चाय जैसी पवित्र चीज में 'चीज़' डालकर ये क्या चीज बना दी है!
फ्यूजन के नाम पर क्या चाय के साथ प्रयोग हो सकते हैं? क्या चाय जैसी पवित्र चीज में 'चीज' डाली जा सकती है? कोई भी समझदार इंसान न में ही जवाब देगा. लेकिन कुछ अक्ल का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कर लिया और चाय में 'चीज' डाल इतिहास रच दिया. अब बस वक़्त है शॉल और अवार्ड देकर ऐसे लोगों को सम्मानित करने का.
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चाय पीते हुए
मैं अपने पिता के बारे में सोच रहा हूं.
अच्छी बात नहीं पिताओं के बारे में सोचना.
अपनी कलई खुल जाती है
कितना दूर जाना होता है
पिता से,
पिता जैसा होने के लिए!
पिता भी,
सवेरे चाय पीते थे
क्या वह भी
अपने पिता के बारे में सोचते थे.
चाय और उसकी महत्ता पर यूं तो सैकड़ों चीजें लिखी गयी होंगी. मगर ऊपर लिखी पंक्तियों को रचकर हिंदी साहित्य के सबसे चर्चित कवि 'अज्ञेय' ने बता दिया था कि, चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि एक एहसास है. चाय अगर ढंग से परोसी जाए तो ये उस कस्तूरी की तरह है. जो पीने वाले से लेकर सर्व करने वाले तक, किसी को भी अपनी आगोश में ले सकती है. जिक्र चाय का हुआ है तो किसी और पर बात करने से बेहतर है कि क्यों न अपने पर ही बात की जाए. मैं हर रोज़ ख़ुद से जंग लड़ता हूं. जंग में लड़ते - लड़ते एक वक़्त ऐसा आता है जब मैं बहुत थक सा जाता हूं. उस वक़्त जंग को विराम देकर मैं, चाय बनाने में जुट जाता हूं . चाय पीकर नए इरादों और हौसलों से लैस मैं फिर से जंग लड़ता हूं... जंग, थकान, चाय फिर से जंग... मेरे जीवन में ये सब एक क्रम की तरह है. जो चल रहा है, चले जा रहा है.
चाय जैसी पवित्र चीज में 'चीज' का होना सोचने में ही घिनास्टिक है
मैं दुनिया में सब चीज से यानी रूपये, पैसे, दौलत, शोहरत से कॉम्प्रोमाइज कर सकता हूं. लेकिन जब बात चाय की हो तो मैं चाय के साथ कॉम्प्रोमाइज नहीं कर पाता. मेरा मानना यही है कि चाय सिर्फ दो तरह की चाय होती है, एक अच्छी, दूसरी बुरी. अच्छी चाय वो हुई जिसमें शक्कर, चाय की पत्ती की मात्रा संतुलित हो. अदरक, इलायची, हल्का सा केसर और लौंग की दो कोपल डाली जाएं. वहीं ग्रीन टी, ब्लैक टी, डेट टी, जैगरी टी बुरी चाय की श्रेणी में हैं.
मैं अब तक सिर्फ यही मानता था कि चाय सिर्फ अच्छी और बुरी होती है. अब सवाल ये है कि जिंदगी में इतने साल चाय पीने के बावजूद क्या मैं गलत था? क्या एक चहेड़ी होने के बावजूद मैं चाय को ठीक से समझ ही नहीं पाया? क्या आज भी चाय को लेकर मैं कच्चा ही हूं? सवाल इसलिए क्योंकि आज मेरी आंखें खुली हैं. मुझे एहसास हो गया है कि अच्छी और बुरी के अलावा चाय की एक केटेगरी जिसे घटिया कहते हैं, वो भी है. दिलचस्प ये कि इसके भी कद्रदान हैं. जो इसे हाथ ले रहे हैं. जी हां सही सुन रहे हैं आप. भगवान भला करे कुकुरमुत्ते की तरह उग आए फ़ूड ब्लॉगर्स का जिनकी बदौलत हैं इस दुनिया में ऐसे लोग जो चीज चाय पी रहे हैं.
Tea lovers (including myself), somewhere in India they are selling Cheese Chai.. Okay, Happy Sunday??? pic.twitter.com/mdCFhsa29r
— Mohammed Futurewala (@MFuturewala) November 6, 2022
जी हां चीज चाय रूपी घिनौना पाप हुआ है. और शर्मनाक ये है कि हम टी लवर्स के सामने हुआ और सिवाए लेख लिखने और फेसबुक पर पोस्ट ट्विटर पर ट्वीट करने के अलावा हम ज्यादा कुछ नहीं कर पाए. दरअसल सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है. वीडियो चाय का है और खाने में फ्यूजन के नामपर 'चीज वाली' चाय का है.
Time to leave this planet
— Dr V ?? (@DrVW30) November 6, 2022
वायरल हो रहे इस वीडियो को खाने पीने का शौक़ीन जो भी व्यक्ति देख रहा है बस खून के घूंट पीकर रह जा रहा है. वीडियो के सामने आने के बाद समझदार और अक्ल शऊर वाले लोग एक दूसरे से सवाल करते पाए जा रहे हैं कि चाय जैसी पवित्र चीज के साथ कोई इस तरह का मजाक कैसे कर सकता है.
Seedhe maut https://t.co/M4KDFvqKEA pic.twitter.com/UnRf3zXj0J
— Sadaf Hussain (@hussainsadaf1) November 7, 2022
इस बात में कोई शक नहीं है कि आज का इंसान जज्बाती है. उसे अलग दिखना है. अलग दिखने के लिए वो तरह तरह के तिकड़म अपना रहा है. मगर क्या इसका ये मतलब हुआ कि अपने प्रयोगों में कोई चाय जैसी पवित्र चीज को ही झोंक दे. चाय में चीज डालकर उसे चीज चाय बनाना न केवल घिनौना है. बल्कि ये गुनाह है. दो गुना है. ऐसे लोगों को माफ़ी देने की बात कहना भी एक किस्म का अपराध है.
चाय के साथ हुए इस अपमान पर यूं तो कहने और सुनने के लिए कई बातें हैं. लेकिन हम हाथ जोड़कर बस यही कहेंगे कि फ्यूजन की आड़ लेकर कुछ का कुछ कीजिये लेकिन पवित्रता की पराकाष्ठा चाय को इस उचक्केपन से दूर रखिये. जान लीजिये चाय सिर्फ चाय या कोई साधारण सा पेय नहीं एक इमोशन है. जाते जाते चाय पर मशहूर कवि केदारनाथ सिंह की एक कविता की पैरोडी (कवि से माफ़ी के साथ)
मैं चाय बना रहा हूं - उसने कहा
बना लो - मैंने उत्तर दिया
यह जानते हुए कि चाय बनाना
किसी भोले इंसान को मूर्ख बनाने से कम खौफ़नाक क्रिया है.
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