शिवरात्रि 2020 (Maha Shivratri 2020) पर व्रत उपास तो ठीक, लेकिन इस दिन शिव की अराधना से जुड़ी कई कहानियां और कथाएं सुनी-सुनाई जाती हैं और इनकी जानकारी बचपन से ही घर के बड़े बच्चों के देते हैं. शिवरात्रि पूजा की विधि (Maha Shivratri puja vidhi) से लेकर भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने तक अनेकों रीति-रिवाज निभाए जाते हैं. हिंदुओं में इष्ट माने जाने वाले भगवान शिव के बारे में दादी नानी से लेकर पंडित जी और इंटरनेट वाले राइटर्स कई कहानियां सुनाते हैं. जितने लोग उतनी कहानियां. इसी बीच इंटरनेट पर कहीं शिव के जन्म से जुड़ी कहानियां दिखीं. दिलचस्पी हुई, लेकिन अलग-अलग जगह अलग बात लिखी गई थी.
इसी संशय को दूर करने के लिए ज्योतिष में एमए कर रही एक स्कॉलर से ichowk.in ने बात की तो उनका कहना था कि किसी भी ग्रंथ में भगवान शिव की मां का कोई जिक्र नहीं है. शिव पुराण और विष्णु पुराण में शिव के जन्म से जुड़ी कुछ बातें लिखीं हैं, लेकिन जितनी कहानियां इंटरनेट पर चल रही हैं वो सभी सत्य नहीं हैं. इनमें से अधिकतर कहानियां अमीश त्रिपाठी की किताब के बाद सामने आई हैं जिसमें लेखक ने काफी कुछ शिव के बारे में लिखा है, लेकिन फिर भी वो किसी ग्रंथ में नहीं है.
क्या लिखा है ग्रंथों में...
शिव और विष्णु के जन्म को लेकर शिव पुराण और विष्णु पुराण दोनों में अलग-अलग बातें लिखी गई हैं. शिव पुराण के अनुसार शिव स्वंयभू आनादी हैं और उनकी उत्पत्ती खुद से ही हुई है. इस कहानी के अनुसार एक बार भगवान शिव अपने घुटने पर अमृत मल रहे थे और उससे विष्णु का जन्म हुआ. एक प्रचलित लोककथा के अनुसार.. विष्णु की नाभी से ब्रह्मा और माथे के तेज से शिव पैदा हुए थे.
एक और कथा...
यहां एक बात गौर करने वाली है. श्रीमद् भागवत के अनुसार एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा...
शिवरात्रि 2020 (Maha Shivratri 2020) पर व्रत उपास तो ठीक, लेकिन इस दिन शिव की अराधना से जुड़ी कई कहानियां और कथाएं सुनी-सुनाई जाती हैं और इनकी जानकारी बचपन से ही घर के बड़े बच्चों के देते हैं. शिवरात्रि पूजा की विधि (Maha Shivratri puja vidhi) से लेकर भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने तक अनेकों रीति-रिवाज निभाए जाते हैं. हिंदुओं में इष्ट माने जाने वाले भगवान शिव के बारे में दादी नानी से लेकर पंडित जी और इंटरनेट वाले राइटर्स कई कहानियां सुनाते हैं. जितने लोग उतनी कहानियां. इसी बीच इंटरनेट पर कहीं शिव के जन्म से जुड़ी कहानियां दिखीं. दिलचस्पी हुई, लेकिन अलग-अलग जगह अलग बात लिखी गई थी.
इसी संशय को दूर करने के लिए ज्योतिष में एमए कर रही एक स्कॉलर से ichowk.in ने बात की तो उनका कहना था कि किसी भी ग्रंथ में भगवान शिव की मां का कोई जिक्र नहीं है. शिव पुराण और विष्णु पुराण में शिव के जन्म से जुड़ी कुछ बातें लिखीं हैं, लेकिन जितनी कहानियां इंटरनेट पर चल रही हैं वो सभी सत्य नहीं हैं. इनमें से अधिकतर कहानियां अमीश त्रिपाठी की किताब के बाद सामने आई हैं जिसमें लेखक ने काफी कुछ शिव के बारे में लिखा है, लेकिन फिर भी वो किसी ग्रंथ में नहीं है.
क्या लिखा है ग्रंथों में...
शिव और विष्णु के जन्म को लेकर शिव पुराण और विष्णु पुराण दोनों में अलग-अलग बातें लिखी गई हैं. शिव पुराण के अनुसार शिव स्वंयभू आनादी हैं और उनकी उत्पत्ती खुद से ही हुई है. इस कहानी के अनुसार एक बार भगवान शिव अपने घुटने पर अमृत मल रहे थे और उससे विष्णु का जन्म हुआ. एक प्रचलित लोककथा के अनुसार.. विष्णु की नाभी से ब्रह्मा और माथे के तेज से शिव पैदा हुए थे.
एक और कथा...
यहां एक बात गौर करने वाली है. श्रीमद् भागवत के अनुसार एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा अहंकार से अभिभूत हो स्वयं को श्रेष्ठ बताते हुए लड़ रहे थे तब एक जलते हुए खंभे से जिसका कोई भी ओर-छोर ब्रह्मा या विष्णु नहीं समझ पाए, भगवान शिव प्रकट हुए.
शिव का बचपन...
लोकमान्यताओं के अनुसार... शिव के बचपन की सिर्फ एक ही कहानी मिलती है. वो ये कि भगवान ब्रह्मा को बच्चा चाहिए था तो उन्होंने काफी तपस्या की. इसके बाद शिव प्रकट हुए. शिव के मां और पिता का कोई जिक्र नहीं है. शिव प्रकट होने के बाद रोने लगे. जब ब्रह्मा ने कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि उनका नाम ब्रह्मा नहीं है वो इसलिए रो रहे हैं... तब ब्रह्मा ने उन्हें रुद्र नाम दिया .. उन्हें फिर भी वो नाम पसंद नहीं आया तो वो फिर रोने लगे.. ऐसे कर ब्रह्मा ने उन्हें 8 नाम दिए... रुद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव.. ये सभी नाम धरती पर दिए गए थे. वेद जिन्हें रुद्र कहते हैं, पुराण उन्हें शंकर और महेश कहते हैं. वराह काल के पूर्व के कालों में भी शिव थे. उन कालों की शिव की गाथा अलग है.
त्रिनेत्र से जुड़ी कहानी...
ये बात तो साफ है कि सभी ग्रंथ और पुराण एक जगह आकर रुक जाते हैं जहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने धरती की स्थापना की. लोककथा के अनुसार.. एक बार पार्वती जी ने खेल-खेल में शिव के दोनो नेत्र बंद कर दिए थे. उस समय पूरी पृथ्वी पर अंधेरा छा गया था.
तब शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोला था जो धरती पर रौशनी लेकर आया था.
कितनी बार खुला है तीसरा नेत्र...
बचपन से हमें ये कहा गया है कि भगवान शिव जब भी अपना तीसरा नेत्र खोलेंगे तब-तब विनाश होगा. तब भगवान शिव अपना नेत्र खोलते हैं जब माफी की कोई जगह नहीं बचती. अगर लोककथाओं की बात मानी जाए तो भगवान शिव ने अपना नेत्र सिर्फ कुछ खास मौकों पर ही खोला है.
1. जब कामदेव ने शिव को अराधना से जगा दिया था. तब शिव ने उन्हें भस्म कर दिया था. 2. पार्वती के आंखें बंद करने पर शिव ने नेत्र खोला था. 3. जब भगवान शिव इंद्र और ब्रहस्पति की परीक्षा ले रहे थे. इंद्र ने भेस बदले हुए शिव पर अपने वज्र से प्रहार किया था और इससे शिव क्रोधित हो गए थे. शिव ने इंद्र को भस्म करने के लिए अपना तीसरा नेत्र खोला था और उन्हें ब्रह्सपति ने बचाया था. शिव को अपने नेत्र की अग्नि समुद्र में डालनी पड़ी थी और उससे जालंधर का जन्म हुआ था.
लोककथाओं की माने तो ऐसी कई कहानियां हैं जो शिव से जुड़ी हुई हैं. पर असलियत तो वाकई सिर्फ भगवान शिव ही जान सकते हैं.
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