जो हज पर जाते हैं वहां के अनुभव जिंदगी भर उनके साथ रहते हैं, लेकिन जो नहीं जा पाते उनके लिए हज हमेशा ही पहेली बना रहता है. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक पत्रकार दिया हदीद भी हज पर गईं और उन्होंने वहां की हर छोटी से छोटी चीज को साझा किया. उनके हज के अनुभव शायद बहुत से लोगों की जिज्ञासाओं को शांत कर सकते हैं.
मैं 38 साल की महिला हूं और ये मेरी पहली हज यात्रा है. ये यात्रा पांच दिनों की होती है जो अनेकों रस्मों से भरी है और हर मुसलमान के लिए जरूरी भी है. कहा भी गया है कि हर मुसलमान को अपने जीवन में एक बार मक्का जरूर जाना चाहिए.
कुर्बानी का आसान रास्ता
आप सभी को पता है कि पोस्ट ऑफिस वो जगह होती है जहां आप चिट्ठियां भेजते हैं, मनी ऑर्डर करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पोस्ट ऑफिस मक्का में काबा के बाद सबसे जरूरी जगह है. वो इसलिए क्योंकि हज की सबसे आखिरी रस्म इसी पोस्ट ऑफिस के जरिए पूरी की जाती है. चौंकिए मत, ऐसा इसलिए है क्योंकि मक्का में हज पर जाने वाले लोगों के लिए कुर्बानी देना बहुत जरूरी होता है. और यहां पोस्ट ऑफिस में आप कुर्बानी के लिए पैसा जमा करा सकते हैं.
मक्का के पास एक बूचड़खाने का दृश्य जहां लोग छोटे मोटे काम की तलाश में होते हैं. काम के बदले पैसे या मीट के कुछ टुकड़े ले लेते हैं |
मक्का के पास ही एक बूचड़खाना है जो पोस्ट ऑफिस के माध्यम से हज पर आने वालों के लिए कुर्बानी का इंतजाम करता है. बस आपको यहां अपने नाम से कुर्बानी के पैसे जमा कराने होते हैं, इसमें करीब 460 रियाल या करीब 120 डॉलर खर्च करने होते हैं. और आपको पैसे देकर परेशान होने की भी जरूरत नहीं, क्योंकि एक...
जो हज पर जाते हैं वहां के अनुभव जिंदगी भर उनके साथ रहते हैं, लेकिन जो नहीं जा पाते उनके लिए हज हमेशा ही पहेली बना रहता है. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक पत्रकार दिया हदीद भी हज पर गईं और उन्होंने वहां की हर छोटी से छोटी चीज को साझा किया. उनके हज के अनुभव शायद बहुत से लोगों की जिज्ञासाओं को शांत कर सकते हैं.
मैं 38 साल की महिला हूं और ये मेरी पहली हज यात्रा है. ये यात्रा पांच दिनों की होती है जो अनेकों रस्मों से भरी है और हर मुसलमान के लिए जरूरी भी है. कहा भी गया है कि हर मुसलमान को अपने जीवन में एक बार मक्का जरूर जाना चाहिए.
कुर्बानी का आसान रास्ता
आप सभी को पता है कि पोस्ट ऑफिस वो जगह होती है जहां आप चिट्ठियां भेजते हैं, मनी ऑर्डर करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पोस्ट ऑफिस मक्का में काबा के बाद सबसे जरूरी जगह है. वो इसलिए क्योंकि हज की सबसे आखिरी रस्म इसी पोस्ट ऑफिस के जरिए पूरी की जाती है. चौंकिए मत, ऐसा इसलिए है क्योंकि मक्का में हज पर जाने वाले लोगों के लिए कुर्बानी देना बहुत जरूरी होता है. और यहां पोस्ट ऑफिस में आप कुर्बानी के लिए पैसा जमा करा सकते हैं.
मक्का के पास एक बूचड़खाने का दृश्य जहां लोग छोटे मोटे काम की तलाश में होते हैं. काम के बदले पैसे या मीट के कुछ टुकड़े ले लेते हैं |
मक्का के पास ही एक बूचड़खाना है जो पोस्ट ऑफिस के माध्यम से हज पर आने वालों के लिए कुर्बानी का इंतजाम करता है. बस आपको यहां अपने नाम से कुर्बानी के पैसे जमा कराने होते हैं, इसमें करीब 460 रियाल या करीब 120 डॉलर खर्च करने होते हैं. और आपको पैसे देकर परेशान होने की भी जरूरत नहीं, क्योंकि एक टेक्स्ट मैसेज द्वारा आपको खबर कर दी जाती है कि आपके नाम की कुर्बानी हो गई है. इससे गंदगी भी नहीं होती और व्यवस्था भी बनी रहती है.
ये भी पढ़ें- क्या अल्लाह की राह में रोड़ा अटका सकता है सऊदी अरब!
चल नहीं सकते तो क्या..
यहां पांच दिन लगातार चलना होता है तो ऐसे में वो लोग परेशान हो जाते हैं जो उम्रदराज हैं या शरीर से मजबूर हैं. हज की लंबी यात्रा करने में अक्षम लोगों की सहायता के लिए कुछ लोग व्हीलचेयर के साथ वहां मौजूद रहते हैं. मतलब आपको सिर्फ पैसे खर्च करने हैं और कुर्सी पर बैठे बैठे सब काम हो जाएंगे.
असमर्थ लोगों के लिए व्हील चेयर की सुविधा |
वो आपको व्हील चेयर पर बैठाकर हर जगह लेकर जाते हैं और सारी रस्में भी करवाते हैं. एक बूढ़े यात्री से ये लोग एक दिन के करीब 200 रियाल या 53 डॉलर लेते हैं.
संभलकर शैतान बचने न पाए..
हज के तीसरे दिन जमारत पुल के पास हाजियों द्वारा ''शैतान'' को पत्थर मारने की रस्म अदा की जाती है. शैतान को पत्थर मारने की परंपरा हज यात्रा के अंतिम चरण का एक अहम हिस्सा है. यही वो जगह भी है जहां पिछले साल भगदड़ की दुखद घटना में हजारों लोगों की जान चली गई थी.
शैतान पर पत्थर फेंकती महिला. ये रस्म तीन दिन तक चलती है |
दुर्घटना से बचने के लिए सुरक्षा अधिकारियों ने इस साल वहां पहुंचने वाले लोगों की संख्या को सीमित किया है. उन्होंने वहां पैदल चलने वालों के लिए मीना से लेकर जमारत तक वन वे रोड बनाई है, जहां अंग्रेजी और अरबी भाषा में निर्देश भी दिए जाते रहते हैं. मैंने भी शैतान को मारने के लिए पानी की बोतल में 49 पत्थर इक्टठा कर लिए थे.
ये भी पढ़ें- 107 लोगों की मौत 'अल्लाह की मर्जी'... तो नहीं चाहिए ऐसी मर्जी
काबा का रहस्य
काबा खुदा का घर माना जाता है. कहते हैं काबा जहां पर बना है वो पृथ्वी का केन्द्र बिन्दु है. इस जगह को खुदा का घर कहा जाता है, जाहिर है इसकी अहमियत मुस्लिम धर्म में सबसे पवित्र स्थान के रूप में है. काबा के अंदर जान ेकी इजाजत किसी को नहीं होती, वहां केवल बहुत उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडलों को जाने की इजाजत है. लोगों में जिज्ञासा रहती है ये जानने की कि काबा के अंदर आखिर होता क्या है. कहा जाता है कि काबा के अंदर दो खंबे हैं, एक वेदी है, धूप दीप और वहां की दीवारें सजी हुई हैं. लेकिन एक चीज जो तय है, वो ये कि वहां खुदा की तस्वीरें नहीं हैं.
हर किसी को काबा में प्रवेश नही मिलता |
क्योंकि माना गया है कि खुदा की कोई शक्ल नहीं है, उनकी कल्पना नहीं की जा सकती. कहा जाता है कि जब काबा बनाया गया तो वो आयताकार था, लेकिन तब से अब तक कई बार इसका पुनर्निर्माण हुआ और अब इसका आकार वर्गाकार हो गया है. स्त्री और पुरुष एक साथ इसके चारों ओर घूमते हैं.
गैर मुस्लिमों और नास्तिकों को प्रवेश नहीं
जिसे जहां जगह मिलती है वो वहीं इबादत करना शुरू कर देता है, फूड ज्वाइंट के बाहर भी |
इस पवित्र स्थल में गैर-मुसलमानों को जाने की इजाजत नहीं है. ऐसा कुरान में लिखा है. साउदी अरब सरकार ने हज पर आने वाले लोगों की संख्या को भी सीमित किया है जो करीब 20 लाख है. कई देश में हाजियों को चुनने के लिए लॉटरी सिस्टम भी होता है.
ये भी पढ़ें- मैं कभी हज पर नहीं जाऊंगा क्योंकि...
बाथरूम की समस्या
ऐसे धार्मिक स्थलों पर बाथरूम जैसी जगह हमेशा से समस्या रहती है. ऐसी जगह ढूंढने से भी नहीं मिलती. बताते हैं कि पहले मक्का में बाथरूम की समस्या ज्यादा थी, लेकिन बाथरूम सबको उपलब्ध हो सकें इसके लिए यहां पर निरंतर प्रयास किए जाते हैं. जनरल बाथरूम भी उपलब्ध हैं, वहीं खास लोगों के लिए बने कंपाउंड में साफ टॉयलेट्स और शॉवर उपलब्ध हैं. मैं खुशकिस्मत रही कि मेरे लिए उपलब्ध टॉयलेट साफ था. हालांकि ये भी सही है कि इसके लिए आपको घंटों इंतजार भी करना पड़ सकता है.
हज में एक ही चैलेंज है, गर्मी
यात्रियों पर पानी छिड़कता कर्मचारी जिससे गर्मी से कुछ राहत मिल सके |
साउदी अरब का तापमान बहुत ज्यादा होता है. हज के दौरान पारा 100 डिग्री फैरनहाइट के पार पहुंच जाता है. ऐसे में चिलचिलाती धूप के नीचे घंटो पैदल चलना हर किसी के लिए मुश्किल भरा होता है. लोग छाते लेकर चलते हैं. सफर के दौरान आपको बहुत से मेडिकल स्टेशन दिखाई देंगे ऐसा नहीं है. लेकिन एंबुलेंस जरूर दिखाई देती हैं. ताप से बचने के लिए यात्री एक दूसरे पर पानी का छिड़काव करते रहते हैं. कई जगह इस तरह की संरचनाएं बनी हुई हैं जहां ठंडी फुहारों से आपको गर्मी से राहत मिल सकती है. लेकिन बिना पानी के ये सफर बहुत कष्टकारी होता है, इसलिए अपने इंतजाम से चलना चाहिए.
क्या है वहां का सामाजिक ताना-बाना
मेरी शादी नहीं हुई है, तो मेरी मां इस उम्मीद में थीं कि मुझे यहां मेरा जीवनसाथी मिल जाएगा. अक्सर लोग जानना चाहते हैं कि यहां लोग कैसे आते हैं, कैसे रहते हैं, कितना करीब रह सकते हैं, वगैरह बगैरह. तो जान लीजिए कि यहां ज्यादातर लोग काफिले के साथ या टूर के साथ आते हैं. एक साथ आने वाले लोग, एक साथ एक ही होटल में रुकते हैं, एक ही बस में सफर करते हैं और एक ही जैसा खाना खाते हैं.
अपने अपने समूह में चलते हैं यात्री |
वहां लोगों में ज्यादा मेल जोल देखने नहीं मिलता, सिवाए काबा के चक्कर लागते वक्त. स्त्री और पुरुष ज्यादातर अलग-अलग ही इबादत करते हैं. वो अलग-अलग जगह पर ही सोते हैं. शादीशुदा लोगों के लिए हज के दौरान संबंध बनाने की मनाही है, ऐसे में शादी से पहले किसी से मिलना तो गुनाह की श्रेणी में आएगा.
आखिरी रस्म
एक बहुत ही जरूरी चीज है, वो ये कि यहां पहुंचने वाले हाजियों को किसी न किसी जानवर- भेड़, बकरा, गाय या ऊंट की कुर्बानी देना जरूरी होता है. यही इस यात्रा की आखिरी रस्म भी है.
हज की आखिरी रस्म होती है कुर्बानी |
कुछ टूर कंपनिया अपने पैकेज में कुर्बानी का खर्च उठाती हैं, लेकिन अगर आपके पैकेज में ऐसे नहीं है तो आप वहां कुर्बानी के लिए कूपन खरीद सकते हैं. आपका काम हो जाएगा, और इसकी सूचना आपको मैसेज करके दी भी जाती है. वहां की सरकार उस मीट को पूरी दुनिया के गरीबों में बांटने का इंतजाम करती है. क्योंकि कहा जाता है कि कुर्बानी का दो तिहाई हिस्सा गरीबों में बांटा जाना चाहिए.
भीड़ से बचने का कोई चांस नहीं
मक्का में हमेशा ही भीड़ भाड़ रहती है |
अक्सर लोग पूछते हैं कि क्या हज पर भीड़ से बचने का कोई तरीका है? तो जवाब है न. हज का एक निर्धारित समय होता है. ये तीर्थयात्रा इस्लामी कैलेंडर के 12वें और आखिरी महीने धू अल हिज्जाह की 8वीं से 12वीं तारीख तक की जाती है. हज करेंगे तो भीड़ से नहीं बच सकते. अगर आप भीड़ भाड़ से बचना चाहते हैं तो आपके लिए एक यात्रा है उमराह, ये एक तरह की छोटी यात्रा है जिसे मुस्लिम किसी भी समय कर सकते हैं, इसमें ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं होती.
ये भी पढ़ें- चीन में डुप्लीकेट मक्का! मिली 9/11 जैसे हमले की धमकी
पानी की बोतलों का पहाड़
अराफात के पहाड़ की तरफ बढ़ते हुए लोग बोल रहे थे कि 'ऐ खुदा मैं यहां हूं' लेकिन सबके पैरों के नीचे आने वाली पल्स्टिक की बोतलों की आवाज के कारण लोगों की आवाजें किसी को ठीक से सुनाई भी नहीं आतीं. ये सबसे खास दिन था. मुस्लिम मानते हैं कि इस वक्त खुदा वहां की गई इबादतों का जवाब देते हैं.
अराफात के पहाड़ पर इबादत करते लोग |
इस जगह लोग एक दूसरे पर पानी की बौछार करते हैं, लोग पानी की टंकियों के नीचे अपना रख लेते हैं, कुछ लोग स्प्रे बोतलों से लोगों के चेहरों पर पानी छिड़कते हैं. मैं वहां बोतलों के ढ़ेर और कीचड़ को देखकर हैरान रह गई. मुझे लगा था कि अराफात जैसी धार्मिक जगह साफ सुथरी होगी, लेकिन ये मेरी भूल थी. लेकिन वहां पहुंचकर यात्रियों के खिले चेहरों को देखकर मेरा मूड भी ठीक हो गया.
वहां गंदगी थी, होगी भी, 20 लाख लोग भीषण गर्मी में एक पहाड़ी पर एक साथ चलते हैं, बोतलों से पानी पीते रहते हैं. भीड़ इतनी होती है कि सफाईकर्मी उसे साफ भी नहीं कर सकते. मैंने भी अपने पैरों के नीचे खूब बोतलें फोड़ीं, कोशिश की कि फिसलूं नहीं.
बाल कटवाने की प्रथा
हज के अंत में पुरुषों को अपने सिर के बाल कटवाने होते हैं, और महिलाओं को भी अपने बालों की लट कटवानी होती है, ये रिवाज है. बड़ी मस्जिद के पास नाई की दुकानों में 4 डॉलर में आपको रेजर और कैंची मिल जाएगी, आप खुद भी अपने बाल काट सकते हैं और मशीन से बाल कटवाएंगे तो 2.70 डॉलर खर्च करने पड़ेंगे. लेकिन मस्जिद के अंदर बाल कटवाने पर सख्त मनाही है.
घर ले जाने के लिए यहां बहुत कुछ है
खरीदी करने के लिए मक्का बहुत सही जगह है. लोग यहां इबादत के लिए आते हैं, लेकिन दिन में पांच बार नमाज के बाद भी उन्हें अजयद स्ट्रीट में चमचमाते सोने की खरीदी करने का वक्त मिल ही जाता है. जो यहां आता है अपनी जेब के हिसाब से कुछ न कुछ खरीदकर ले ही जाता है.
इबादत के बाद खरीदी करने निकलते हैं लोग |
सोने के अलावा यहां काबा की तस्वीरें, कालीन, और भी बहुत कुछ है जिसे यादगार के तौर पर खरीदा जा सकता है. एक और बात, वहां लोग चप्पलें बेचते नजर आएंगे, वो इसलिए क्योंकि बड़ी मस्जिद में आपकी चप्पलें खोने की काफी संभावना होती है. हज के बाद होने वाले फ्लू और डायरिया की वजह से यहां के मेडिकल स्टोर खचाखच भरे होते हैं.
फोन रखने की जगह नहीं
एहराम वो वस्त्र होता है जिसे पुरुष हज के दौरान पहनते हैं, और उसमें कोई जेब नहीं होती. इस पारंपरिक परिधान में केवल दो सफेद चादरें होती हैं जिन्हें शरीर पर लपेटा जाता है. और महिलाओं और पुरुषों के लिए बड़-बड़े बैग लेकर चलना बहुत मुश्किल होता है. बहुत से लोग अपनी इबादत करने वाली चादरों को अपने सिर पर रखकर चलते हैं. तो टैक्निकली पुरुष मोबाइल या कीमती सामान अपने साथ रख ही नहीं पाते.
एक चीज है जो हां लोगों को एस साथ ले आती है
हज के दौरान बहुत गर्मी होती है. इतनी गर्मी में एक ही चीज लोगों के चेहरों पर खुशी लाती है. वो है आइसक्रीम. बड़ी मस्जिद के पास आप लोगों को आइस्क्रीम की दुकानों पर देख सकते हैं. यहां महिलाओं और पुरुषों की अलग-अलग लाइनें होती हैं. हज के बाद ये सच में सुकून और तरावट देती हैं.
मैंने पवित्र जल पिया
नाइजीरिया के कुछ बच्चे वहां 'जमजम' 'जमजम' पुकार रहे थे. उनके हाथों में पानी से भरे प्लास्टिक कप थे. ये है आबे जमजम यानी पवित्र पानी. इस पानी को बहुत पवित्र माना गया है.
लेकिन ये भी फ्री में नहीं मिलता. आधे लीटर की बोतल के लिए आपको 4.95 डॉ़लर देने होते हैं. मैंने एक लेख में पढ़ा था कि इस पानी में आर्सेनिक की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. मैं इसे पीने में डर भी रही थी लेकिन हज की थकान और गर्मी के बाद ये पानी ताजगी भरा लग रहा था.
ये भी पढ़ें-
#InMyFeelings Challenge को ब्लू व्हेल चैलेंज क्यों बना रहे हैं लोग
पति को पीटने वाली इस पत्नी के वीडियो पर लोगों की प्रतिक्रिया हैरान करने वाली है
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.