इस्लाम के अनुसार रमज़ान का महीना माना जाता है. इसी महीने में पैगंबर ने रहस्योद्घाटन किया था कि: अल्लाह ने उन्हें दूत घोषित कर दिया है और कुरान या पवित्र किताब को भेजा है.
जब हम बच्चे थे तो हमारे लिए ये सबसे ज्यादा मस्ती और धूम धमाके के दिन हुआ करते थे क्योंकि परिवार में हर कोई हफ्तों पहले से ही पवित्रता और भक्ति भरे रमज़ान की तैयारी करने लगता था. इसके अलावा जब कई लोग शामिल हों तो फिर उपवास भी बहुत मजेदार हो जाता है. भोजन पर चर्चा अंतहीन होती है और इसकी तैयारियों भी.
रमज़ान सिर्फ एक महीने तक उपवास या भूखे-प्यासे रहने के लिए नहीं है, बल्कि ये उससे भी ज्यादा बहुत कुछ और है. यह पवित्रता और भक्ति का महीना है. इसका मुख्य उद्देश्य आत्म-नियंत्रण सीखना और शक्ति को मजबूत करना है. रमज़ान वह महीना है जिसमें हमें अपने आप पर काबू रखना सीखना होता है, हर तरह के लालच और बुराई से अपनी रक्षा करना होती है.
रोज़ा, सिर्फ पेट के लिए नहीं होता बल्कि यह जीभ के लिए भी है: किसी को भी गुस्से, दुख या उत्तेजना में कड़वा या बुरा नहीं बोलना चाहिए. जो भी अपनी झूठी बातों और बुरे कर्मों को नहीं छोड़ता है, अल्लाह के लिए उसे अपना खाना पानी भी छोड़ने की जरुरत नहीं है (अल्लाह उसका उपवास स्वीकार नहीं करेगा)"
रोज़ा, आंखों के लिए है: खुद को बुराई के प्रति आकर्षित होने से बचाना चाहिए और किसी के भी शोषण को देखकर आंखें बंद नहीं कर लेनी चाहिए, बल्कि आवाज उठानी चाहिए.
रोज़ा, शरीर के लिए है: किसी को भी गलत और अवैध कामों में शामिल नहीं होना चाहिए.
रोज़ा, दिल और दिमाग के लिए...
इस्लाम के अनुसार रमज़ान का महीना माना जाता है. इसी महीने में पैगंबर ने रहस्योद्घाटन किया था कि: अल्लाह ने उन्हें दूत घोषित कर दिया है और कुरान या पवित्र किताब को भेजा है.
जब हम बच्चे थे तो हमारे लिए ये सबसे ज्यादा मस्ती और धूम धमाके के दिन हुआ करते थे क्योंकि परिवार में हर कोई हफ्तों पहले से ही पवित्रता और भक्ति भरे रमज़ान की तैयारी करने लगता था. इसके अलावा जब कई लोग शामिल हों तो फिर उपवास भी बहुत मजेदार हो जाता है. भोजन पर चर्चा अंतहीन होती है और इसकी तैयारियों भी.
रमज़ान सिर्फ एक महीने तक उपवास या भूखे-प्यासे रहने के लिए नहीं है, बल्कि ये उससे भी ज्यादा बहुत कुछ और है. यह पवित्रता और भक्ति का महीना है. इसका मुख्य उद्देश्य आत्म-नियंत्रण सीखना और शक्ति को मजबूत करना है. रमज़ान वह महीना है जिसमें हमें अपने आप पर काबू रखना सीखना होता है, हर तरह के लालच और बुराई से अपनी रक्षा करना होती है.
रोज़ा, सिर्फ पेट के लिए नहीं होता बल्कि यह जीभ के लिए भी है: किसी को भी गुस्से, दुख या उत्तेजना में कड़वा या बुरा नहीं बोलना चाहिए. जो भी अपनी झूठी बातों और बुरे कर्मों को नहीं छोड़ता है, अल्लाह के लिए उसे अपना खाना पानी भी छोड़ने की जरुरत नहीं है (अल्लाह उसका उपवास स्वीकार नहीं करेगा)"
रोज़ा, आंखों के लिए है: खुद को बुराई के प्रति आकर्षित होने से बचाना चाहिए और किसी के भी शोषण को देखकर आंखें बंद नहीं कर लेनी चाहिए, बल्कि आवाज उठानी चाहिए.
रोज़ा, शरीर के लिए है: किसी को भी गलत और अवैध कामों में शामिल नहीं होना चाहिए.
रोज़ा, दिल और दिमाग के लिए है: भगवान और आध्यात्मिकता में डूबे रहना चाहिए. साथ ही भगवान के प्रति अपनी आस्था बढ़ानी चाहिए और उस पर दृढ़ बने रहना चाहिए.
रमज़ान दान का महीना है: ज़कात देने और ज़रूरतमंदों की मदद करनी चाहिए.
हालांकि, अल्लाह अपने भक्तों को तकलीफ देना नहीं चाहते. अगर कोई बीमार है या यात्रा कर रहा है तो वो बाद में उपवास कर सकता है.
"अल्लाह आपके लिए चीजें आसान कराना चाहता है. वो नहीं चाहता कि आपको मुश्किलों का सामना करना पड़े. वो चाहता है कि आप उन सभी दिनों (रमज़ान के दिनों) को पूरा करें और इस तरह प्रस्तुत करें जैसे आप मिली हुई हर एक चीज के लिए उसके (अल्लाह) के आभारी हैं." (2.185)
जैसे मेरे मामले में, चिकित्सा सलाह के कारण कोई उपवास नहीं कर सकता है, तो उसे गरीब और जरुरतमंदों को वही खाना खिलाना चाहिए जो वो सुबह या फिर शाम को खाएंगे, या फिर उन्हें उनको भोजन खरीदने के लिए पैसे देने चाहिए.
कई बार ऐसा होता है कि किसी ने अनजाने में ही मुंह में कुछ खाना डाल लिया. अगर ये अनजाने में तो फिर दुखी होने की कोई जरुरत नहीं है. बल्कि थोड़ा और अधिक सतर्क रहने का संकल्प करें क्योंकि हदीस के अनुसार: "यदि कोई ये भूल जाता है कि वह उपवास कर रहा है और गलती से कुछ खा या पी लेता है तो उसे अपना सियाम (उपवास) पूरा करना चाहिए. क्योंकि यह अल्लाह है जिसने उसे खिलाया है और उसने पी लिया है (बुखारी, मुस्लिम)."
इस महीने में कई लोग मस्जिदों को इफ्तार भेजते हैं और इफ्तार के लिए लोगों को अपने घर पर बुलाते हैं, क्योंकि हदीस कहता है:
जो भी किसी अन्य इंसान को सियाम तोड़ने में मदद करता है उसे वही पुण्य मिलता है जो सियाम करने वाले को मिलता है.
रोज़ा सेहरी के साथ शुरू होता है और यह एक महत्वपूर्ण भोजन है. इसे सुबह की नमाज के पहले खाते हैं. अनस बताते हैं कि रसुलूल्ला ने कहा है: "सेहरी कर लो, क्योंकि इसमें आशीर्वाद है (बुखारी, मुस्लिम)."
यह भोजन आपको पूरे दिन उपवास रखने की शक्ति देती है. और ऐसा भोजन करना महत्वपूर्ण है जो पूरे दिन शरीर को धीमी गति से पोषक तत्व मुहैया करता रहे. जैसे खजुर, ओट्स का दलिया. उपवास को खजुर खाकर तोड़ना चाहिए. क्योंकि उसमें पोषक तत्व और प्राकृतिक चीनी भरपुर मात्रा में पाई जाती है. ये पूरे दिन से खाली पेट में अचानक खाना जाने में भी सहायता करता है.
यही कारण है कि परंपरागत रूप से लोग अपना उपवास खजुर और दूध आधारित पेय या हल्के नाश्ते के साथ तोड़ते हैं और उसके बाद प्रार्थना के लिए जाते हैं. बाकी का खाना उसके बाद खाया जाता है, जब पेट फिर से डाइजेस्टिव जूस का उत्पादन करने लगता है.
साथ ही ये शरीर को साफ करने का भी महीना है. जिसपर हम ऐसे ही बहुत सारा पैसा खर्च करते हैं. लेकिन हमें ये सावधानी बरतनी चाहिए कि उपवास तोड़ते समय बहुत भारी, तला हुआ खाना न खाएं. क्योंकि वे पाचन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं.
मेरा पसंदीदा इफ्तार आइटम और एक बहुत लोकप्रिय व्यंजन घुघनी है:
आइए इसको पकाने की आपको विधि बताउं- (दो लोगों के लिए)
एक कप में रात भर के लिए काला चना भिंगोने के लिए डाल दें.
सामग्री:
½ प्याज- बारीक कटा हुआ
1-2 पूरे लाल मिर्च स्वाद के अनुसार
जीरा
नमक स्वादानुसार
1 बड़ा चम्मच तेल के पानी
तरीका:
कुकर में प्याज, ज़ीरा और मिर्च को तब तक भूनें जब तक की प्याज सुनहरा न हो जाए. भिंगे हुए चने और नमक डालें. एक कप पानी मिलाएं. और दस मिनट के लिए के बंद कूकर में पकने दें. अगर पानी ज्यादा रह गया हो तो फिर उसे सुखा दें.
ये हेल्दी, पोष्टिक और टेस्टी भी होता है. मेरे लिए इसके बिना रमज़ान अधूरा है.
ये भी पढ़ें-
रोजा रखने के बावजूद कुछ लोगों का वजन क्यों बढ़ जाता है?
सेना को भी दे दीजिए एक महीने की छुट्टी !
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.