पति परमेश्वर...अपने बुढ़ापे के सहारे के लिए पत्नी की उम्र नहीं बढ़ाओगे?
एक्सट्रा उम्र का ऑफर तो आप ही लोगों के लिए है. इस पूज्यनीय और गौरवशाली संस्कृति में. तो सोचो जरा, वो लोग तो अपनी उम्र पूरी होते ही टपक लेंगी. फिर तुम बेचारे एक झटके में देवता से दोबारा इंसान बन जाओगे. फिर अकेले डोलते फिरोगे बाकी की ज़िंदगी.
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ओ मेरे देश के पतियों... तुम कितने प्यारे हो. अपनी लम्बी उम्र के लिए किये जा रहे पत्नी के करवाचौथ पर निहाल हुए जाते हो. व्रत पर मंहगे गिफ्ट्स में लपेटकर अपनी मोहब्बत निछावर करते हो.
देखो बॉस , अपनी संस्कृति पर तो अपने को कभी कोई शंका रही ही नहीं. जब कह दिया कि इस व्रत को करने से पति की उम्र बढ़ती है तो बढ़ती ही होगी. व्रत कथाओं की पतली-पतली किताबों में जो इतनी भारी ज्ञान की बात लिखी है और बड़ी बड़ी डिग्री लेकर बैठी स्त्रियां उसे पढ़ कर विधि विधान से व्रत कर रही हैं तो कोई गलत थोड़े ही होगा. तो अब ये तो फाइनल बात कि उम्र तो आप लोगों की मस्त बढ़ रही है. एकदम डुकर होकर ही इस संसार से प्रस्थान होगा. तय जानो.
अहा, क्या उत्सव है प्रेम का. प्रेम मिश्रित सेवा के बदले प्रेम मिश्रित उपहार. वाह. कितनी मुहब्बत करते हो तुम अपनी पत्नियों से , इतनी भयंकर मुहब्बत कि मंहगे मंहगे गिफ्ट करवाचौथ पर लाकर देते हो और गिफ्ट को छोडो, व्रत की रात महिला सम्मेलन में सबसे सुंदर दिखने को मरी जातीं पत्नियों की हज़ारों की शॉपिंग कराते हो. सारी पत्नियां गिफ्ट को अकुलाई बैठी हैं, इस अकुलाहट को समझता हमारे देश का सारा बाज़ार हफ्ते भर पहले से करवाचौथ की शॉपिंग के ऑफर से पट गया है.
वाट्स एप पर 'हैप्पी शॉपिंग' के संदेश पत्नियां एक दूसरे को भेज रही हैं. डिज़ाइनर चमकदार छलनी से लेकर गोटे लगी थालियां तक सजी हुई हैं मार्केट में. और इतना होना ही चाहिए. आखिर इस कदर महान संस्कृति जिसमें पति को देवता मान चरणस्पर्श कर उनके लिए दिन भर भूखे प्यासे रहकर पत्नियां व्रत करती हैं, उनकी उम्र बढ़ाने जैसा ईश्वरीय कार्य करती हैं, उस दैवीय व्रत का इतना उत्सव तो होना ही चाहिए.
ये भी हिंदुस्तानी औरतों के ही प्रेम और बूते की बात है कि शराबी, जुआरी और रोज़ पत्नी की अच्छी सेहत के लिये कुटाई करने वाले पतियों की उम्र भी बढाए जा रही हैं. अहो, अहो...
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लेकिन भोले और नादान पतियों...सिर्फ इतना सोचो कि तुम तो लम्बी उम्र पा रहे हो और माशा अल्ला खूब जिओगे. नब्बे, सौ तो कहीं गये ही नहीं हैं, समझो. लेकिन तुम्हारी पत्नियों को भाईसाब उत्ता ही जीना है, जित्ता लिखा के लायी हैं. उनके लिए कौन व्रत कर रहा है ?
एक्सट्रा उम्र का ऑफर तो आप ही लोगों के लिए है. इस पूज्यनीय और गौरवशाली संस्कृति में. तो सोचो जरा, वो लोग तो अपनी उम्र पूरी होते ही टपक लेंगी. तुम बिचारे एक झटके में देवता से दोबारा इंसान बन जाओगे. फिर घनघोर डोकरे होकर अकेले डोलते फिरोगे बाकी की ज़िंदगी.
कौन पूछेगा तुमको? कोई दूसरी तो मिलेगी नहीं, ये तो तुम भी जानते ही हो. तुमने कभी नहीं सोचा कि अगर तुम भी पत्नी के चरण वरण छूकर ये व्रत कर लो तो वो बेचारी भी दस बीस साल एक्सट्रा जी लेंगी. ना ना, खुद के लिए नहीं. तुम्हारे ही लिए. तुम्हारा साथ निभाने के लिए, तुम्हारी सेवा के लिए. अपने लिए कुछ करने पर स्त्री को फल नहीं मिलता. पति या संतान का कल्याण होना आवश्यक है. तुमको भी व्रत में भगवान से ये कहना पड़ेगा कि ये व्रत तुम उसके लिए नहीं खुद की सेवा करवाने के लिए कर रहे हो तो भगवान ज़रूर कंसीडर करेंगे.
अगर अपनी संस्कृति में कुछ ऐसा संशोधन हो जाता कि एक ही व्रत करके वो खुद की उम्र बढ़ा लेती तो तुमको परेशान नहीं होना पड़ता. मगर संस्कृति ने स्त्री समाज को सेविका की भूमिका प्रदान की है. समाज मने तुम्हारा पुरुषों का समाज जिसकी सेवा करके वह धन्य हो उठती है.
तो बस इतना सा सुझाव था कि देख लो, मौका है बढ़ा लो अपनी पत्नी की उम्र अपने बुढापे की देखभाल के लिए. मने सिर्फ कह रहे हैं. बाकी आप जानो.
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