दीपावली (Diwali 2021) के त्योहार को भारत के साथ ही दुनिया के 10 अन्य देशों में भी मनाया जाता है. हर जगह पर त्योहार का नाम और इसे मनाने की परंपरा अलग-अलग है. भारत के पड़ोसी और दुनिया के इकलौता हिंदू राष्ट्र नेपाल (Nepal) में भी दिवाली को तिहार (त्योहार) के तौर पर मनाया जाता है. नेपाल के इस तिहार से जुड़ी एक खबर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. दरअसल, नेपाल में दिवाली के दूसरे दिन इसे 'कुकुर तिहार' (Dogs worshipped on Diwali in Nepal) के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोग 'कुत्तों' की पूजा करते हैं और उनके लिए खास पकवान बनाकर दावत दी जाती है. नेपाल की इस अलग अंदाज वाली दिवाली को लोग आश्चर्य से भरे हुए अजीबोगरीब परंपरा से लेकर जानवरों के प्रति प्रेम से जोड़ कर देख रहे हैं. लेकिन, सबसे बड़ी बात ये है कि सनातन धर्म का हर त्योहार ही जानवरों से प्रेम करना सिखाता है.
श्राद्ध पक्ष से लेकर नागपंचमी तक बिखरा पड़ा प्रेम
कौवे को समाज में अशुभ पक्षी के तौर पर देखा जाता है. लेकिन, श्राद्ध पक्ष में कौओं और कुत्तों को पूर्वजों से जोड़कर उनका महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष में कौवे और कुत्ते को रोटी खिलाने से पितृों का तर्पण होता है. सनातन धर्म यानी हिंदू धर्म में सांप जैसे विषधर को भी नागपंचमी पर पूजा जाता है. भारत में सांपों के काटने से हर साल कई लोगों की मौत हो जाती है. इसके बावजूद नागपंचमी पर सांपों की पूजा की जाती है. वानर रूपी भगवान हनुमान के कारण बंदरों को भी हिंदू धर्म में पूज्य माना जाता है. भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से चार पशुओं से ही जुड़े हुए हैं. मत्स्य (मछली) अवतार, कूर्म (कछुआ) अवतार, वराह (सुअर) अवतार, नृसिंह (आधा सिंह और आधा इंसान) अवतार से में वराह जैसे विष्ठा खाने वाले जानवर का भी रूप धर कर उसे कहीं न कहीं पूज्य पशु के तौर पर स्थापित किया गया है. रामकथा में तो भगवान की सेना में भालू, रीछ, वानरों की सेना की महत्ता को स्थापित किया...
दीपावली (Diwali 2021) के त्योहार को भारत के साथ ही दुनिया के 10 अन्य देशों में भी मनाया जाता है. हर जगह पर त्योहार का नाम और इसे मनाने की परंपरा अलग-अलग है. भारत के पड़ोसी और दुनिया के इकलौता हिंदू राष्ट्र नेपाल (Nepal) में भी दिवाली को तिहार (त्योहार) के तौर पर मनाया जाता है. नेपाल के इस तिहार से जुड़ी एक खबर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. दरअसल, नेपाल में दिवाली के दूसरे दिन इसे 'कुकुर तिहार' (Dogs worshipped on Diwali in Nepal) के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोग 'कुत्तों' की पूजा करते हैं और उनके लिए खास पकवान बनाकर दावत दी जाती है. नेपाल की इस अलग अंदाज वाली दिवाली को लोग आश्चर्य से भरे हुए अजीबोगरीब परंपरा से लेकर जानवरों के प्रति प्रेम से जोड़ कर देख रहे हैं. लेकिन, सबसे बड़ी बात ये है कि सनातन धर्म का हर त्योहार ही जानवरों से प्रेम करना सिखाता है.
श्राद्ध पक्ष से लेकर नागपंचमी तक बिखरा पड़ा प्रेम
कौवे को समाज में अशुभ पक्षी के तौर पर देखा जाता है. लेकिन, श्राद्ध पक्ष में कौओं और कुत्तों को पूर्वजों से जोड़कर उनका महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष में कौवे और कुत्ते को रोटी खिलाने से पितृों का तर्पण होता है. सनातन धर्म यानी हिंदू धर्म में सांप जैसे विषधर को भी नागपंचमी पर पूजा जाता है. भारत में सांपों के काटने से हर साल कई लोगों की मौत हो जाती है. इसके बावजूद नागपंचमी पर सांपों की पूजा की जाती है. वानर रूपी भगवान हनुमान के कारण बंदरों को भी हिंदू धर्म में पूज्य माना जाता है. भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से चार पशुओं से ही जुड़े हुए हैं. मत्स्य (मछली) अवतार, कूर्म (कछुआ) अवतार, वराह (सुअर) अवतार, नृसिंह (आधा सिंह और आधा इंसान) अवतार से में वराह जैसे विष्ठा खाने वाले जानवर का भी रूप धर कर उसे कहीं न कहीं पूज्य पशु के तौर पर स्थापित किया गया है. रामकथा में तो भगवान की सेना में भालू, रीछ, वानरों की सेना की महत्ता को स्थापित किया गया.
दरअसल, मनुष्य इस धरती का सबसे श्रेष्ठ जीव है. और, उसमें इस बात का अहंकार न आए, इसीलिए हिंदू धर्म में पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों को देवतुल्य स्थान दिया गया है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो हिंदू धर्म में पशु-पक्षियों से लेकर पेड़-पौधों तक को संरक्षित करने के लिए धर्म का हिस्सा बनाया गया है. पशु-पक्षियों और पेड़-पौधे के प्रति यह प्रेम और सह-अस्तित्व की भावना हिंदू धर्म में रची-बसी मानवता की परिकल्पना को साकार करती है. हिंदू धर्म में सभी देवताओं के वाहन यानी सवारी अलग-अलग पशु-पक्षी हैं. भगवान शिव का वाहन बैल यानी नंदी, मां दुर्गा की सवारी सिंह, भगवान गणेश की सवारी मूषक है. कहने का तात्पर्य सिर्फ ये है कि चूहे जैसे छोटे जानवर से लेकर हाथी जैसे विशालकाय पशु को भी हिंदू धर्म में पूज्य माना जाता है.
त्योहारों और पर्वों को लेकर सही नजरिया तो बनाइए
हिंदू धर्म में सभी पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों के अस्तित्व को मानव जीवन के लिए जरूरी बताया गया है. हिंदू धर्म में गाय को सबसे ऊंचा और पवित्र स्थान दिया गया है. लेकिन, इसका ये अर्थ नहीं है कि बाकी सभी पशु-पक्षी गाय के सामने गौण हो जाते हैं. सभी पशु-पक्षियों का हिंदू धर्म के अलग-अलग त्योहारों में अपना महत्व है. कुत्ते को भगवान भैरव की सवारी माना जाता है. कहा जाता है कि कुत्ते को प्रतिदिन रोटी खिलाने से जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं. यहां तक कि सनातन धर्म यानी हिंदू धर्म में चींटी जैसे छोटे से जीव को भी आटा खिलाने से संकट खत्म होने की बात कही जाती है. हो सकता है कि ये बातें तार्किक तौर पर कमजोर नजर आती हों. लेकिन, मानवीय तौर पर देखा जाए, तो छोटे से छोटे जीव को भी हिंदू धर्म में उचित स्थान देकर उससे प्रेम करना ही सिखाया जाता है.
वेदों-पुराणों से लेकर जातक कथाओं तक में हर छोटे से बड़े जानवर के महत्व को बताया गया है. भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर सोते हैं और उनका वाहन गरूड़ है. सांप और गरुड़ के बीच दुश्मनी के बारे में सभी जानते हैं. क्योंकि, सांप को गरुड़ भोजन माना जाता है. लेकिन, इसके बावजूद भी ये दोनों सह-अस्तित्व की परिकल्पना के सबसे बड़े उदाहरण माने जा सकते हैं. दरअसल, आज के इंटरनेट युग में लोग अपनी परंपराओं और पर्वों से कटते जा रहे हैं. भारत में सनातन यानी हिंदू धर्म के त्योहारों को की पढ़ी-लिखी आबादी रुढ़िवादिता का हिस्सा मानती है. इन त्योहारों और पर्वों में निहित गूढ़ महत्व के बारे में जानने और समझने के लिए उनके पास समय की कमी रहती है. लेकिन, नेपाल में दिवाली पर कुत्तों की पूजा होती है, जैसे खबर इन्हीं लोगों के लिए आर्श्चयजनक बात हो जाती है.
खैर, हिंदू धर्म में जानवरों के प्रति प्रेम के इस आलेख को थोड़ा लाइटर नोट में खत्म करते हैं. करवाचौथ पर माता लक्ष्मी के वाहन उल्लू की पूजा होने वाला वाट्सएप मैसेज आप तक कभी न कभी पहुंचा होगा. इस वाट्सएप मैसेज में मजाक में ही सही, लेकिन उल्लू जैसे निरा मूर्ख समझे जाने वाले पक्षी से भी प्रेम करने की अंर्तनिहित भावना को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता है.
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