भगवान शिव बन तेज प्रताप ने मैसेज दिया है वरना ये दुनिया गर मिल भी जाए तो क्या है!
बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और लालू यादव के पुत्र तेज प्रताप यादव का ईश्वर का रूप धरना किसी से छुपा नहीं है. सावन में भगवान शिव का रूप धरने वाले तेज प्रताप फिर चर्चा में हैं और अपने इस रूप के कारण सुर्खियां बटोर रहे हैं.
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कश्मीर को लेकर दिए गए ट्रंप के बयान और कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की सत्ता जाने से मचे सियासी घमासान के बीच मुझे अपना बचपन याद आ गया. हमारे पड़ोस में एक आंटी थीं. कहती थी कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं. यानी तब आंटी ने कहीं न कहीं ये समझाने का प्रयास किया था कि हर इंसान में भगवान का वास होता है. बचपन की बातें बचपन तक रहती हैं. कलयुग है और हम और आप भागमभाग का जीवन जी रहे हैं. यदि हम अपने अन्दर झांक कर देखें तो मिलता है कि हमारी दिनचर्या इतनी ज्यादा अस्त व्यस्त है कि हमने अपने अन्दर के भगवान को अपने से दूर, बहुत दूर कर दिया है. बात कलयुग के परिदृश्य में अपने अन्दर के भगवान की चल रही है तो हमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव का थैंक यू कहना चाहिए.
अपनी शिवभक्ति के चलते जो नया रूप तेज प्रताप यादव ने लिया है वो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है
तेज प्रताप हमसे आपसे अलग हैं. हमारे आपके विपरीत इन्होंने अपने अन्दर के भगवान को बचा कर रखा है जिसका वो समय समय पर प्रदर्शन करते रहते हैं.अपनी इन अदाओं से तेजप्रताप दुनिया को वही बताते रहते हैं जो 1975 में आई फिल्म 'प्यासा' में गुरुदत्त ने कहा था- बोल साहिर के थे. गया रफी ने था और संगीत दिया था एसडी बर्मन ने. गीत कुछ यूं था कि -
ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया,
ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनिया,
ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है.
किसी जमाने में भगवान कृष्ण बन सुर्खियां बटोर चुके तेजप्रताप इस सावन भगवान शिव के रूप में हैं और उनके इस नए लुक का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रहा है. तस्वीर पर लोग दो वर्गों में बंट गया है एक वर्ग तेज प्रताप को 'भोला' मान रहा है तो वहीं दूसरा है जो तेज प्रताप की आलोचना में जुट गया है और उनके इस सावन एक्सक्लूसिव लुक को कोरी नौटंकी बता रहा है.
कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए इस वीडियो पर बात करना बहुत जरूरी है. वायरल हो रहे इस वीडियो में उन्होंने पूरे शरीर पर सफेद धोती लपेटी हुई थी. साथ ही पूरे शरीर में भस्म लगाई थी. मृगछाला धारण कर वह भगवान शंकर का रूप धरे हुए थे. ध्यान रहे कि ये कोई पहली बार नहीं है जब तेज प्रताप यादव ने भगवान शंकर का रूप धरा है पिछले साल भी तेज प्रताप सावन के महीने में देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम थे और तब भी उन्होंने भगवान शंकर की तरह वेश बनाया हुआ था. तेज प्रताप का वो वीडियो और तस्वीर भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी और उसमें तरह तरह की प्रतिक्रियाएं आई थीं.
#WATCH: RJD leader Tej Pratap Yadav dressed up as Lord Shiva offers prayers at a Shiva temple in Patna before leaving for Baba Baidyanath Dham in Deoghar pic.twitter.com/gdBViBmofH
— ANI (@ANI) July 31, 2018
कह सकते हैं कि अपने और अपने अन्दर के भगवान के प्रति जैसा तेज प्रताप का रुख है उनको किसी भी तरह की प्रतिक्रिया से कोई फर्क नहीं पड़ता. यानी तेज प्रताप वो व्यक्ति हैं जिन्होंने ठान लिया है कि भले ही कोई कितनी भी आलोचना करे, मगर वो समाज में एक नई चेतना लकार ही मानेंगे जिसके बाद समाज के और लोग भी उनकी देखा देखी अपने अन्दर के भगवान का प्रदर्शन ठीक वैसे ही करेंगे जैसे वो करते चले आ रहे हैं.
हमने उपरोक्त पंक्तियों में कलयुग का जिक्र किया था मगर इस कलयुग में भी ऐसे लोग हैं जो तेजप्रताप को न सिर्फ अपना आदर्श मानते हैं बल्कि जिन्हें उनके अन्दर रब दिखता है. बात समझने के लिए हम उस समय को याद कर लेते हैं जब तेज प्रताप की शादी हुई थी. पटना में उनके घर के पास ऐसे तमाम पोस्टर्स लगे थे जिनमें वो भगवान शिव उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय पार्वती के तौर पर दर्शाए गए थे.
तेज प्रताप के समर्थक उन्हें पहले ही भगवान शिव और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय को माता पार्वती घोषित कर चुके हैं
तेज प्रताप कितने धार्मिक थे इसका अंदाजा या तो उन्हें हैं या फिर उनके अन्दर वास करने वाले ईश्वर को मगर उनके ये रूप उस वक़्त चर्चा में आने शुरू हुए थे जब वो बिहार के हेल्थ मिनिस्टर बने थे. उस समय आज के शिव तेज प्रताप कृष्ण थे. तब भी वीडियो ने खूब तहलका मचाया था. बड़ी बातें हुईं थीं. उस वीडियो में सिर पर मोर पंख लगाए तेज प्रताप गौ शाला में गायों को अपनी बांसुरी से निकला मधुर संगीत सुना रहे थे.
खैर अब जबकि तेज प्रताप का ये नया लुक सामने आया है तो इससे हम जैसे उन तमाम लोगों को सीख लेनी चाहिए जिन्होंने अपने अन्दर के भगवान को अपने से दूर कर दिया है. हमारे बड़े बूढ़े हमें बता चुके हैं कि हमारे अन्दर भगवान है बस हमें तेज प्रताप की तरह उसे सामने लाना है और दुनिया को वही बताना है जो प्यासा फिल्म में गुरुदत के रूप में साहिर ने दुनिया को अपनी रचना के चौथे पैराग्राफ में कहा था. पंक्तियां कुछ यूं थीं.
जवानी भटकती हैं बदकार बन कर
जवान जिस्म सजते है बाज़ार बन कर
यहां प्यार होता है व्यापार बन कर
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है.
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है.
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