की. अब अगर जिक्र राहुल गांधी का करें तो वो राहुल गांधी जिनको पवन खेड़ा ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए आराध्य मान ही लिया है और जिनकी तपस्या की जा रही है वो खुद एक ऐसी तपस्या (राहुल गांधी की पैनी नजर पीएम की कुर्सी पर है. पीएम की कुर्सी पर काबिज होने के लिए राहुल हर रोज कुछ तूफानी करते हैं) को कर रहे हैं जिसका वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में पूरा होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
साफ़ है कि जिस लाइन पर पवन चल रहे हैं (तपस्या कर रहे हैं ) वो लाइन ही गलत है. अब क्योंकि राज्य सभा से भी पत्ता कट ही गया है तो वक़्त का तकाजा यही है कि पवन न केवल इस बात को समझें बल्कि इस पर भी चिंतन करें कि जीरो का गुणा यदि एक लाख से भी कर दिया जाए तो जो अंक प्राप्त होता है वो जीरो ही रहता है (गनित या मैथ हर बार कॉम्प्लिकेटेड रहे बिलकुल भी जरूरी नहीं).
‘मुझे पहचान कांग्रेस ने दी है’मैं अपनी इस बात से सहमत भी हूँ और इस पर अडिग भी हूँ. https://t.co/zbc6LNwy5n
— Pawan Khera ?? (@Pawankhera) May 30, 2022
पवन के बाद यदि बात नगमा पर हो. तो बतौर नेता नगमा को भी इस बात को समझना होगा कि, हर बार हर पीली चीज सोना निकले जरूरी नहीं. कभी कभी वो पीतल होती है जिसे लोग पीला देखकर खरीद तो लेते हैं फिर जब वो काला पड़ता है तो कष्ट होता है और कष्ट की अनुभूति कुछ कीच वैसी ही होती है जैसी उन्हें इमरान प्रतापगढ़ी को देखकर हो रही है.
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