New

होम -> ह्यूमर

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 05 जून, 2021 08:41 PM
सर्वेश त्रिपाठी
सर्वेश त्रिपाठी
  @advsarveshtripathi
  • Total Shares

'कामी क्रोधी लालची, इतने भक्ति न होय

भक्ति करे कोई सुरमा, जाति बरन कुल खोय.'

कबीर दास ने तो बहुत पहले ही कह दिया था कि भक्ति सूरमाओं का काम है न कि सूरमा भोपाली टाइप के लोगों का. लेकिन कोई समझता ही नहीं. बस किसी की भावनाओं को ट्रोल करना है तो करना है. हमारे शास्त्रों में भी भक्त और भक्ति की महिमा और उसके विभिन्न प्रकार का विशद विवरण मिलता है. भक्ति के नौ प्रकार जो शास्त्रसम्मत है उसे नवधा भक्ति कहा जाता है. लेकिन पता नहीं कैसे उन प्राचीन शास्त्रकारों से आन्हर भक्ति का दसवां प्रकार विवेचन और अनुशीलन से छूट गया. शायद पॉलिटिक्स के ज्ञान की कमी रही होगी. आप सोच रहे होंगे यह कैसी भक्ति है अन्हरा भक्ति? भैया हम अन्हरा भक्ति वही है जिसका दुष्प्रचार आजकल कुछ लोग सोशल मीडिया पर अंधभक्ति कह कर कर रहे. डर्टी पीपल!

UP, Yogi Adityanath, BJP, Chief Minister, Fan, Letter, Bhakts, JP Naddaयोगी आदित्यनाथ का शुमार उन नेताओं में है जो जबरदस्त फैन फॉलोइंग रखते हैं में है

अरे भाई किसी भावनाएं है तो है आप अगर उसका सम्मान नहीं कर सकते तो चुप मार के बैठिए. लेकिन ट्रोल करना तो जैसे राष्ट्रीय फैशन बन गया है. इसी सब कारण से मैंने पुष्पा से आई हेट टीयर्स की जगह आई हेट पॉलिटिक्स बोला था. फ़िलहाल राजनीति और दुनियादारी में इस अंधभक्ति को हेय दृष्टि से देखने वालों को भगवान सद्बुद्धि दे. आपको क्या पता ऐसी भक्ति के भाव आते ही भक्त कितने हाई लेवल का केस हो जाता है.

माने की ब्रीफकेस से सीधे सूटकेस. जैसे ही यह भक्ति उसके आराध्य की दृष्टि में आती है फिर तो पूछिए ही मत कैसे सूटकेस भर भर कर कृपा बरसती है. लेकिन हरी चटनी और समोसा से कृपा कमाने वाले इस त्याग और तपस्या को क्या समझेंगे. आखिर सामान्य भक्ति से अंधभक्ति कई लेवल आगे की और एडवांस टेक्नोलॉजी है.

इसमें थेथरई में सूरमा होने के अलावा सियार की तरह हुंवा हुंवा में निष्णात होना चाहिए. बाकी बुद्धि विवेक और तर्क का न्यूनतम प्रदर्शन अनिवार्य है ही. तभी इंसान इस लेवल का भक्त हो पाता है. जैसे इस इस लेवल का भक्त बना फिर तो वह भक्ति प्रदर्शन के ऐसे ऐसे तरीके अमल में लाता है कि एकबारगी इंसान तो इंसान भगवान की हवा भी शंट हो जाए. आप सोच रहे होंगे मैं अंधभक्ति की बात कर रहा.

अरे नहीं! बर्रे के छत्ते में हम काहे हाथ डाले. हां तो बात भक्ति के आकार प्रकार की हो रही है. ऐसे ही एक भक्त है सोनू ठाकुर. अपने यूपी के है शायद गोंडा जिले के. तो सोनू बाबू मुख्यमंत्री योगी जी के बड़े वाले फैन हैं. इधर यूपी में आजकल अफ़वाहों का बाजार गर्म है कि योगी जी कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है. बस फिर क्या था सोनू भैया ने तत्काल योगी जी के समर्थन में नड्डा बाबू को अपने खून से लिखकर चिट्ठी भेज दी.

साथ ही यह भी कहा कि अगर योगी जी हटाए गए तो आत्मदाह कर लूंगा. अद्भुत समर्पण है भाई का बिल्कुल प्रपत्तिमूलक. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब योगी जी के प्रति भाई सोनू इमोशनल हुए हो. इससे पहले भी अपने सोनू भाई योगी जी के ऊपर चालीसा लिख चुके है और बकायदा पूजा करते सोशल मीडिया पर भी दिख चुके है.

लेकिन इस बार का मसला सीधे उनके भगवान के आसन से जुड़ा था. तो कुछ अलग हट कर करना ही था. फ़िलहाल यह सब तो राज काज है और राजनीति के भगवान और भक्त दोनों की लीलाएं अपरम्पार है. आपको शायद याद हो जब यूपीए सत्ता में आई थी तो सोनिया के प्रधानमंत्री न बनने के फैसले से आहत एक भक्त ऐसे ही पेड़ पर चढ़कर अपने कनपटी पर तमंचा रख लिया था.

बड़ी देर ड्रामा करने के बाद फिर बहुत मान मनौव्वल के बाद वो साहब नीचे उतरे. दक्षिण भारत के राज्यों में राजनीतिज्ञों और फिल्मी कलाकारों के प्रति यह भक्ति भाव तो जान लेने और देने तक पहुंच जाता है. कई बार मुझे लगता है सिर्फ मध्यकाल में ही नहीं आधुनिक काल में भक्ति की यह लहर दक्षिण से उत्तर भारत की तरफ से आई होगी. वैसे यह शोध का विषय है और अगर यूजीसी वाले हमें मान्यता और मुद्रा दे तो मैं विषय पर कायदे से शोध करूं.

फ़िलहाल मुद्दे पर आते हैं. तो बात उस खूनी पत्र पर हो रही थी जो योगी जी के समर्थक ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखा है. पहले मुंबईया फिल्मों में अक्सर ऐसा होता था जब प्यार के कागज़ पर दिल की कलम से और अपने लहू से नायक मुहब्बत की पटकथा लिखता था. अपने कॉलेज टाइम में हम भी सुने थे कि किसी प्राचीन आशिक़ ने अपने हाथ की नस काटकर अपने खून से अपनी नाकाम मुहब्बत के आखिरी प्रेम पत्र को लिखा था.

बाद में किसी गुरु टाइप के मित्र ने बताया कि इस सब से बेहतर है की टोमेटो केचप से लिखो. कन्याएं उतनी ही प्रसन्न होती है. सही बात कौन साला ब्लड टेस्ट करवाने जाता है. ख़ैर यह तो बचपन की बात थी.

लेकिन दिल खुश हो जाता है कि भक्ति की यह आधुनिक परम्परा नित नवीन मानक और परंपराएं स्थापित कर रही है. अपने आराध्य नेताओं की पूजा और चालीसा गान से आगे बढ़कर उसके लिए सड़कों से लेकर कागज़ के पन्ने तक पर खून बहाने वाले ऐसे भक्तों को उनके समर्पण को हम जैसे अज्ञानी बस दूर से नमन ही कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें -

पीएम ने CBSE-ISC board exam रद्द की, हमारे ज़माने में शिक्षा इतनी 'लिबरल' नहीं थी!

जूही चावला की 'गलती' को जनता माफ नही करेगी!

KRK गलत नहीं हैं, चोर भी हो सकता है सलमान का फैन!  

 

लेखक

सर्वेश त्रिपाठी सर्वेश त्रिपाठी @advsarveshtripathi

लेखक वकील हैं जिन्हें सामाजिक/ राजनीतिक मुद्दों पर लिखना पसंद है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय