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Updated: 02 फरवरी, 2017 06:29 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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पंजाब से जल्द ही ब्रेकिंग न्यूज आने वाली है. आप के खुफिया सूत्रों की मानें तो अगले 48 घंटे सांसद भगवंत मान पर बहुत भारी पड़ने वाले हैं. बता दें कि मान को पंजाब में मुख्यमंत्री पद का भी दावेदार माना जा रहा है.

अंदर की खबर ये है कि आम आदमी पार्टी ने जो 14,200 स्पाई कैम किराये पर लिये हैं वो किसी और के लिए नहीं बल्कि खास तौर पर भगवंत मान के लिए है. चुनाव के बाद स्पाई कैमरों का फुटेज वेबसाइट पर डालने की तैयारी है ताकि सब दारू का दारू और पानी का पानी हो जाए.

आप नेताओं की राय में, लोगों को तभी समझ में आएगा कि जिसे लोग पीये हुए समझ रहे थे, असल में वो एक थका हुआ शख्स था.

शराबी की सूक्तियां

तीन साल पहले की बात है. सब कुछ नया नया था. केंद्र में नयी नयी सरकार बनी थी और भगवंत मान नये नये सांसद. बजट पर बहस में हिस्सा लेने के लिए संसद के लिए निकले तो मान के हाथ में एक कविता थी. कविता क्या थी, एक दर्द भरी दास्तां थी. दर्द भी ऐसा किसी कोई समझ नहीं पाया.

बगल से किसी ने पूछा तो जवाब मिला, "नईं, कुमार विश्वास की नईं है, उसने एक्की तो कविता लिक्खी. हुण... दूसरों की गात्ता है." मान ने तपाक से डपट दिया.

असल में आम आदमी पार्टी में जो लोग कुमार विश्वास से चिढ़ते हैं वे धूमिल की कविता पढ़ते हैं, लेकिन मान तो सिर्फ कृष्ण कल्पित को पसंद करते हैं - हरिवंश राय बच्चन उन्हें बहुत नहीं भाते. बचपन में अंत्याक्षरी के लिए जरूर उन्होंने पूरी मधुशाला रट रखी थी.

कृष्ण कल्पित की भी उन्हें एक ही कृति 'एक शराबी की सूक्तियां' सबसे ज्यादा भाती है और उसकी भी सिर्फ वही लाइन - 'सिर्फ शराब पीने से, कोई शराबी नहीं हो जाता.'

तालियां जैसे हथौड़े

संसद के लिए उन्होंने वो कविता उसी लड़के से लिखवाई थी जो उनके लिए गाने लिखता रहा. यहां बता दें मान के अक्सर थके होने के कारण उस लड़के ने नौकरी छोड़ दी. उसकी किस्मत अच्छी रही कि राहुल गांधी ने उसे अपने यहां रख लिया.

संसद में उस दिन खूब तालियां बजीं. फिर भी भगवंत मान खुश नहीं थे. संसद में चीख चीख कर वो पूछते रहे - अच्छे दिन कब आएंगे? तालियां और तारीफ तो खूब बरसीं लेकिन सवाल का जवाब नहीं मिला.

जब जब वो दोहराते - 'सरकार जी प्लीज, बता दीजिए अच्छे दिन कब आने वाले हैं', तालियों की गड़गड़ाहट और जोर पकड़ लेती.

mann-kejriwal_650_020217053907.jpgपंजाब में अच्छे दिन... आएंगे...

लौटते वक्त आप के दफ्तर करीब पहुंचे तो वहां भी उन्हें तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई पड़ी. मान को लगा वो बुरी तरह थक गये हैं इसलिए उन्हें हर तरफ तालियां ही सुनाई दे रही हैं. अंदर पहुंचे तो अंदाजा गलत निकला. वहां तो पूरी महफिल सजी हुई थी - 'कोई दीवाना कहता है... कोई बादल समझता है...'

तालियों की गड़गड़ाहट अब उनके दिल पर हथौड़े की तरह पड़ने लगी थी. चारों तरफ नजर दौड़ाई लेकिन वो शख्स नजर नहीं आया जिसकी तलाश थी. लोगों ने समझा मान अरविंद केजरीवाल को खोज रहे हैं. उन्हें थका समझ किसी ने केजरीवाल के चेंबर में पहुंचा दिया. हकीकत ये थी कि वो संजय सिंह को खोज रहे थे. बहुत कम लोगों को पता है कि आप के गठन के कुछ ही दिन बाद मान और संजय सिंह गहरे दोस्त बन गये थे.

'बोल की होया...' मान से केजरीवाल ने पहली बार पंजाबी बोलने की कोशिश की.

मान बोले, 'तूसी ग्रेट हो सरजी!'

केजरीवाल कुछ समझ नहीं पा रहे थे कि इतने थके होने के बावजूद मान कहना क्या चाहते हैं.

मान फिर बोले, "सर जी पंजाब चलो. अब वहीं चुनाव लड़ेंगे. तूसी इत्ती अच्छी पंजाबी बोलते हो."

केजरीवाल का 'प्रॉमिस'

केजरीवाल को आइडिया अच्छा लगा - बंदा बोल तो ठीक ही रहा है. तभी उन्होंने सबसे पहले पंजाबी पर पकड़ बनाने का फैसला किया. मान ने भी सिखाने का वादा किया, लेकिन एक शर्त भी रख दी, "प्रॉमिस करो... पूरा करोगे..."

"प्रॉमिस? कैसी प्रॉमिस?"

"पहले पक्का बोलो फिर... "

थके हुए मान के आगे केजरीवाल ने जिद छोड़ दी और कहा - "पक्का, प्रॉमिस. खुश."

इतना सुनते ही मान उछल कर खड़े हो गये और भांगड़ा करने लगे - 'वाह प्राजी वाह! वाह प्राजी वाह!'

केजरीवाल ने जानना चाहा कि किस बात के लिए प्रॉमिस लिया है लेकिन मान ने कहा कि वो सीक्रेट है लेकिन वक्त आने पर बता देंगे. फिर तय हुआ कि पंजाब चुनाव की तैयारी की जाये और इसके लिए मान ने संजय सिंह को साथ ले जाने की इजाजत मांगी. केजरीवाल ने उसी दिन मान और संजय की दोस्ती को महसूस किया और समझा कि आखिर जब भी दोनों साथ होते हैं उसके बाद मान थका हुआ क्यों नजर आता है.

वो संजय सिंह ही थे जब मान के संसद लाइव पर शुरू से आखिर तक बचाव किया - और जब जब जरूरी हुआ बाकायदा प्रेस के लिए स्टेटमेंट जारी किया.

"अक्खा पंजाब जानता है मान दिल के सच्चे हैं. वो हमेशा ही लाइव कंसर्ट में ही यकीन रखते हैं. उन्हें बहुत खीझ होती रही जब संसद में बैठने के बाद तो सब लाइव दिखाया जाता, लेकिन उससे पहले एक सांसद को किन परिस्थितियों से गुजरना होता है इससे अवाम बेखबर रहती. इसीलिए खूब सोच समझ कर पूरे होशो हवास में उन्होंने फेसबुक पर संसद लाइव किया." एक प्रेस कांफ्रेंस में तो संजय सिंह यहां तक बोल गये कि फेसबुक लाइव के लिए कोई भी सजा भुगतने को तैयार हैं.

अच्छे दिन का वादा

अब अंदर की खबर ये है कि तमाम ना-नुकुर के बाद केजरीवाल ने मान की बात मान ली है. मान ने प्रॉमिस जो ले रखा था. हालांकि केजरीवाल को मनाने के लिए संजय सिंह को काफी पापड़ बेलने पड़े.

इस तरह मान के कहने पर आप के घोषणा पत्र में 'अच्छे दिन' वाला एक नया क्लॉज जोड़ा जा रहा है - 'अगर आप की सरकार बनी तो पंजाब को आगे कभी भी ड्राय डे नहीं देखने पड़ेंगे. साल के सभी 365 दिन अच्छे दिन बने रहेंगे.'

आप के संभावित सीएम दावेदार के इस वीडियो पर एक नजर-

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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