एक थे गांधी - और दूसरे हैं मोदी. खादी को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जन-जन तक पहुंचाने वाले महात्मा गांधी शायद आज बहुत खुश हो रहे होंगे. अब देखिए ना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गांधी के नक्शे कदम पर चलकर खादी का प्रचार कर रहे हैं. हां, तरीका थोड़ा अलग है. मोदी के अनुसार पहले खादी नेशन (राष्ट्र) के लिए थी अब फैशन के लिए है. भाई जो भी हो, मोदी ने 18 अक्टूबर को लोगों से खादी खरीदने की बात क्या कही, लोगों ने तो खरीदारी के मामले में रिकॉर्ड ही तोड़ डाले.
दिल्ली के कनॉट प्लेस वाले खादी भंडार से एक दिन में लोगों ने 1 करोड़ 8 लाख की खरीदारी कर डाली. खादी और ग्रामोद्योग कमीशन के चेयरमैन वी.के. सक्सेना के अनुसार इसके पहले सेल्स रिकॉर्ड 82.5 लाख का था जो पिछले साल 2 अक्टूबर को दर्ज हुआ था. इसके अलावा, पिछले साल इसी दिन केवल 27 लाख रुपये की खरीदारी हुई थी. इस हिसाब से देखा जाए तो रिकॉर्ड 4 गुणा बढ़ गया है.
सक्सेना ने इसके लिए मोदी को शुक्रिया कहा है. क्या वाकई मोदी के मन की बात ने इतना असर दिखाया है? इस दिवाली लोगों ने खादी के परिधानों पर ध्यान दिया. क्या इसकी वजह 18 अक्टूबर को दिया गया मोदी का भाषण है जिसमें उन्होंने खादी का उपयोग करने को कहा था और गांधी की तरह ही 500 चरखे महिलाओं को दिए थे?
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आखिर क्या हो सकती है वजह...
अब एक बार जरा गौर से देख लेते हैं कि इतनी खरीदारी की क्या वजह हो सकती है.
पहली वजह - दिवाली पर पहनने के लिए लोग ज्यादातर एथनिक वियर पसंद करते हैं जिसमें खादी या कॉटन जैसी चीजें काफी सूट करती हैं. इसकी एक वजह ये भी हो सकती है.
दूसरी वजह - दिवाली के ठीक पहले का वो आखिरी वीकेंड था. जिन्हें भी दिवाली के लिए कोई सामान लेना था उनके...
एक थे गांधी - और दूसरे हैं मोदी. खादी को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जन-जन तक पहुंचाने वाले महात्मा गांधी शायद आज बहुत खुश हो रहे होंगे. अब देखिए ना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गांधी के नक्शे कदम पर चलकर खादी का प्रचार कर रहे हैं. हां, तरीका थोड़ा अलग है. मोदी के अनुसार पहले खादी नेशन (राष्ट्र) के लिए थी अब फैशन के लिए है. भाई जो भी हो, मोदी ने 18 अक्टूबर को लोगों से खादी खरीदने की बात क्या कही, लोगों ने तो खरीदारी के मामले में रिकॉर्ड ही तोड़ डाले.
दिल्ली के कनॉट प्लेस वाले खादी भंडार से एक दिन में लोगों ने 1 करोड़ 8 लाख की खरीदारी कर डाली. खादी और ग्रामोद्योग कमीशन के चेयरमैन वी.के. सक्सेना के अनुसार इसके पहले सेल्स रिकॉर्ड 82.5 लाख का था जो पिछले साल 2 अक्टूबर को दर्ज हुआ था. इसके अलावा, पिछले साल इसी दिन केवल 27 लाख रुपये की खरीदारी हुई थी. इस हिसाब से देखा जाए तो रिकॉर्ड 4 गुणा बढ़ गया है.
सक्सेना ने इसके लिए मोदी को शुक्रिया कहा है. क्या वाकई मोदी के मन की बात ने इतना असर दिखाया है? इस दिवाली लोगों ने खादी के परिधानों पर ध्यान दिया. क्या इसकी वजह 18 अक्टूबर को दिया गया मोदी का भाषण है जिसमें उन्होंने खादी का उपयोग करने को कहा था और गांधी की तरह ही 500 चरखे महिलाओं को दिए थे?
ये भी पढ़ें- नदियों का अपमान करना हम कब बंद करेंगे ?
आखिर क्या हो सकती है वजह...
अब एक बार जरा गौर से देख लेते हैं कि इतनी खरीदारी की क्या वजह हो सकती है.
पहली वजह - दिवाली पर पहनने के लिए लोग ज्यादातर एथनिक वियर पसंद करते हैं जिसमें खादी या कॉटन जैसी चीजें काफी सूट करती हैं. इसकी एक वजह ये भी हो सकती है.
दूसरी वजह - दिवाली के ठीक पहले का वो आखिरी वीकेंड था. जिन्हें भी दिवाली के लिए कोई सामान लेना था उनके लिए ये आखिरी मौका था.
तीसरी वजह - फैशन डिजाइनर्स ने हाल ही में विचार वस्त्र कलेक्शन पेश किया था जो खादी आउटलेट्स पर बिक रहे थे. रितु बेरी जैसे फैशन की दुनिया में बड़े नाम भी कहते हैं कि खादी में इतनी वैराइटी है और ये लग्जरी फैशन ब्रांड है.
अब देखिए अगर इतने सारे कारण हैं तो सिर्फ मोदी को तो खादी की भारी बिक्री का श्रेय नहीं दिया जा सकता है ना, लेकिन फिर भी मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो खादी को इस कदर प्रमोट कर रहे हैं. आखिर खादी के लिए इससे अच्छी क्या बात हो सकती है.
फाइल फोटो: नरेंद्र मोदी |
मोदी की खादी...
मोदी ने अपने तरीके से लोगों से खादी का इस्तेमाल करने को कहा और इसका फायदा भी हुआ. ऐसा नहीं है कि मोदी के मन की बात पूरी तरह से विफल हो गई. अगर खादी का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा होता है तो इससे बहुतों को फायदा होगा. सीधे तौर पर जुड़े लोगों को तो लाभ मिलेगा ही - जो लोग अप्रत्यक्ष रूप से इस व्यवसाय से जुड़े हैं उन्हें भी इसका फायदा निश्चित रूप से होगा. साथ ही साथ, सच मानिए खादी का लुक बड़ा ही रॉयल होता है और अगर फैशन की नजर से देखा जाए तो वाकई आप खादी की बदौलत एथिनिक लुक को बेहतर बना सकते हैं.
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क्या खादी रही है आम आदमी के बजट में?
खादी को देखने भर से ऐसा लगता है कि हम जड़ों से कनेक्ट हो रहे हैं. खादी जीन्स, खादी जैकेट, खादी के कुर्ते, स्कर्ट आदि का फैशन कभी नहीं जाएगा. ये सभी देवआनंद की स्टाइल की तरह एवरग्रीन हैं, लेकिन क्या ये आम आदमी के बजट में है? देखिए, अगर कोई खादी कॉटन कुर्ता खरीदना चाहे तो 150 से 2000 के बीच खरीदा जा सकता है. इसमें कोसा को भी शामिल कर सकते हैं, सिल्क मिक्स्ड कपड़े और बहुत से रॉयल कहे जाने वाले मैटीरियल मिल सकते हैं, लेकिन खादी का क्या? लेकिन अगर यहीं खादी में कोई पार्टी वियर खरीदना है तो जेब को कम से कम 1000 रुपये से शुरुआत तो करनी ही होगी. इसमें अगर कुछ अच्छा डिजाइन चुना तो आपको अच्छा-खासा दाम चुकाना होगा. अब ये शॉपर्स पर निर्भर करता है कि वे फैशन और जेब में से किसे चुनते हैं. मोदी के मन की बात तो ठीक है, लेकिन खादी को गांधी रूप देने के लिए अभी भी इसे जन-जन तक पहुंचाना होगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.